विश्वस्तरीय रुतबा और व्यवस्था ऐसी कि पानी बिना सूख गए रेलवे के इज्जतघर Gorakhpur News
रेलवे ने इज्जतघर तो स्थापित कर दी लेकिन दो वर्ष बाद भी समुचित पानी की व्यवस्था नहीं कर पाया। रेलवे कारखाना के इंजीनियरों ने निश्शुल्क 13 इज्जतघर का निर्माण किया है।
गोरखपुर, जेएनएन। रेलवे स्टेशन के सामने वाली व म्यूजियम सड़क पर स्थित रेलवे के इज्जतघर (बायोटॉयलेट) पानी बिना सूख रहे हैं। गंदगी के चलते अधिकतर उपयोग लायक नहीं रह गए हैं।
दो वर्ष बाद भी पानी की व्यवस्था नहीं
रेलवे ने इज्जतघर तो स्थापित कर दी लेकिन दो वर्ष बाद भी समुचित पानी की व्यवस्था नहीं कर पाया। दरअसल, तत्कालीन राहत के लिए रेलवे प्रशासन ने इज्जतघर के पास पानी रखने के लिए लोहे के ड्रम रखवा दिया। ड्रमों में पानी भरने के लिए अलग से कर्मचारियों की व्यवस्था भी कर दी। लगभग एक वर्ष तक तो व्यवस्था सुचारू रुप से चलती रही, लेकिन धीरे-धीरे उदासीनता बढ़ती गई। अब न ड्रमों में पानी भरा जाता है और न समुचित रखरखाव हो पाता।
इनकी पहल पर हुआ था काम
दरअसल, स्वच्छ रेल-स्वच्छ भारत की तरफ अहम कदम बढ़ाते हुए पूर्वोत्तर रेलवे के तत्कालीन मुख्य यांत्रिक इंजीनियर एके सिंह की पहल पर रेल प्रशासन ने आसपास रहने वाले लोगों के लिए स्टेशन के सामने इज्जतघर स्थापित किया। ताकि, क्षेत्र को खुले में शौचमुक्त क्षेत्र बनाया जा सके। रेलवे की पहल रंग लाई, रेलवे स्टेशन के सामने और म्यूजियम रोड शौचमुक्त क्षेत्र बन गया। लेकिन अब फिर से इस क्षेत्र में गंदगी अपना पांव पसारने लगी है।
इज्जतघरों तक पानी पहुंचाने के लिए लगनी हैं टैंक
रेलवे प्रशासन ने इज्जतघरों के लिए पानी की टंकी लगाने की भी संस्तुति कर दी थी। लेकिन अभी तक न टंकी बनी और न ही पानी की व्यवस्था शुरू हो पाई। जानकारों के अनुसार स्टेशन परिसर में पानी की टंकी बन रही है। लेकिन निर्माण कार्य लटका पड़ा है। सूत्रों का कहना है टंकी तैयार होने से पहले इज्जतघर ही ध्वस्त हो जाएग।
इंजीनियरों ने निश्शुल्क तैयार किया है 13 इज्जतघर
तत्कालीन मुख्य यांत्रिक इंजीनियर की पहल पर रेलवे कारखाना के इंजीनियरों ने अनुपयोगी उपकरणों का प्रयोग कर निश्शुल्क 13 इज्जतघर का निर्माण किया है।