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आइएएस-आइपीएस बनने के लिए अभी से करनी होगी पढ़ाई Gorakhpur News

दैनिक जागरण के बाल संवाद कार्यक्रम में एसएसपी जोगेंद्र कुमार से बच्चों ने जमकर सवाल पूछे। बच्चों ने महिला सुरक्षा आदि के विषय में जाना। एसएसपी ने इस दौरान एक के बाद एक सवालों का जवाब देकर बच्चों की उत्सुकता शांत किया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 08:30 AM (IST)
आइएएस-आइपीएस बनने के लिए अभी से करनी होगी पढ़ाई Gorakhpur News
स्‍कूली बच्‍चों के सवालों का जवाब देते एसएसपी जोगेंद्र कुमार।

गोरखपुर, जेएनएन। अपराधियों से शिकंजा कसने से लेकर ट्रैफिक कंट्रोल करने वाली पुलिस को लेकर बच्चों के मन में तमाम सवाल तैरते रहते हैं। दैनिक जागरण के बाल संवाद कार्यक्रम में एसएसपी जोगेंद्र कुमार से बच्चों ने जमकर सवाल पूछे। बच्चों ने महिला सुरक्षा आदि के विषय में जाना। एसएसपी ने इस दौरान एक के बाद एक सवालों का जवाब देकर बच्चों की उत्सुकता शांत किया। एसएसपी ने बच्चों से कहा कि वह यदि सिविल परीक्षा की तैयारी करना चाहते हैं तो स्नातक उत्तीर्ण होने की प्रतीक्षा ना करें। बल्कि अभी से उसके लिए तैयारी शुरू कर दें। सिविल की तैयारी के लिए जनरल स्टडीज महत्वपूर्ण है। छठवीं, सातवीं तक के भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं। ऐसे में 10वीं से ही उस परीक्षा के प्रति गंभीर होना होगा।

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स्‍कूली बच्‍चे पहुंचे एसएसपी कार्यालय

दैनिक जागरण के बाल संवाद कार्यक्रम में गोरखपुर पब्लिक स्कूल, स्प्रिंगर पब्लिक स्कूल के बच्चे एसएसपी कार्यालय में मौजूद रहे ।  एसएसपी ने छात्र-छात्राओं को महिला सुरक्षा, क्राइम कंट्रोल, पार्किंग की समस्या के निराकरण के संबंध में वृहद जानकारी दी। इस दौरान बच्चों ने इससे जुड़े सवाल भी किए। एसएसपी ने उन सवालों का जवाब देकर उन्हें संतुष्ट भी किया।

जानें, छात्रों ने क्‍या सवा किया

गोरखपुर पब्लिक स्कूल के शुभम गुप्‍ता ने सवाल करते हुए कहा कि घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाले को ही पुलिस घायल के रूप में प्रयोग करती है। इससे घायलों की मदद नहीं हो पाती है। इसका निराकरण कैसे हो सकता है। उन्‍हें बताया गया कि घायल को गवाह बनाने का कोई नियम नहीं है। अब न्यायालय ने भी इस पर अंकुश लगा दिया है। ऐसे में घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को गवाह के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है। लोगों को घायलों की सहायता करनी चाहिए। वहीं के आर्यन ने पूछा कि क्या कारोना से संक्रमित होकर भी काम करने का अवसर मिला है। उन्‍हें एसएसपी ने बताया कि मैं कभी कोरोना संक्रमित नहीं रहा। चार दिनों तक आइसोलेशन में रहकर काम करता रहा हूं। जाह्नवी शुक्‍ला ने पूछा कि सड़क पर मौजूद फुटपाती दुकानदारों के कारण पैदल चलने वालों को कठिनाई होती है। इससे निराकरण के लिए  क्या किया जा रहा है। उन्‍हें बताया गया कि इसके लिए नगर निगम, प्रशासन व पुलिस को संयुक्त प्रयास करना होगा। शहर में कुछ स्थान इनके लिए आवंटित कर दिया जाना चाहिए। इसके लिए तीनों विभाग से आपस में बात कर स्थायी समाधान खोजा जाएगा। शगुन ने कहा कि हर स्थान पर सीसीटीवी की व्यवस्था है, लेकिन पुलिस उसकी ढंग से निगरानी क्यों नहीं करती है। उन्‍हें बताया गया कि शहर के 11 चौराहों पर आइटीएमएस(इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) के तहत 26 सीसी कैमरे लगे हैं। इनकी मानीटङ्क्षरग भी की जाती है। इसके अलावा लोगों ने अपने घरों में कैमरा लगवाया है। उनसे कैमरे सड़क की तरफ रखने के लिए कहा गया है। शहर के 80 चौराहों पर अभी आइटीएमएस के तहत और कैमरे लगने हैं। इसके बाद ट्रैफिक नियंत्रित होगी ही। अपराध पर भी अंकुश लगेगा। एसएसपी ने इसके अलावा महिला सुरक्षा, हेल्पलाइन नंबर, पार्किंग की समस्या के निदान आदि के विषय में जानकारी दी। साथ ही यह भी कहा कि बच्चों को माक्र्स से ज्यादा कांसेप्ट क्लीयर करने पर ध्यान देना चाहिए। ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण होकर सिविल की परीक्षा क्लीयर किया है। ऐसे में बच्चों को खूब पढऩा चाहिए। विशेष रूप से बालिकाओं को। वह पढ़कर अधिकारी बनें। तभी समाज में बालिकाओं की स्थिति और बेहतर होगी।

स्‍कूली छात्रों ने जागरण को दिया धन्‍यवाद

शगुन यादव का कहना है कि दैनिक जागरण का यह प्रयास सराहनीय है। सीधे संवाद से पुलिस की कठिनाइयों के विषय में जानने को मिला। साथ ही आगे बढऩे की प्रेरणा भी मिली। आर्यन सिंह का कहना है कि आत्मविश्वास मजबूत हुआ है। किसी भी पद को प्राप्त करने के लिए तैयारी की आवश्यकता है। श्रेया यादव ने कहा कि संवाद से यह भी ज्ञात होता है कि कोई भी चीज आसानी से नहीं मिलती है। अधिक श्रम की जरूरत होती है। जबकि शुभम गुप्‍ता का कहना है कि दैनिक जागरण ने बच्चों को एक बड़ा प्लेटफार्म दिया है। आज बाल संवाद के जरिये काफी कुछ जानने को मिला।


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