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माता-पिता से मुंह मोड़ना पड़ेगा भारी, तहसीलों में नियुक्‍त होंगे सुलह अधिकारी Gorakhpur News

अब घर के बुजुर्गों से संबंध तोडऩे पर प्रशासन हस्तक्षेप करेगा। इसके लिए प्रत्येक तहसील में सुलह अधिकारी नियुक्त होंगे। दोनों पक्षों को आमने-सामने कर सुलह-समझौता कराएंगे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 12:00 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 12:00 PM (IST)
माता-पिता से मुंह मोड़ना पड़ेगा भारी, तहसीलों में नियुक्‍त होंगे सुलह अधिकारी Gorakhpur News
माता-पिता से मुंह मोड़ना पड़ेगा भारी, तहसीलों में नियुक्‍त होंगे सुलह अधिकारी Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। सुधरिए जनाब, माता-पिता या घर के अन्य बुजुर्गों से विच्‍छेद की इजाजत नहीं है। न तो अपनी संस्कृति इसकी पक्षधर है और न ही शासन-प्रशासन। मुंह मोडऩे भर से फुर्सत नहीं मिलने वाली है। भरण-पोषण का जिम्मा निभाना ही पड़ेगा। किरकिरी कराने से अच्‍छा बुजुर्गों के प्रति सेवा धर्म का पालन करना ज्यादा मुनासिब होगा।

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प्रशासन करेगा हस्‍तक्षेप

जी हां, अब घर के बुजुर्गों से संबंध तोडऩे पर प्रशासन हस्तक्षेप करेगा। इसके लिए प्रत्येक तहसील में सुलह अधिकारी नियुक्त होंगे। ऐसे प्रकरणों में यह दोनों पक्षों को आमने-सामने कर सुलह-समझौता कराएंगे। बुजुर्गों का भरण-पोषण सुनिश्चित करेंगे।

यह है नियमावली

उत्तर प्रदेश माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावली-2014 में दिए गए प्रावधान के अनुसार बुजुर्गों का भरण पोषण करना अनिवार्य है। सभी एसडीएम तहसील में एक सुलह अधिकारी नियुक्त करेंगे। यह बुजुर्गों के उत्पीडऩ संबंधी शिकायतों की विशेष सुनवाई करेंगे। प्रारूप एक में सुलह के आधार पर प्रकरण का निराकरण कराएंगे।

वृद्धा आश्रम का होगा दो बार निरीक्षण

इस नियमावली के तहत तहसील क्षेत्र में स्वैच्‍िछक संगठनों द्वारा संचालित वृद्धा आश्रम का प्रत्येक माह दो बार निरीक्षण किया जाएगा। यहां रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों का पंजीकरण और किन कारणों से यह संवासी निवास करते है, यह सूचना प्रारूप-दो पर संकलित करनी होगी। प्रत्येक माह की पांच तारीख तक यह रिपोर्ट समाज कल्याण निदेशालय को प्रेषित कर देनी है। जिला समाज कल्याण अधिकारी राम नगीना यादव ने बताया कि इस आशय का निर्देश पत्र सभी एसडीएम को उपलब्ध करा दिए गए हैं।

पुत्र न होने पर दामाद को निभानी होगी जिम्मेदारी

मध्‍यस्‍थता केंद्र के सदस्‍य प्रेम प्रकाश श्रीवास्‍तव का कहना है कि माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी कानून में निहित है। यदि उनके पास पुत्र नहीं है तो भरण-पोषण की जिम्मेदारी दामाद को करनी होगी। हर्रैया क्षेत्र का एक मामला मध्यस्थता केंद्र-दीवानी कचहरी में आया था। माता-पिता और पुत्र को साथ बैठाकर सुलह कराया गया। अब वह खुशहाल है। 


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