हल्के में न लें हाई ब्लड प्रेशर, ठंड में हो सकता है जानलेवा
ठंड में ब्लड प्रेशर और सुगर का स्तर बढ़ जाता है। इससे ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। इसलिए सावधानी बरतें। सर्दी में नसें सिकुड़ जाती हैं।
By Edited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 09:29 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 09:52 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। ठंड में ब्लड प्रेशर और सुगर का स्तर बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक जानलेवा हो रहा है। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में गंभीर हालत में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज भर्ती हो रहे हैं। इसमें 35 साल के युवा से लेकर 70 साल के बुजुर्ग मरीज भी हैं। सर्दी में खून की नसें सिकुड़ जाती हैं, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।
चिकित्सक डा. सौरभ बरनवाल ने बताया कि हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह रोगियों में ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ने पर ब्रेन स्ट्रोक (दिमाग में खून का थक्का जमना, दिमाग की नस फटना) हो रहा है। गंभीर हालत में पहुंच रहे मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो रहा है। अगर ब्रेन स्ट्रोक में खून का थक्का जमा है तो चार घंटे में टिश्यू प्लामिनोनज एक्टिवेटर (टीपीए, इंजेक्शन) लगाया जाता है। इससे 70 फीसद मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। अभी 19 जनवरी को 35 वर्षीय रामबृक्ष को गंभीर हालत में परिजन जिला अस्पताल की इमरजेंसी लेकर पहुंचे।
इलाज शुरू करने से पहले ही ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो गई। इसी तरह 65 वर्षीय शीला देवी को ब्रेन स्ट्रोक के बाद 24 जनवरी को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां जांच कराई गई, कुछ देर बाद ही मौत हो गई। यह तो मात्र उदाहरण हैं। इसी तरह कई अन्य मरीजों की स्थिति बन सकती है। सात दिन तक कम न होने दें ब्लड प्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार खून का थक्का जमने से स्ट्रोक होने पर टीपीए नहीं लग पाता है तो ब्लड प्रेशर कम करने की दवा नहीं देनी चाहिए। एक सप्ताह तक ब्लड प्रेशर 190, 100 रहना चाहिए। इससे दिमाग को नुकसान होने से बच सकता है।
ये हैं बीमारी के लक्षण
- एक तरफ का हिस्सा टेढ़ा हो जाए
- एक हाथ और पैर न चले
- जुबान लड़लड़खाने लगे।
चिकित्सक डा. सौरभ बरनवाल ने बताया कि हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह रोगियों में ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ने पर ब्रेन स्ट्रोक (दिमाग में खून का थक्का जमना, दिमाग की नस फटना) हो रहा है। गंभीर हालत में पहुंच रहे मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो रहा है। अगर ब्रेन स्ट्रोक में खून का थक्का जमा है तो चार घंटे में टिश्यू प्लामिनोनज एक्टिवेटर (टीपीए, इंजेक्शन) लगाया जाता है। इससे 70 फीसद मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। अभी 19 जनवरी को 35 वर्षीय रामबृक्ष को गंभीर हालत में परिजन जिला अस्पताल की इमरजेंसी लेकर पहुंचे।
इलाज शुरू करने से पहले ही ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो गई। इसी तरह 65 वर्षीय शीला देवी को ब्रेन स्ट्रोक के बाद 24 जनवरी को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां जांच कराई गई, कुछ देर बाद ही मौत हो गई। यह तो मात्र उदाहरण हैं। इसी तरह कई अन्य मरीजों की स्थिति बन सकती है। सात दिन तक कम न होने दें ब्लड प्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार खून का थक्का जमने से स्ट्रोक होने पर टीपीए नहीं लग पाता है तो ब्लड प्रेशर कम करने की दवा नहीं देनी चाहिए। एक सप्ताह तक ब्लड प्रेशर 190, 100 रहना चाहिए। इससे दिमाग को नुकसान होने से बच सकता है।
ये हैं बीमारी के लक्षण
- एक तरफ का हिस्सा टेढ़ा हो जाए
- एक हाथ और पैर न चले
- जुबान लड़लड़खाने लगे।
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