हमारे इतिहास से हम ही गायब हैं तो रुचि कहां से होगी : बालमुकुंद Gorakhpur News
अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बाल मुकुंद पांडेय ने गोरखपुर में कहा कि हमारे इतिहास से हम ही गायब हैं तो इतिहास में रुचि कहां से होगी।
By Edited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 07:03 AM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 03:01 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। हमारे इतिहास में हम ही नहीं हैं। इसीलिए इसे कोई रुचि से नहीं पढ़ता। कोई प्रतियोगी परीक्षा पास करने के लिए पढ़ता है तो कोई अच्छे नंबरों के लिए। हर छोटे-छोटे स्थानों का अपना समृद्ध इतिहास है। सब रीजनल हिस्ट्री के जरिए हम इन्हीं स्थानों का वास्तविक इतिहास सामने लाने के कार्य में लगे हैं। जब इतिहास में हमारे गांव, परिवेश और हमसे जुड़ी बातें शामिल होंगी तो निश्चित ही इसमें रुचि पैदा होगी।
यह बातें अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बाल मुकुंद पांडेय ने कहीं। कुशीनगर के बुद्ध पीजी कालेज में आयोजित युग-युगीन कुशीनगर कार्यक्रम में शिरकत करने आए बालमुकुंद शुक्रवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में दैनिक जागरण से बातचीत कर रहे थे। कहा कि कुशीनगर का इतिहास बुद्ध से पहले का भी है। तमाम ऐसे तथ्य हैं, जिसके बारे में लोग अनभिज्ञ हैं।
इस आयोजन में कुशीनगर से जुड़े और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को आमंत्रित किया गया है। आयोजन के जरिये यहां के वास्तविक इतिहास पर मंथन होगा। कहा कि कुशीनगर की तहर करीब 50 से 55 स्थानों पर युग-युगीन कार्यक्रम आयोजित किया जा चुका है। हमें यूरोप केंद्रित इतिहास की जगह भारत केंद्रित इतिहास की जरूरत है।
बालमुकुंद ने कहा कि अब इतिहासकारों की दृष्टि भारतीय हो रही है। कहा कि इतिहास में 'कौन' पर चर्चा हुई, 'क्यों' पर नहीं। कहा कि नई पीढ़ी सकारात्मक इतिहास को लेकर सामने आ रही है, थोड़ा समय लगेगा लेकिन सब ठीक होगा।
यह बातें अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बाल मुकुंद पांडेय ने कहीं। कुशीनगर के बुद्ध पीजी कालेज में आयोजित युग-युगीन कुशीनगर कार्यक्रम में शिरकत करने आए बालमुकुंद शुक्रवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में दैनिक जागरण से बातचीत कर रहे थे। कहा कि कुशीनगर का इतिहास बुद्ध से पहले का भी है। तमाम ऐसे तथ्य हैं, जिसके बारे में लोग अनभिज्ञ हैं।
इस आयोजन में कुशीनगर से जुड़े और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को आमंत्रित किया गया है। आयोजन के जरिये यहां के वास्तविक इतिहास पर मंथन होगा। कहा कि कुशीनगर की तहर करीब 50 से 55 स्थानों पर युग-युगीन कार्यक्रम आयोजित किया जा चुका है। हमें यूरोप केंद्रित इतिहास की जगह भारत केंद्रित इतिहास की जरूरत है।
बालमुकुंद ने कहा कि अब इतिहासकारों की दृष्टि भारतीय हो रही है। कहा कि इतिहास में 'कौन' पर चर्चा हुई, 'क्यों' पर नहीं। कहा कि नई पीढ़ी सकारात्मक इतिहास को लेकर सामने आ रही है, थोड़ा समय लगेगा लेकिन सब ठीक होगा।
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