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आनंदीबेन पटेल ने कहा- बेटे-बेटियों की शिक्षा में असंतुलन चिंता का विषय, शोध करे विश्‍वविद्यालय Gorakhpur News

कुलाधिपति ने विवि के कुलपति से कहा कि बेटियां क्यों आगे आ रही है और बेटे क्यों पीछे जा रहे हैं विश्वविद्यालय में इस विषय पर भी शोध कराएं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 07:08 PM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 08:00 PM (IST)
आनंदीबेन पटेल ने कहा- बेटे-बेटियों की शिक्षा में असंतुलन चिंता का विषय, शोध करे विश्‍वविद्यालय Gorakhpur News
आनंदीबेन पटेल ने कहा- बेटे-बेटियों की शिक्षा में असंतुलन चिंता का विषय, शोध करे विश्‍वविद्यालय Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के 38वें दीक्षा समारोह में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों में मेडल पाने में बेटियों के अव्वल रहने पर जहां खुशी जाहिर की वहीं बेटों के पीछे रहने पर चिंता भी जताई। उन्होंने छात्रों से अपील करते हुए कहा कि वह भी बेटियों की तरह आगे आएं। कुलाधिपति ने कहा कि वह जिन-जिन विश्वविद्यालयों में गईं हैं वहां सभी जगह मेडल पाने वालों में छात्राओं की तादाद अधिक रही है। यह असंतुलन नहीं होना चाहिए। यह देश के विकास में बाधक है।

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इस पर शोध जरूरी

कुलाधिपति ने विवि के कुलपति से कहा कि बेटियां क्यों आगे आ रही है और बेटे क्यों पीछे जा रहे हैं विश्वविद्यालय में इस विषय पर भी शोध कराएं। हास्य वातावरण पैदा करते हुए उन्होंने कहा कि डीडीयू विवि में कोई तो ऐसा आगे आए और कहे कि यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो मुझे करना होगा। हालांकि छात्राओं की यह स्थिति ही महिला सशक्तीकरण अभियान की सफलता है।

विवाह हो तो गोल्ड मत मांगना

कुलाधिपति ने कहा कि परिश्रम ही सफलती की कुंजी है। परिश्रम करते रहो और आगे बढ़ते रहो। दहेज प्रथा की आलोचना करते हुए स्वर्ण पदक हासिल करने वाले विद्यार्थियों से अपील की कि वह इस सोने को अपने शो-केस का हिस्सा बनाएं, लेकिन यह भी संकल्प लेें कि जब आपका विवाह हो तो गोल्ड मत मांगना। यही सच्ची शिक्षा है। अगर यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप अपनढ़ ही नहीं बल्कि उससे भी ज्यादा हैं। इसे आचरण में उतारेेंगे तभी यह कुरीतियां समाज से मिटेंगी और आपका जीवन उत्कृष्ट होगा। आप आदर्श नागरिक बनेें, ताकि पूरा गांव व समाज आपको देखे। यही आप सभी को मेरा उपदेश है।

शिक्षा में हस्तक्षेप करें, विवाह में नहीं

दीक्षा समारोह में एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कुलाधिपति ने बाल विवाह का जमकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि अभिभावक का कर्तव्य सबसे पहले बच्चों को अच्छे संस्कार देना, अच्छी शिक्षा देना और आगे बढऩे के लिए प्रेरित करना है। न कि उनका बाल विवाह कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पाना है। इसी क्रम में उन्होंने अभिभावकों को यह भी सीख दी कि वह बच्चों के शिक्षा और संस्कार के विकास में हस्तक्षेप करें मगर उनका विवाह उन्हीं पर छोड़ दें।

पर्यावरण संरक्षण की तय की जिम्मेदारी

कुलाधिपति ने अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता, प्लास्टिक मुक्त, जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण अभियान की चर्चा करना नहीं भूलीं। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि उनके प्रयास से ही इन अभियान की सफलता सुनिश्चित हो सकती है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हाल ही में पद्मश्री से सम्मानित होने वाली एक अशिक्षित महिला का जिक्र करते हुए कहा कि यदि एक अशिक्षित महिला का इस माध्यम से पूरे देश के लिए मिसाल बनना हर किसी के लिए प्रेरणा है।

प्रत्‍येक शिक्षक टीबी के एक मरीज को गोद लें

कुलाधिपति ने प्रधानमंत्री के वर्ष-2025 तक टीबी मुक्त देश करने के अभियान से सभी को जुडऩे की अपील की। उन्होंने कहा कि हम सभी को भी इससे जुडऩा चाहिए। इस विवि के सभी शिक्षक कम से कम एक-एक कुपोषित या टीवी ग्रस्त बच्चे को गोद ले और उसके पीछे पांच से छह माह तक कार्य करें।

विचारों में आए हैं परिवर्तन

दीक्षा समारोह के दौरान कुलाधिपति ने कहा कि आज महिलाएं अनपढ़ होते हुए भी कई स्थानों पर कार्य कर दस से पंद्रह हजार रुपये कमा रहीं हैं। उनसे जब मैंने पूछा कि क्या आपके बच्चे पढ़ते हैं तो वह कहती हैं कि बहन जी हम तो नहीं पढ़ें कम से कम हमारे बच्चे तो पढ़े। क्योंकि हम नहीं चाहते कि नहीं पढऩे से आज जो परेशानियां हमें उठानी पड़ रहीं हैं वह हमारे बेटे-बेटियों को उठानी पड़े। उनके विचारों में परिवर्तन आया है। जिससे मैं काफी खुश हूं।


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