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CBSE Board: हाई स्‍कूल और इंटर के पाठ्यक्रम में 50 फीसद कटौती संभव

स्कूल बंद होने से छात्रों के प्रैक्टिकल नहीं हुए हैं ऐसे में बोर्ड इस बार प्रायोगिक परीक्षा न कराकर छात्रों से प्रोजेक्ट व असाइनमेंट लेने पर विचार कर रहा है। कुछ प्रश्नों को मुख्य परीक्षा में ही शामिल करने को लेकर प्रधानाचार्यों से रायशुमारी की जा रही है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 05:56 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 05:56 PM (IST)
CBSE Board: हाई स्‍कूल और इंटर के पाठ्यक्रम में 50 फीसद कटौती संभव
ये है सीबीएसई बोर्ड की प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना काल में स्कूल बंद होने से छात्रों की पढ़ाई में आई बाधा दूर करने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 10वीं व 12वीं के पाठ्यक्रमों की कटौती 30 से बढ़ाकर 50 फीसद करने की तैयारी में है। इसके लिए जिला समन्वयकों के माध्यम से प्रधानाचार्यों का फीडबैक लिया जा रहा है।

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सभी जिला समन्वयकों से एक से 15 मार्च के बीच परीक्षा कराने को लेकर भी राय मांगी गई है। स्कूल बंद होने से छात्रों के प्रैक्टिकल नहीं हुए हैं, ऐसे में बोर्ड इस बार प्रायोगिक परीक्षा न कराकर छात्रों से प्रोजेक्ट व असाइनमेंट लेने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा अलग से प्रैक्टिकल कराने की बजाय उसके कुछ प्रश्नों को मुख्य परीक्षा में ही शामिल करने को लेकर प्रधानाचार्यों से रायशुमारी की जा रही है। जनपद में हाई स्‍कूल और इंटर के कुल 113 विद्यालय हैं। इसमें हाईस्कूल में छात्रों की संख्या 15 हजार और इंटर में छात्रों की संख्या 12 हजार है।

क्या कहते हैं प्रधानाचार्य

आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य विशाल त्रिपाठी का कहना है कि पाठ्यक्रम में कटौती होने से छात्र कई विषय वस्तुओं से वंचित रह जाएंगे, जिसका प्रभाव आगे की कक्षाओं पर पड़ेगा। मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि बोर्ड अब पाठ्यक्रम में कटौती न करे। जहां तक प्रायोगिक परीक्षा का सवाल है तो इसे लिखित परीक्षा के साथ मिश्रित किया जा सकता है। जेपी एजुकेशन एकेडमी के प्रधानाचार्य डा. सलिल के श्रीवास्तव का कहना है कि पाठ्यक्रम में पहले ही तीस फीसद की कटौती हो चुकी है। इसे और अधिक करना उचित नहीं होगा। बेहतर होगा कि परीक्षा मार्च में न कराकर अप्रैल मध्य या मई के प्रथम सप्ताह में कराई जाए। प्रायोगिक परीक्षा भी कराई जाए, लेकिन लिखित के बाद। वहीं सीबीएसई के जिला समन्‍वयक अजित दीक्षित का कहना है कि पहली बार बोर्ड नीति निर्धारण के संबंध में सभी प्रधानाचार्यों की राय ले रहा है। यह स्वागत योग्य कदम है। प्रधानाचार्य जो राय देंगे वह सभी शिक्षकों का सामूहिक विचार होगा। इससे बोर्ड को निर्णय लेने में आसानी होगी।


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