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मधुमेह के साथ थायरायड होने पर खतरा अधिक

गर्भावस्था मे यदि महिला को मधुमेह के साथ थायरायड की समस्या है तो जटिलताओ की आशंका बढ़ जाती है।

By Edited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 11:02 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 04:39 PM (IST)
मधुमेह के साथ थायरायड होने पर खतरा अधिक
मधुमेह के साथ थायरायड होने पर खतरा अधिक

गोरखपुर

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गर्भावस्था मे यदि महिला को मधुमेह के साथ थायरायड की समस्या है तो जटिलताओ की आशंका बढ़ जाती है।

यह बाते पटना स्थित डायबिटीज व ओबेसिटी सेटर के निदेशक डा. सुभाष कुमार ने महानगर स्थित रेलवे आफिसर्स क्लब मे आयोजित चिकित्सको के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। उन्होने कहा कि थायरायड शरीर मे सभी हारमोन का नियमन करता है। इसी मे से एक इंसुलिन भी है। थायरायड का स्तर कम होना गर्भावस्था मे अधिक खतरनाक होता है क्योकि इसकी वजह से बच्चे के दिमाग का विकास कम होता है और जन्म लेने वाले बच्चे के मंद बुद्धि होने की आशंका होती है। इसी तरह थायरायड का स्तर बढ़ने पर सांस का तेज चलना, घबराहट, ग्लूकोज का स्तर बढ़ने की समस्या होती है। वैसे से मधुमेह पीडि़त हर व्यक्ति को थायरायड की जांच करानी चाहिए लेकिन गर्भवती महिलाओ के मामले मे यह खासतौर पर किया जाना चाहिए।

पटना स्थित रूबन मेमोरियल हास्पिटल के डा. आनंद शंकर ने कहा कि भारत मे गर्भवती महिलाओ को 75 ग्राम ग्लूकोज 280 मिली पानी मे मिलाकर पिलाने के दो घंटे बाद मधुमेह की जांच करानी चाहिए। महिला ने इसके पहले कुछ खाया भी है तो उसका प्रभाव नही पड़ेगा। यदि गर्भवती मे खाली पेट मधुमेह का स्तर 90 से ज्यादा तथा ग्लूकोज लेने के दो घंटे बाद 120 से अधिक हो तो सतर्क हो जाना चाहिए। वजह कि यदि गर्भवती महिला मे रक्त का स्तर इससे अधिक है तो बच्चे पर असर पड़ सकता है। इससे बच्चे का आकार बड़ा होने तथा आपरेशन से प्रसव की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा यदि गर्भवती महिला को मधुमेह है तो जन्म लेने वाले शिशु मे मधुमेह की आशंका काफी अधिक हो जाती है।

बीएसयू से आए कार्डियोलॉजिस्ट डा. धर्मेद्र जैन ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान शरीर मे लिक्विड की मात्रा बढ़ जाती है। इससे हृदय पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। महिला को हृदय रोग होने पर खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मे गर्भधारण करने के पहले महिला के हृदय की जांच होनी चाहिए। यदि चलने या बैठने पर सांस फूलने, आधी रात तो अचानक सांस फूलने के कारण नीद टूटने की शिकायत है तो यह हृदय रोग के लक्षण हो सकते है।

लखनऊ से आए सर्जन डा. आरके वर्मा ने खुद को खुश कैसे रखे विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होने कहा कि अधिक हंसना, एन्ज्वाय करना आदि खुशी के लक्षण नही है। क्यो कि ऐसा क्षणिक होता है। खुशी का भाव तब होता है जब व्यक्ति मे भीतर से संतुष्टि का भाव होता है। इसका संबंध व्यक्तिगत उपलब्धि, संबंध, रिश्तो से होता है।

इस अवसर पर डा. आरती लाल चंदानी ने रुमेटिक फीवर व डा. अजय कुमार तिवारी ने भी अपनी बाते रखी।


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