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राप्ती की तेज कटान से नकइल-सेमरौना बांध को खतरा

देवरिया में बरसाती नाला बथुआ में भी आया उफान गंभीर हो रही स्थिति।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 10:52 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 05:01 AM (IST)
राप्ती की तेज कटान से नकइल-सेमरौना बांध को खतरा
राप्ती की तेज कटान से नकइल-सेमरौना बांध को खतरा

देवरिया, जेएनएन। बावन गांवों की सुरक्षा का भार ढोने वाले नकइल-सेमरौना बांध पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भारी बारिश से राप्ती नदी का जल स्तर बढ़ने के साथ ही बहाव की रफ्तार तेज हो गई है। बरसाती नाला बथुआ की उफान से संवेदनशील बिदु के समीप कटान तेज हो गई। उफनाती धारा हर दिन तटबंध के करीब होती जा रही किन्तु बचाव के उपाय की कौन कहे जिम्मेदार मौके पर झांकने तक नहीं पहुंच आए।

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क्षेत्र का करीब 13 किमी लम्बा नकइल-सेमरौना बांध राप्ती के पानी की रफ्तार व विभागीय उदासीनता का शिकार हो गया है। जिस पर बरसाती नाला बथुआ का उफान भारी पड़ रहा है। नदी व नाले की धारा के आपस में टकराने से पानी बैक रोल कर रहा है। जिसका नतीजा है कि संवेदनशील बिदु किमी 04 पर कटान तेज हो गई है। इसके अलावे बंधे पर जगह-जगह बने बड़े-बड़े रेन कट व किमी शून्य पर तलासपुरवा में हो रही कटान ने तटबंध के आसपास बसे 52 गांवों की करीब 50 हजार से अधिक की आबादी की नींद उड़ा दी है। स्थिति बद से बदतर होने के बावजूद विभाग की सुस्ती का आलम यह है कि मरम्मत की कौन कहे कटान व मौजूदा हालात जानने तक के लिए कोई जिम्मेदार नही पहुंचा।

नकइल-सेमरौना बांध के किमी 4 पर ग्राम गायघाट के समीप संवेदनशील बिदु है। जहां पर चार बार राप्ती की धारा में विलीन हो चुके बांध को बचाने के लिए वर्ष 2009 में करीब 10 करोड़ की लागत से 300 मीटर पक्का लांचिग एप्रन, स्लोप पिचिग के साथ 9 कटर व तीन ठोकर बनाया गया। उसके बाद भी कटान नही थमने पर वर्ष 2018 में जीआई बैग से लगभग 12 करोड़ खर्च कर 2 डेम्पनर, 3 स्पर व 510 मीटर लांचिग एप्रन एवं पिचिग का कार्य कराया गया। वहीं तलासपुरवा में किमी शून्य पर हो रही कटान रोकने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नही किया गया। वहां टहनी व झाड़ियों से स्थिति सम्भालने का प्रयास किया जा रहा।

धन खर्च करने के बाद भी हालात रहते हैं बेकाबू

क्षेत्र के कुंवर विजेंद्र सिंह, राम मनोहर यादव, छबीला, रंगलाल, विश्वम्भर यादव, इन्द्रासन, श्रीराम, रणजीत, गामा यादव आदि का कहना है कि विभाग बांध का नुकसान होने पर धन तो खर्च करता है। कितु समस्या के समाधान के लिए कोई कारगर योजना नहीं बनाता। जिसकी वजह से कटान की समस्या हमेशा बरकरार रहती है। एक सप्ताह पूर्व हुई भारी बरसात के बाद अचानक नदी का रुख बदल गया और वह तटबन्ध के मोड़ पर बोल्डर पिचिग के समीप कटान करने लगी।

बांध की सुरक्षा प्राथमिकता में शामिल है। नदी का रुख बदलते रहने के कारण कटान की स्थिति उत्पन्न हो जा रही। बचाव के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा। हालात से निपटने के लिए सभी बिदुओं पर अध्ययन कर परियोजना तैयार की जा रही है।

नरेंद्र जाड़िया,

अधिशासी अभियंता बाढ़ खण्ड, देवरिया


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