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UP Panchayat Election 2021: बिना लड़े ही मैदान से बाहर हो गए सैकड़ोंं चुनावी दिग्‍गज

UP Panchayat Election 2021 सैकड़ों निवर्तमान प्रधान क्षेत्र पंचायत सदस्य जिला पंचायत सदस्य आरक्षण सूची की मार से बिना लड़े ही मैदान से बाहर हो गए। लंबे समय से समाजसेवा करने वाले उम्मीदवारों को आरक्षण सूची से जोर का झटका लगा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 09:27 PM (IST)
UP Panchayat Election 2021: बिना लड़े ही मैदान से बाहर हो गए सैकड़ोंं चुनावी दिग्‍गज
पंचायत चुनाव की आरक्षण आवंटन लिस्‍ट जारी होते ही हजारों दिग्‍गज चुनावी अखाड़े से बाहर हो गए। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, अतुल मिश्रा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण सूची चस्पा होते ही इस बार भी कुर्सी पर काबिज होने की हसरत रखने वाले कई चुनावी दिग्‍गज इतिहास बन गए। बिना चुनाव लड़े यह दिग्‍गज चित हो गए। सैकड़ों निवर्तमान प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य आरक्षण सूची की मार से बिना लड़े ही मैदान से बाहर हो गए। लंबे समय से समाजसेवा करने वाले उम्मीदवारों को आरक्षण सूची से जोर का झटका लगा है। इसमें कईयों निवर्तमान प्रधान लंबे समय से पद पर काबिज रहे। उनको आरक्षण की मार ने घर बैठने के लिए मजबूर कर दिया है। संतकबीर नगर जिले में मेंहदावल, सांथा व बेलहर ब्लाक में दो दर्जन से अधिक निवर्तमान प्रधानों को लड़ने के लिए मैदान ही नहीं मिला। इससे उनके यहां गम का माहौल है। सैकड़ों नए दावेदारों को भी अब चुनाव के लिए पांच वर्ष इंतजार करना पड़ेगा। यह स्थिति संतकबीर नगर ही नहीं अन्‍य जिलों की भी है।

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मेंहदावल में यह हुए लड़ाई से बाहर

संतकबीर नगर के मेहदावल के भरथुआ ग्राम पंचायत में 2010 में धर्मसेन सिंह, 2015 में उनके पुत्र धनंजय सिंह को प्रधान पद के लिए जनता ने चुना। इस बार आरक्षण में सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। इससे इन्हें जोर का झटका लगा है। जोरवा ग्राम पंचायत में जगदीश पांडेय प्रधान थे। यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए सुरक्षित हो गई। बनकसिया में अजय सिंह प्रधान थे। यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए सुरक्षित हुई है। फरदहां ग्राम पंचायत में रिजवान अहमद निवर्तमान प्रधान चुने गए थे। इस बार यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए सुरक्षित हुई है। इन्हें भी मैदान से बाहर होना पड़ा है। घूरापाली में अनिल निषाद प्रधान थे। सीट अनुसूचित होने से यह भी बाहर हुए। श्रीनगर, कुसौना खुर्द, कुसौना कला में भी लंबे समय से निवर्तमान प्रधानों का कब्जा था। सीट अनुसूचित व पिछड़ा होने के कारण इन प्रत्याशियों को भी मैदान से बाहर होना पड़ा है।

सांथा में इनपर पड़ी आरक्षण की मार

सांथा ब्लाक के परसा माफी ग्राम पंचायत में लगातार तीन बार प्रधान रहे नबी मोहम्मद इस बार अनुसूचित सीट होने के कारण चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। करमा कला में रेनू चतुर्वेदी प्रधान थी। यह सीट पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। सांथा ग्राम पंचायत में सरोज चौधरी प्रधान थी। आजादी के बाद यह पहली बार सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई। परसिया में आशा चौधरी प्रधान थी। यह सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। डबरा में ज्ञानचंद चौधरी प्रधान थे। यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। रैधरपार में जैशराम निषाद प्रधान थे। यह सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई है। जिससे इनको भी मैदान से बाहर होना पड़ा है।

बेलहर में इन लड़ाकों को नहीं मिला मैदान

मंझरिया पठान श्रीराम यादव व उनकी पत्नी लगातार पांच बार प्रधान रहे। इस बार यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। इससे इन्हें मैदान से बाहर बैठना पड़ा है। इसी प्रकार छितरापार में हरिराम यादव लगातार तीन बार प्रधान रहे। यह सीट भी अनुसूचित जाति होने के कारण इन्हें भी लड़ाई का मौका नहीं मिला। बरगदवा कला हबीबुल्लाह प्रधान थे। यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है जिससे यह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। कैथवलिया में हरिप्रताप सिंह लगातार प्रधान थे। अनुसूचित जाति सीट होने के कारण यह भी चुनाव से बाहर हो गए।

जिला पंचायत सदस्य पद के लिए भी बदली स्थिति

सांथा वार्ड नंबर पांच से अनुसूचित जाति की सीट पर अवधेश प्रसाद जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। इस बार यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। इसी प्रकार वार्ड नंबर छह पिछड़ा वर्ग होने पर बीते चुनाव में जाहिद अली जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। यह सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई है जिससे इन्हें भी मैदान से बाहर होना पड़ सकता है। मेंहदावल वार्ड नंबर दो सीट सामान्य है। लेकिन भौगोलिक क्षेत्रफल वह गांव के कटने से वर्तमान जिला पंचायत सदस्य गयासुद्दीन चौधरी भी मैदान से बाहर हो गए है।


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