एक गांव ऐसा भी जहां 40 फीसद डायबिटीज के मरीज, जानें क्या है कारण
जिगिना मिश्र नामक इस गांव में 40 प्रतिशत लोग मधुमेह के रोगी हैं। यह जानकारी एक शोध में मिली है। हैरान करने वाला यह नतीजा डाक्टरों को परेशान कर दिया है।
By Edited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 07:30 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 12:45 PM (IST)
गोरखपुर, जेएएनन। बदलती जीवनशैली और तनाव के चलते डायबिटीज अब गांवों में भी तेजी से अपने पांव पसार रही है। देवरिया जिले का जिगिना मिश्र गांव इसकी नजीर है जहां के 40 फीसद परिवारों के लोग बीमारी की गिरफ्त में आ चुके हैं। ऐसे लोगों की संख्या गांव में तेजी से बढ़ रही है। शोध के बाद हुई जानकारी यह चौंकाने वाला खुलासा एक शोध में हुआ है।
यह शोध बीते साल बायोजीन नामक संस्था के निदेशक डा. पुष्पांक वत्स ने किया। शोध पत्र इसी साल राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्कूल आफ लाइफ साइंसेज द्वारा आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस आन माल्यूक्यूलर बेसिस आफ डिजीज एंड थीराप्यूटिक्स 2019 की ऐब्सटै्रक्ट पुस्तिका में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिक प्रश्नोत्तरी पर आधारित इस शोध में गांव में रहने वाले सभी 115 परिवारों के 176 वयस्कों का चयन दिया गया। यह सभी लोग 20-79 वर्ष के बीच के हैं। बातचीत के दौरान इनसे आयु, वजन, फास्टिंग ब्लड सुगर, पोस्ट प्रान्डियल ब्लड सुगर, रैंडम ब्लड सुगर, डायबिटीज से पीड़ित होने का वर्ष, चल रही दवाएं, रक्तचाप आदि से जुड़े सवाल पूछे गए।
हैरान करने वाले हैं नतीजे
डा. पुष्पांक वत्स का कहना है कि जो नतीजे मिले वह बेहद हैरान करने वाले हैं। इसके अनुसार 176 में से 69 लोग बीमारी से ग्रसित पाए हैं जो यहां के 40 फीसद परिवारों से थे। जारी है वजह की तलाश शोध करने वाली संस्था बायोजीन के निदेशक व बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. पुष्पांक वत्स ने बताया कि गांव में इतनी बड़ी तादाद में लोगों के डायबिटीज से पीड़ित होने की वजह जीवन शैली, जलवायु, या फिर अनुवांशिक है या कुछ और इस पर शोध जारी है।
यह शोध बीते साल बायोजीन नामक संस्था के निदेशक डा. पुष्पांक वत्स ने किया। शोध पत्र इसी साल राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्कूल आफ लाइफ साइंसेज द्वारा आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस आन माल्यूक्यूलर बेसिस आफ डिजीज एंड थीराप्यूटिक्स 2019 की ऐब्सटै्रक्ट पुस्तिका में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिक प्रश्नोत्तरी पर आधारित इस शोध में गांव में रहने वाले सभी 115 परिवारों के 176 वयस्कों का चयन दिया गया। यह सभी लोग 20-79 वर्ष के बीच के हैं। बातचीत के दौरान इनसे आयु, वजन, फास्टिंग ब्लड सुगर, पोस्ट प्रान्डियल ब्लड सुगर, रैंडम ब्लड सुगर, डायबिटीज से पीड़ित होने का वर्ष, चल रही दवाएं, रक्तचाप आदि से जुड़े सवाल पूछे गए।
हैरान करने वाले हैं नतीजे
डा. पुष्पांक वत्स का कहना है कि जो नतीजे मिले वह बेहद हैरान करने वाले हैं। इसके अनुसार 176 में से 69 लोग बीमारी से ग्रसित पाए हैं जो यहां के 40 फीसद परिवारों से थे। जारी है वजह की तलाश शोध करने वाली संस्था बायोजीन के निदेशक व बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. पुष्पांक वत्स ने बताया कि गांव में इतनी बड़ी तादाद में लोगों के डायबिटीज से पीड़ित होने की वजह जीवन शैली, जलवायु, या फिर अनुवांशिक है या कुछ और इस पर शोध जारी है।
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