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चीन से मोह भंग हुआ तो बढ़ गया निर्यात, दक्षिण अफ्रीका व तुर्की तक जा रहा गोरखपुर का उत्पाद

गोरखपुर की फैक्‍ट्र‍ियों में तैयार होने वाले उत्पाद देश के कोने-कोने में जाने के साथ दक्षिण अफ्रीका तुर्की इजिप्ट पेरू में भी भेजे जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल में कई देशों का चीन से मोह भंग हो गया है और इसका फायदा भारत को मिला है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 01:02 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 07:45 PM (IST)
चीन से मोह भंग हुआ तो बढ़ गया निर्यात, दक्षिण अफ्रीका व तुर्की तक जा रहा गोरखपुर का उत्पाद
गोरखपुर के उत्‍पादों की इस समय व‍िदेशों में धूम है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, उमेश पाठक। सुविधाओं की कमी के कारण दूसरे शहरों एवं प्रदेशों के उद्यमियों में गोरखपुर की नकारात्मक छवि थी। पिछले चार साल में सुविधाएं बढ़ीं, माहौल बदला तो यहां के औद्योगिक जगत को पंख लग गए। औद्योगिक इकाइयों की तेजी से स्थापना हुई और यहां तैयार होने वाले उत्पाद देश के कोने-कोने में जाने के साथ दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, इजिप्ट, पेरू में भी भेजे जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल में कई देशों का चीन से मोह भंग हो गया है और इसका फायदा भारत को मिला है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद गोरखपुर से होने वाले निर्यात में काफी वृद्धि दर्ज की गई है। दूसरे देशों में जाने वाले उत्पादों में टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़े उत्पाद अधिक हैं। यहां से दूसरे देशों में हर साल करीब 300 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का उत्पाद भेजा जाता है।

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कोरोना संक्रमण काल के बाद चीन से मोह भंग हुआ तो बढ़ गया है निर्यात

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) एवं गोरखपुर इंडस्ट्रियल एस्टेट मिलाकर करीब 500 औद्योगिक इकाइयां हैं। इनमें करीब 200 इकाइयों की स्थापना पिछले चार वर्षों में हुई है। यहां तैयार होने वाले उत्पादों की मांग बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में रही है। निर्यातकों के जरिए कुछ उत्पाद बाहर भी भेजे जाते थे। कोरोना की दूसरी लहर के बाद निर्यात में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इसमें सर्वाधिक योगदान टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़े उत्पादों का है। धागा बनाने वाली कंपनी अंकुर उद्योग के एमडी निखिल जालान कहते हैं कि पिछले पांच से सात सालों से निर्यात प्रभावित था लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद एक बार फिर निर्यात बढ़ा है। उनकी कंपनी से तुर्की व कुछ अन्य देशों में प्रतिमाह होने वाले कुल उत्पाद का करीब 20 फीसद निर्यात किया जाता है।

इसल‍िए पसंद की क‍िए जा रहे भारतीय उत्‍पाद

अंकुर उद्योग में हर महीने 1500 टन धागा का उत्पादन होता है। निखिल बताते हैं कि चीन से निर्यात कम होने के बाद यहां के उत्पाद अधिक पसंद किए जा रहे हैं। देश के भीतर पंजाब के लुधियाना, राजस्थान के भिलवाड़ा एवं महाराष्ट्र के भिवंडी में भी माल जाता है। महावीर जूट मिल के एमडी धीरज मस्करा का कहना है कि इजिप्ट, पेरू आदि देशों में धागे का निर्यात बढ़ा है। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में भी धागा एवं जूट के बोरे की आपूर्ति की जाती है। प्रोसेस‍िंग हाउस वीएन डायर्स के एमडी एवं चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विष्णु प्रसाद अजितसरिया बताते हैं कि उनके यहां तैयार कपड़ा दक्षिण अफ्रीका के देशों में जाता है। अपने देश में कोलकाता, दिल्ली में अधिक मांग होती है। कई दक्षिण अफ्रीकी देशों में भी यहां तैयार कपड़ा जाता है। पहले निर्यात कम था लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद काफी बढ़ गया है। हर महीने करीब चार कंटेनर कपड़ा बाहर जाता है। एक कंटेनर में एक लाख मीटर कपड़ा होता है। इस समय कुल उत्पाद का करीब 50 फीसद निर्यात हो रहा है। इसके साथ ही यहां तैयार उत्पाद पड़ोसी देश नेपाल भी भेजे जाते हैं।

इन उत्पादों का भी होता है निर्यात

गोरखपुर में तैयार कूलर, पंखा एवं अन्य इलेक्ट्रानिक उत्पाद भी बाहर जाते हैं। इसके साथ ही डिस्पोजल सिङ्क्षरज, फुटवियर, सरिया, पीएफ मीटर, लिक्विड आक्सीजन, सैनिटाइजर, सोडियम हाइपोक्लोराइड, लकड़ी के फर्नीचर, प्लाईवुड, केमिकल्स एवं डाई, गीता प्रेस की पुस्तकें भी दूसरे देश में भेजी जाती हैं। इनमें से अधिकतर उत्पाद सीधे नेपाल भेजे जाते हैं।

दूसरे प्रदेशों में खूब है मांग

यहां तैयार कपड़े बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडीसा आदि राज्यों में भेजे जाते हैं। लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष एवं उद्यमी दीपक कारीवाल का कहना है कि गीडा में तैयार कपड़े की मांग स्कूल ड्रेस के लिए खूब होती है। हर साल करीब तीन करोड़ मीटर कपड़ा दूसरे राज्यों को भेजा जाता है। स्कूल खुलने से उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही फ्लोर मिल उत्पाद, बेकरी उत्पाद भी दूसरे प्रदेशों में पसंद किए जाते हैं।

गोरखपुर में औद्योगिक इकाई लगाने को बढ़ी है उद्यमियों की रुचि

माहौल बदलने के बाद गोरखपुर में औद्योगिक इकाई लगाने के लिए उद्यमियों की रुचि बढ़ी है। गोरखपुर व आसपास के क्षेत्रों से जुड़े और बाहर रहकर व्यवसाय करने वाले कई लोग गीडा प्रबंधन के संपर्क में हैं। करीब एक साल पहले 68 भूखंड वहां आवंटित हुए थे, जिसमें से 30 फीसद लोग बाहर से आ रहे हैं। मुंबई में रहने वाले उद्यमी रवींद्र जायसवाल 50 करोड़ की लागत से इकाई लगाने जा रहे हैं। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में रेडीमेड गारमेंट शामिल होने के बाद यहां बनाए जा रहे गारमेंट पार्क में भी बाहर के दो दर्जन से अधिक उद्यमियों ने आवेदन किया है। इसमें कोलकाता, लुधियाना व मुंबई के लोग शामिल हैं। एक उद्यमी निर्यात के लिए रेडीमेड गारमेंट तैयार इकाई लगाने जा रहे हैं। कोरोना काल में बाहर से लौटकर आए कई प्रवासी कामगारों ने भी छोटी-छोटी इकाइयां लगाने के लिए ऋण के लिए आवेदन किया है। गोरखपुर में करीब 40 हजार से अधिक प्रवासी कामगार आए थे। आदित्य बिड़ला समूह भी यहां पेंट की इकाई लगाने के लिए बातचीत कर रही है।

पिछले कुछ वर्षों से गोरखपुर में औद्योगिक दृष्टि से सकारात्मक एवं उत्साहजनक माहौल बना है। यहां तैयार उत्पाद दूसरे प्रदेशों में तो जा ही रहे हैं। विदेश में भी भेजे जा रहे हैं। गोरखपुर रेडीमेड गारमेंट का हब बन रहा है और बाहर के कई लोग यहां औद्योगिक इकाई लगाने जा रहे हैं। - एसके अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष चैंबर आफ इंडस्ट्रीज।


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