Coronavirus: संक्रमित लोगों को अब पुलिस कराएगी अस्पताल में भर्ती, मनमाने होम आइसोलेशन पर लगेगी रोक
कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें इन अवस्थाओं के बावजूद लोग अस्पताल नहीं जाना चाह रहे हैं। चिकित्सकों और आरआरटी के साथ लोग बहसबाजी भी कर रहे हैं और इनकार कर देते हैं। ऐसे लोगों के लिए दूसरी व्यवस्था है।
गोरखपुर, जेएनएन। कोविड-19 से बीमार होने पर होम आइसोलेशन का निर्णय तभी लेना चाहिए जब संबंधित चिकित्सक और रैपिड रेस्पांस टीम (आरआरटी) की सलाह हो। कुछ लोग तमाम परामर्श के बावजूद मनमाने तरीके से होम आइसोलेशन में रहना चाहते हैं। यह प्राणघातक हो सकता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने अपील की है कि जिले में कोरोना के निश्शुल्क इलाज के लिए 600 बेड की सुविधा उपलब्ध है। लोगों को इसका लाभ लेना चाहिए। बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में उच्च चिकित्सा हेतु 500 बेड की सुविधा उपलब्ध है, वहीं टीबी अस्पताल में 90 बेड कोविड हेतु समर्पित हैं। जो लोग निजी व्यवस्था में इलाज करवाना चाहते हैं उनकी सहमति से उनके खर्चे पर निजी अस्पतालों में भी भर्ती की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। रेलवे अस्पताल में भी कोविड के लिए 25 बेड की सुविधा है। ऐसे में होम आइसोलेशन का विकल्प उन्हीं लोगों को चुनना चाहिए जो कि इसके योग्य हैं।
19 अक्टूबर तक कुल 3201 मरीज भर्ती
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि 19 अक्टूबर तक जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों में कोरोना के कुल 3201 मरीज भर्ती करवाए गए। जिले में 13765 लोग होम आइसोलेशन में इलाज करवा चुके हैं। होम आइसोलेशन एक बेहतर विकल्प भी है लेकिन अति बुजुर्ग, गंभीर तौर पर बीमार लोगों के लिए यह घातक साबित हो सकता है। कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें इन अवस्थाओं के बावजूद लोग अस्पताल नहीं जाना चाह रहे हैं। चिकित्सकों और आरआरटी के साथ लोग बहसबाजी भी कर रहे हैं और इनकार कर देते हैं। संज्ञान में आने पर ऐसे लोगों को पुलिस की सहायता से अस्पताल में भर्ती भी कराया जा रहा है, लेकिन यह हालात ठीक नहीं हैं। अगर कोई होम आइसोलेशन योग्य नहीं है तो उसे खुद अस्पताल में भर्ती होने हेतु पहल करनी चाहिए। ऐसे मरीजों के स्वजन को भी सहयोगात्मक रवैया अपनाना होगा।
जिले में 1.65 मृत्यु दर
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में कोरोना की मृत्यु दर 1.65 प्रतिशत है। इसे और भी कम किया जा सकता है अगर लोग समय रहते अस्पतालों में कोरोना मरीज को भर्ती करवा दें। अक्सर देखा जा रहा है कि मरीज की हालत बहुत ज्यादा खराब होने के बाद लोग संपर्क करते हैं और जब तक मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है तब तक काफी देर हो चुकी रहती है। इस सोच को बदलना होगा।
होम आइसोलेशन की शर्तें
उपचार करने वाले चिकित्सक ऐसे मरीज को लक्षणविहीन रोगी घोषित करें। चिकित्सक और आरआरटी की सहमति अनिवार्य। घर में कम से कम दो शौचालय हों। मरीज के आइसोलेशन का इंतजाम अनिवार्य। एचआईवी, अंग प्रत्यारोपण और कैंसर का पहले से उपचार लेने वाले लोग इसके पात्र नहीं होंगे। 24 घंटे देखरेख करने के लिए घर में एक व्यक्ति उपलब्ध हो जिसे केयर गीवर कहा जाएगा, जो अस्पताल से निरंतर संपर्क बनाए रखे। केयर गीवर और नजदीकी सम्पर्कियों को चिकित्सक के परामर्श के अनुसार दवा लेनी होगी। आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कर ब्लू टूथ और वाईफाई सक्रिय रखना होगा और उस पर स्वास्थ्य की स्थिति अपडेट करनी होगी। स्मार्ट फोन न होने की दशा में कोविड कंट्रोल रूम में रोजाना स्वास्थ्य संबंधित जानकारी देनी होगी। आइसोलेशन एप को स्मार्ट फोन में डाउनलोड करना होगा। उपचाराधीन को अपने सेहत के नियमित अनुश्रवण को स्वीकार करना होगा और जिला सर्विलांस अधिकारी को इसकी नियमित सूचना देनी होगी। निर्धारित प्रपत्र पर एक अंडरटेकिंग देनी होगी, जिसमें संबंधित उपचाराधीन कोविड-19 प्रोटोकॉल के पालन का वचन देगा। इस अंडरटेकिंग पर विचार के बाद ही चिकित्सक इसकी अनुमति देंगे।