इस मिल में कभी 50,000 कुंतल गन्ने की प्रतिदिन होती थी पेराई, अब खोजे नहीं मिल रहे खरीदार
पडरौना जिला प्रशासन को ढूंढे पडरौना चीनी मिल के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। यह मिल कभी पचास हजार कुंतल गन्ने की प्रतिदिन पेराई करती थी।
गोरखपुर, अनिल पाठक। पिछले पांच वर्षों से पडरौना जिला प्रशासन को ढूंढे पडरौना चीनी मिल के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। यह मिल कभी पचास हजार कुंतल गन्ने की प्रतिदिन पेराई करती थी। अब आलम यह है कि 32 बार नीलामी की तिथि घोषित करने के बाद भी इस चीनी मिल को खरीदार नहीं मिले। खरीदारों के न आने से बकाए गन्ना मूल्य व वेतन पाने की उम्मीदें पाले किसान व मजदूर पूरी तरह निराश हो चुके हैं। हाईकोर्ट के निर्देश पर बकाए भुगतान को लेकर पडरौना चीनी मिल की नीलामी होनी है। 29 सितंबर 2013 को शुरू हुई नीलामी प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई। उस समय जेएचवी सुगर मिल एवं ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन लि. पडरौना (पूर्व नाम कानपुर सुगर वर्क्स लि. इकाई) की परिसंपत्तियों का आकलन 47 करोड़ 69 लाख 83 हजार दो सौ तीन रुपये किया गया था।
2012 में बंद हुई मिल
यह चीनी मिल वित्तीय वर्ष 2011-12 में गन्ने की पेराई कर किसानों व मजदूरों का बाकी लगाकर पडरौना चीनी मिल बंद हो गई थी। बंदी के समय मिल प्रतिदिन 50,000 क्विंटल गन्ने की पेराई करती थी।
सर्किल रेट बढऩे से परिसंपत्तियों का मूल्य बढ़ा
वर्ष 2013 में संपत्तियों का मूल्यांकन तहसील प्रशासन द्वारा 47 करोड़ रुपये किया गया था। जनवरी 2018 के अंतिम सप्ताह में हाईकोर्ट के सख्त रूख पर तहसील प्रशासन ने मिल की संपत्तियों का पुन: मूल्यांकन किया। गाटों की संख्या 11 से बढ़ कर 17 और क्षेत्रफल 4.890 से बढ़कर 7.743 हेक्टेयर हो गया। मिल की परिसंपत्तियां 87 करोड़ 92 लाख 97 हजार नौ सौ 51 रुपये आंकी गई।
यह है बकाया
पडरौना चीनी मिल के ऊपर किसानों व कर्मचारियों समेत अन्य कुल बकाया 51 करोड़ 31 लाख 25 हजार रुपये हैं। इसमें किसानों का 46 करोड़ 75 लाख 92 हजार, कर्मचारी भविष्य निधि के एक करोड़ आठ लाख 34 हजार, उप श्रमायुक्त गोरखपुर का 93 लाख 91 हजार, व्यापार कर विभाग का दो करोड 53 लाख आठ हजार शामिल है।
हाईकोर्ट को भेजी जाएगी रिपोर्ट
डीएम डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि खरीदार न आने से नीलामी नहीं हुई। इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट को भेजी जाएगी।
इंतजार में बैठे रहे अधिकारी, नहीं आए खरीदार
हाईकोर्ट के निर्देश पर तहसील प्रशासन को बंद पडरौना चीनी मिल की नीलामी प्रक्रिया पूरी करने में इस बार भी नाकामयाबी हाथ लगी। सोमवार की सुबह 10 बजे तहसील सभागार में एसडीएम गुलाबचंद राम की देखरेख में नीलामी की कार्रवाई शुरू हुई। अधिकारी बैठे रहे, लेकिन कोई खरीदार नहीं आए। बताया जाता है कि बोली लगाने के लिए 50 हजार रुपये की जमानतराशि जमा करनी थी। हालत यह रही कि दोपहर दो बजे तक कोई खरीदार नहीं आए। जेएचवी सुगर मिल एवं ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन लि.पडरौना (पूर्व नाम कानपुर सुगर वक्र्स लि.इकाई) की परिसंपत्तियों का नए सर्किल रेट से 87 करोड़ 92 लाख 97 हजार नौ सौ 51 रुपये आकलन की गई थी। इसलिए नीलामी की प्रक्रिया इसी धनराशि पर शुरू हुई। इसमें मिल पर किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों तथा गन्ना समितियों का बकाया है।
अपने-अपने बकाए भुगतान के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। इस मामले में न्यायालय ने तहसील प्रशासन को 29 सितंबर 2013 को मिल की संपत्तियों को नीलाम कर बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया था। तब से जुटे तहसील प्रशासन को अब तक सफलता नहीं मिली। हर बार खरीदारों के न आने से नीलामी की अगली तिथि तय की जाती है। इस मौके पर तहसीलदार संजय कुमार राय, लेखपाल सदर योगेंद्र गुप्ता, वरिष्ठ लिपिक अमानत हुसेन, अमीन संतोष यादव आदि मौजूद रहे। इसके पूर्व बीते 3 दिसंबर को भी नीलामी के इंतजार में अधिकारी बैठे रह गए, लेकिन कोई खरीदार नहीं आए। इस संबंध एसडीएम ने कहा कि उच्चाधिकारियों को इससे अवगत करा दिया गया है। अगली नीलामी की तिथि शीघ्र तय होगी।