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आइपीएल में सट्टा लगाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार Gorakhpur News

प्रशांत ने एसटीएफ को बताया कि पांच हजार रुपये में कमरा किराए पर लिया था। डिब्बा फोन के जरिए आइपीएल मैच खेल रही टीम का भाव बताया जाता था। छापा पडऩे पर प्रशांत ने डिब्बा फोन फारमेट कर दिया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 02:26 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 04:50 PM (IST)
आइपीएल में सट्टा लगाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार Gorakhpur News
सट्टेबाजों की गिरफ्तारी का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

 गोरखपुर, जेएनएन। एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) गोरखपुर ने आइपीएल में सट्टा लगाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह के लिए काम करने वाले दो सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 86 हजार रुपये, पांच मोबाइल फोन, रजिस्टर, डायरी व चेक बरामद किए हैं। कानपुर के रहने वाले सरगना की तलाश चल रही है।

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सर्विलांस की मदद से छानबीन कर रही थी एसटीएफ

आइपीएल में सट्टा लगाने वाले गिरोह के शहर में सक्रिय होने की सूचना मिलने के बाद एसटीएफ की टीम सर्विलांस की मदद से छानबीन कर रही थी। मुखबिर की सूचना पर एसटीएफ इंस्पेक्टर सत्यप्रकाश सिंह ने शुक्रवार की रात शाहपुर क्षेत्र के ईस्टर्नपुर मोहल्ले में स्थित रामप्रताप यादव के मकान में छापा डाला। किराए पर कमरा लेकर रहने वाले दो युवकों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उनकी पहचान राजघाट क्षेत्र के गीता प्रेस निवासी प्रशांत जायसवाल और पादरी बाजार के मोहनापुर निवासी विवेक चौधरी के रूप में हुई। कमरे की तलाशी लेने पर 86 हजार रुपये, पांच मोबाइल, दो रजिस्टर और एक डायरी मिली। प्रशांत ने एसटीएफ को बताया कि पांच हजार रुपये में कमरा किराए पर लिया था। डिब्बा फोन के जरिए आइपीएल मैच खेल रही टीम का भाव बताया जाता था। छापा पडऩे पर प्रशांत ने डिब्बा फोन फारमेट कर दिया। एसटीएफ इंस्पेक्टर सत्यप्रकाश सिंह ने शाहपुर थाने में प्रशांत व विवेक चौधरी के खिलाफ 13 जुआ अधिनियम और साक्ष्य मिटाने का केस दर्ज किया है। रजिस्टर में मिले नाम और मोबाइल नंबर के जरिए गिरोह के दूसरे सदस्यों की तलाश चल रही है।

चार हजार प्रतिमाह पर लिया था डिब्बा फोन

प्रशांत ने एसटीएफ को बताया कि कानपुर के रहने वाले संदीप से किराए पर (चार हजार रुपये प्रतिमाह) पर डिब्बा फोन दिया था। जिसके जरिए वह सट्टा लगाता था।

धोखा देने वालों के लिए काल रिकार्डिग

इतना ही नहीं, सट्टेबाजों ने पैसा लगाने के बाद धोखा देने वालों पर शिकंजा कसने का रास्ता भी तलाश लिया था। वे मैच में पैसा लगाने वाले की हर काल को रिकार्ड करते थे। बाद में अगर वो पूरा पैसा देने में आनाकानी करता था तो उसे काल रिकार्डिंग सुनाकर पूरी रकम देने के लिए दबाव बनाया जाता था। यह पूरा गिरोह कानपुर के मेन बुकी के द्वारा संचालित किया जा रहा था।


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