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यूपी के इस गांव में आज भी 50 परिवार रह रहे छप्पर के मकान में

आवास योजना से पक्के मकान बनने की रफ्तार काफी तेज हुई है लेकिन संतकबीर नगर जिले के सांथा ब्लाक के ग्राम पंचायत गोबड़ौरी के गोपालपुर गांव के करीब 50 परिवार आज भी छप्पर के मकान में जीवन गुजार रहे हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 08:30 PM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 08:30 PM (IST)
यूपी के इस गांव में आज भी 50 परिवार रह रहे छप्पर के मकान में
बेलहर ब्लाक के गोपालपुर गांव में आवास की आस में शुभावती। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : शासन के निर्देश पर आवास योजना से पक्के मकान बनने की रफ्तार काफी तेज हुई है, लेकिन संतकबीर नगर जिले के सांथा ब्लाक के ग्राम पंचायत गोबड़ौरी के गोपालपुर गांव के करीब 50 परिवार आज भी छप्पर के मकान में जीवन गुजार रहे हैं। गरीबों की इस बस्ती में आधा से अधिक लोगों के पास अभी भी छप्पर ही नसीब है। यहां के लोग जाड़ा, गर्मी और बरसात में किसी तरह से रात काटते हैं। यहां के लोगों की दुर्दशा देखकर जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल भी खड़ा होता है।

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इन गरीबों के हाथ फिलहाल खाली

वैसे जिम्मेदारों द्वारा सभी को आवास उपलब्ध कराने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन इन गरीबों के हाथ फिलहाल खाली हैं। गांव में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। बारिश और सर्द रात जैसे-तैसे कटती है, क्योंकि मजदूरी से पेट भर जाए वही काफी है। पक्के मकान बनाने के बारे में तो गरीब सोच भी नहीं सकते।

लोहिया गांव के बाद भी सुविधाओं का टोटा

गोबड़ौरी ग्राम पंचायत को लोहिया समग्र गांव का दर्जा एक दशक पूर्व प्राप्त था। गांव लोहिया होने के बाद भी आवास से लेकर यहां अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभी तक टोटा है। ग्रामीणों के स्तर से कई बार प्रधान व ब्लाक के अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया गया, लेकिन उनके नसीब में अभी तक पक्के मकान नहीं आ सके। वैसे तो प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रतिवर्ष दो दर्जन से अधिक आवास आवंटित होते हैं, लेकिन इन गरीबों के खाते में अभी तक आवास की सुविधा नहीं दर्ज हो सकी। गोपालपुर गांव की आबादी करीब आठ सौ है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

गोपालपुर की सुभावती कहती हैं कि पिछले 40 वर्षों से छप्पर में ही सर्दी-गर्मी व बरसात का मौसम गुजर रही है। अधिकारी गांव में आते हैं और हम लोगों की पीड़ा को सुनते और देखते हैं। बाद में आवास देने का आश्वासन देकर रफूचक्कर हो जाते हैं। गांव की राधिका का कहना है कि दूसरे गांव में लोगों को आवास पाने की जानकारी मिलती है तो ब्लाक का दरवाजा खटखटाया जाता है, लेकिन अभी तक आवास की सुविधा नहीं मिल सकी है। शिवपूजन कहते हैं कि ग्राम प्रधान से लेकर ब्लाक के अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया गया। हर बार आश्वासन की पोटली थमाकर वापस भेज दिया जाता है। छप्पर में बारिश और सर्दी की रात गुजारना कठिन साबित हो रहा है। राधेश्याम का कहना है कि सरकार के द्वारा प्रत्येक गरीबों को पक्के मकान दिए जाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन गोपालपुर गांव में अभी भी छप्पर में ही लोग रात गुजार रहे हैं। यहां सरकार का दावा जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से जमीन पर नहीं उतर सका है।

अभी भी बड़ी संख्या में छप्पर में जीवन गुजार रहे हैं लोग

सांथा के बीडीओ महाबीर सिंह ने कहा कि गोपालपुर में अभी भी बड़ी संख्या में लोग छप्पर में जीवन गुजार रहे हैं। इनमें से अधिकतर का नाम सामाजिक, आर्थिक, जातिगत जनगणना में नहीं है। जिनका नाम आवास की सूची में है, उन्हें लक्ष्य के हिसाब से आवास आवंटित किया जा रहा है। जो लोग आवास से वंचित होंगे, उन्हें अगली सूची में वरीयता के आधार पर आवास आवंटित किया जाएगा।


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