खट्टी-मीठी जिंदगी में घुली ज्ञान की मिठास, मेहनत व जुनून से सिर बंधा सफलता का सेहरा
बढ़िया चाट बनाने के लिए जैसे उनके पिता एकाग्रता और बारीकी के साथ खटाई मिठाई नमक मिर्च मिलाते हैं उसी तरह उन्होंने एकाग्रता व मेहनत के बीच संतुलन बिठाया।.. और आइआइटी में प्रवेश की पात्रता हासिल कर जिंदगी की इंजीनियरिंग सुधार ली
प्रभात पाठक, गोरखपुर। कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। कहने के लिए तो यह महज कहावत है, लेकिन अपनी मेहनत व जुनून की बदौलत इसे साबित कर दिखाया है शहर के बशारतपुर निवासी विजय गुप्ता के बेटे विवेक ने। आर्थिक तंगी से जूझते हुए विवेक ने दिन-रात एक कर सिर्फ पढ़ाई की। चाट का ठेला लगाने वाले विजय का लक्ष्य बेटे को इंजीनियर बनाना था। इसके लिए वे कर्ज के बोझ तले दबते चले गए, लेकिन बेटे के ऊपर कभी अपनी आर्थिक तंगी की परछाई तक नहीं पड़ने दी।
विवेक ने जब आइआइटी मेन परीक्षा में 99.91 परसेंट हासिल किया तो पिता को मानो उनकी मुंह-मांगी मुराद मिल गई हो। वह खुशी से फफक पड़े और बेटे को गले लगा लिया। बेटे की सफलता में मां फूल कुमारी का भी त्याग कम नहीं था। अपनी सुख-सुविधाओं का त्याग कर सिर्फ बेटे की पढ़ाई की चिंता की। बेटा जब सफल हुआ तो वह भी उससे लिपट पड़ी और सिर पर हाथ फेरकर उसे और आगे बढ़ने के लिए आशीर्वाद दिया।
बचपन में ही पिता ने भांप ली थी मेधा: पिता विजय ने बचपन में ही विवेक की प्रतिभा भांप ली थी। उस समय से उसे इंजीनियर बनाने की ठान ली। कर्ज लेते गए, लेकिन विवेक की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी। यहां तक कि कोरोनाकाल में लॉक-डाउन के दौरान उनका चाट-फुल्की का धंधा भी चौपट हो गया, पर उसका असर उन्होंने बेटे की पढ़ाई पर नहीं पड़ने दिया। कड़ाके की ठंड हो या मूसलधार बारिश या फिर चिलचिलाती धूप, पिता विजय ने कभी इसकी परवाह नहीं की। बस उनके दिलों-दिमाग में एक ही बात रही कि बेटे को इंजीनियर बनाना है। उसके लिए जी-तोड़ मेहनत करनी है। होनहार बेटे की जरूरतों को पूरी करने के लिए विजय ने सुबह देखी न शाम, बस काम करते रहे और बेटे को पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहे।
आइआइटी में पढ़ना विवेक का सपना: आइआइटी मेन में सफलता का झंडा बुलंद कर चुके मेधावी विवेक का सपना आइआइटी में पढ़ाई करना है। आत्मविश्वास से लबरेज और अपनी सफलता से उत्साहित विवेक अपने आगे के लक्ष्य की तैयारी में जुट गए हैं। वह इस समय जेईई एडवांस की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि वह इस चुनौती को भी हर हाल में पार कर लेंगे।
चार से पांच घंटे नियमित पढ़ाई: बड़े भाई धीरज गुप्ता ने बताया कि व्यवसाय में पिता का सहयोग करते हुए विवेक ने पढ़ाई की। चूंकि मैंने भी एमएससी मैथ्स से किया है, इसलिए घर पर मैं पढ़ाई में उसकी पूरी मदद करता था। विवेक घर पर नियमित चार से पांच घंटे पढ़ाई करता था। उसकी सफलता में एनसीईआरटी की किताबों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके अलावा उसने किसी किताब को हाथ नहीं लगाया। उन्होंने बताया कि उसने हाईस्कूल की पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग से सीबीएसई बोर्ड से करते हुए 95.6 फीसद अंक हासिल किए।