मछली पालन में रखें इन बातों का ध्यान, होंगे मालामाल
नीली क्रांति योजना मछली पालकों का भविष्य संवार रही है। योजना के तहत मछली पालकों को तालाब बनाने के लिए अनुदान व प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
गोरखपुर, (राजेश्वर शुक्ला)। अगर आप नया तालाब बनाकर मछली पालन करना चाहते हैं तो खर्च से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि नीली क्रांति योजना अब मछली पालकों का भविष्य संवार रही है। योजना के तहत मछली पालकों को तालाब बनाने के लिए अनुदान व प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
0.2 हेक्टेयर के तालाब में कर सकते हैं मछली पालन
मत्स्य विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीके चौबे बताते हैं कि 0.2 हेक्टेयर के तालाब में मछली पालन की शुरुआत की जा सकती है। तालाब बनाने में करीब 70 से 80 हजार रुपये का खर्चा आता है। बीज के लिए जिले के मत्स्य पालक विकास अभिकरण से संपर्क किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एक हेक्टेयर तालाब बनाने की यूनिट कास्ट करीब पांच लाख रुपये आती है, जिसका 40 फीसद अनुदान सरकार देती है और 60 फीसद मछली पालक को देना होता है। हालांकि वर्ष 2015-16 तक यह अनुदान 75 फीसद था। तालाब सुधार के लिए भी अनुदान मिलता है। उसमें 25 फीसद मछली पालक को देना होता है। इसकी कास्ट नौ लाख रुपए की आती है। चौबे ने बताया कि कभी-कभी तालाब कंकरीली और पथरीली जमीन पर बन जाता है तो उसमें पानी बहुत तेजी से नीचे जाता है वो अच्छा नहीं होता है।
मछली पालन तालाब के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी
मछली पालन तालाब के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। तालाब चारों तरफ से ऐसा बना हो जिसमें बरसात का पानी आसानी से निकल जाए। इसमें मत्स्य अधिकारी से सहायता ली जा सकती है। मिट्टी की जांच कराना भी जरूरी है। वह बताते हैं कि एक हेक्टेयर तालाब में 10-15 हजार बीज जो 25-35 मिलीलीटर का हो, उसको डालना चाहिए। नीली क्रांति मिशन के अंदर मिशन फिंगर लिंक (अंगुलिका) शुरू किया गया है। अंगुलिका मतलब उंगली के बराबर मछली तालाबों में डालनी चाहिए उससे उत्पादकता काफी अच्छी हो जाती है। गोरखपुर में छपिया में सरकारी हैचरी है जहां से किसान मछली का बीज ले सकता है।
मछलियों के लिए दो तरह का आहार महत्वपूर्ण
मछलियों को आहार देने के बारे में बीके चौबे बताते हैं कि मछलियों के लिएदो तरह का आहार महत्वपूर्ण है। कुदरती आहार और पूरक आहार। कुदरती आहार जो तालाब में ही पैदा होता है उसके लिए मछली पालकों को तालाब में गोबर और रासायानिक खादों का प्रयोग करना चाहिए। एक हेक्टेयर तालाब में एक महीने में एक टन गोबर किनारे-किनारे डालना चाहिए। यह मछलियों के लिए काफी पोषक होता है। रासायनिक खाद जिसमें नाइट्रोजन फास्फोरस पोटेशियम रहता है का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए मिट्टी की जांच बहुत जरूरी है।