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Gorakhpur kidnapping Case : दो बार दिया बेहोशी का इंजेक्शन, शोर मचाया तो घोंट दिया गला

Gorakhpur student kidnapping case गोरखपुर में छात्र का अपहरण के बाद अपहरणकर्ताओं ने उसे इंजेक्शन का डबल डोज दिया था।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 11:25 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 09:38 PM (IST)
Gorakhpur kidnapping Case : दो बार दिया बेहोशी का इंजेक्शन, शोर मचाया तो घोंट दिया गला
Gorakhpur kidnapping Case : दो बार दिया बेहोशी का इंजेक्शन, शोर मचाया तो घोंट दिया गला

गोरखपुरजेएनएनछात्र के अपहर्ताओं ने बीआरडी मेडिकल कालेज के सामने सड़क की दूसरी तरफ स्थित एक मेडिकल स्टोर से बेहोशी का इंजेक्शन लिया था। दवा विक्रेता ने डाक्टर के पर्चे के बिना ही उन्हें इंजेक्शन दे दिया था। अपहर्ताओं से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने दवा विक्रेता को हिरासत में ले लिया है। एसएसपी डाॅ. सुनील गुप्त ने बताया कि दवा के विक्रेता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

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पांचवी कक्षा के छात्र बलराम गुप्त को अगवा करने के बाद उसे खामोश रखने के लिए अपहर्ताओं ने दो बार उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया था। गिरफ्तार किए गए अपहर्ताओं ने हस्तक्षेप में बताया है कि बंधक बनाए जाने का शक होने के बाद बलराम ने शोर मचाना शुरू किया था। इस स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने पहले से तैयारी कर रखी थी। इसके लिए उन्होंने बेहोशी का इंजेक्शन खरीद रखा था। अपहर्ताओं ने बताया कि उन्हें पहले से पता था कि मेडिकल कालेज के सामने स्थित दवा की एक दुकान पर डाक्टर के पर्चे के बिना भी आराम से कोई भी दवा मिल जाती है। दवा को नशे के तौर पर लेने वाले इलाके के कई नशेड़ी उस दुकान से दवा के तौर पर इस्तेमाल होने वाली वली दवा खरीदते रहते हैं। इसलिए बेहोशी का इंजेक्शन खरीदने के लिए उन्होंने उसी दुकान का चयन किया। बलराम के शोर मचाने पर पहले उन्होंने संकेत के इंजेक्शन का उसे डबल डोज दिया। फिर उसका गला घोंटने के बाद मौत के प्रति आश्वस्त होने के लिए दोबारा उसे बेहोशी का 

दवा की अधिक मात्रा शरीर में बन गई थी जहर 

इंजेक्शन के जरिए बलराम को दी गई बेहोशी की दवा की अधिक मात्रा शरीर में जाने के बाद जहर बन गई थी। इसलिए उसका शरीर काला पड़ गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बेहोशी की दवा की अधिक मात्रा की वजह से ही शरीर में जहर की मौजूदगी पाई गई है। 

फर्जी दस्तावेज पर सिम एक्टीवेट होने पर उठा सवाल

फर्जी दस्तावेज की मदद से सिम एक्टीवेट करने का मामला नया नहीं है। अक्सर अपराधी ऐसे ही सिम का इस्तेमाल करते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए प्रदेश भर में पुलिस ने सेवा प्रदाता कंपनियों को सिम एक्टीवेट करने के नियम कड़े करने के निर्देश दिए थे। ताकि असल दस्तावेजों के बिना सिम एक्टीवेट न हो सके। इस दिशा में मोबाइल कंपनियों ने काफी काम भी किया है। इसके बाद भी अपहरण की घटना में प्रयुक्त सिम को फर्जी दस्तावेज लगाकर एक्टीवेट करने पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एसएसपी डा. सुनील गुप्त ने बताया कि इस दिशा में भी गहराई से छानबीन की जा रही है। फर्जी दस्तावेज पर सिम एक्टीवेट करने में लिप्त लोगों के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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