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इन्हें तो घायलों की जान बचाने का जुनून, डीएम, एसपी और मंत्री कर चुके हैं सम्मानित

शिव नारायण हर बीमार मरीजों को एंबुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाते हैं। इसके बदले वह मरीज या उसके परिजन से कोई पैसा नहीं लेते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Feb 2019 07:08 AM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 07:08 AM (IST)
इन्हें तो घायलों की जान बचाने का जुनून, डीएम, एसपी और मंत्री कर चुके हैं सम्मानित
इन्हें तो घायलों की जान बचाने का जुनून, डीएम, एसपी और मंत्री कर चुके हैं सम्मानित

गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया जिला मुख्यालय पर एक ऐसा भी युवा है जो एंबुलेंस चलाता है, लेकिन वह ऐसे मरीजों की जान भी बचाता है जिसके पास धन नहीं है। मरीजों को अस्पताल पहुंचा कर उसकी जान बचाता है। इस नेक कार्य के चलते वह लंबे समय से चर्चा में है। शहर के कई समाजसेवियों के पास उसका मोबाइल नंबर भी है, अगर कोई मरीज तड़प रहा है और सरकारी एंबुलेंस नहीं पहुंच रही है या आने में विलंब है तो वह अपना निजी एंबुलेंस लेकर पहुंचता है और उसे अस्पताल पहुंचाकर जीवनदान देता है। वह अपने नेक कार्य के लिए डीएम, एसपी व प्रदेश सरकार के मंत्री से भी सम्मानित हो चुके हैं।

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जी हां, हम बात कर रहे हैं देवरिया रामनाथ निवासी शिव नारायण मणि त्रिपाठी की। शहर में कहीं भी एक फोन पर वह पहुंचते हैं और अपनी एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाते हैं। यह कार्य वह पांच वर्ष से कर रहे हैं। अब तक तीन दर्जन से अधिक लोगों की जान बचा चुके हैं। वैसे भी गांव से शहर ले जाने के लिए मरीजों को काफी परेशानी होती रहती है। वाहन के अभाव में कुछ मरीज गंभीर होकर घर बैठ जाते हैं। ऐसे मरीजों के लिए शिव नारायण मणि त्रिपाठी किसी मां-बाप से कम नहीं है। सूचना मिलते ही वह एंबुलेंस लेकर पहुंचते हैं और मरीज को अस्पताल पहुंचा देते हैं। इसके बदले वह कुछ भी नहीं लेते हैं।

ऐसे मिली प्रेरणा

शिव नारायण ने बताया कि वह जिला अस्पताल के समीप एंबुलेंस से मरीजों को मेडिकल कालेज पहुंचाने का कार्य करते हैं। इस कार्य में उन्हें परिवार चलाने भर की कमाई हो जाती है। एक दिन उन्होंने देखा कि एक महिला मरीज परेशान है और सरकारी एंबुलेंस का एक घंटे से इंतजार कर रही है, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिल रहा है। उन्होंने प्राइवेट एंबुलेंस से जाने को कहा तो उसने रुपये नहीं होने की बात की। शिव नारायण का मन द्रवित हो उठा और वह उसे अपने एंबुलेंस से मेडिकल कालेज पहुंचाए और रुद्रपुर निवासी उस मरीज की जान बची। तभी से उन्होंने संकल्प लिया कि गरीबों की सेवा वह निश्शुल्क करेंगे।


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