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यहां पर 274 आशा कार्यकर्ता निष्क्रिय, प्राइवेट अस्पतालों में कुछ काम करते मिलीं

देवरिया जनपद में 274 आशा कार्यकर्ता निष्क्रिय चल रही हैं। इसकी जानकारी एसीएमओ की जांच में हुई है। इनकी उपलब्धियां भी शून्य हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 07:09 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 07:09 AM (IST)
यहां पर 274 आशा कार्यकर्ता निष्क्रिय, प्राइवेट अस्पतालों में कुछ काम करते मिलीं
यहां पर 274 आशा कार्यकर्ता निष्क्रिय, प्राइवेट अस्पतालों में कुछ काम करते मिलीं

गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया जनपद में निचले पायदान पर स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाने की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी आशा कार्यकर्ताओं का कार्य में मन नहीं लग रहा है। ऐसे में ढाई सौ से अधिक आशा कार्यकर्ता सरकारी की मंशा पर पानी फेरने में लगी हैं। सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था का पूरा फायदा आशा कार्यकर्ता उठा रही हैं। वह मरीजों को सरकारी अस्पताल न ले जाकर प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराकर मोटी कमाई कर रही हैं। कई बार महिला चिकित्सालय व प्राइवेट अस्पतालों में आशा कार्यकर्ता पकड़ी भी गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। बस उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। निचले पायदान की सबसे मजबूत कड़ी पर ही महकमे का नियंत्रण नहीं है, जिससे पात्रों को स्वास्थ्य सुविधाओं व योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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जांच में उपलब्धि शून्य

एसीएमओ की जांच में सलेमपुर, लार, भागलपुर, रुद्रपुर, गौरीबाजार, पथरदेवा, रामपुर कारखाना, तरकुलवा, देसही देवरिया, बैतालपुर की कुल 274 आशा कार्यकर्ताओं की तीन माह में उपलब्धि शून्य है। बीते जुलाई माह में समीक्षा के दौरान एसीएमओ डा.एसएन ¨सह ने अपनी रिपोर्ट मुख्य चिकित्साधिकारी को सौंपी। एसीएमओ ने निष्क्रिय आशा कार्यकर्ताओं के निष्कासन की संस्तुति की, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। आशा कार्यकर्ताओं की करतूत हर रोज सामने आ रही है। सरकारी अस्पताल से मरीजों को प्राइवेट में पहुंचा कर मोटी कमाई करने वाली आशा कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं।

निष्क्रिय कार्यकर्ताओं की सूची मिली

इस संबंध में देवरिया के सीएमओ डा.धीरेंद्र कुमार का कहना है कि यह सही है, कि कई आशा कार्यकर्ता ठीक ढंग से कार्य नहीं कर रही थीं। उनके निष्कासन के लिए एसीएमओ की जांच रिपोर्ट मेरे पास आई है, लेकिन पल्स पोलियो अभियान को देखते हुए कार्रवाई नहीं की गई। सभी चिह्नित आशाओं को सख्त चेतावनी दी गई है। अगर सुधार नहीं होता है तो आगे निष्कासन की कार्रवाई भी की जाएगी।

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