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हथकरघा से बनी चादरों में होगी ब्रांडेड जैसी चमक Gorakhpur News

यह संभव होगा हथकरघा वस्त्र मंत्रालय की उस पहल से जिसमें बुनकरों को प्रशिक्षित करने के बाद उनके लिए बाजार भी तैयार किया जाएगा।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2020 01:55 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 01:55 PM (IST)
हथकरघा से बनी चादरों में होगी ब्रांडेड जैसी चमक Gorakhpur News
हथकरघा से बनी चादरों में होगी ब्रांडेड जैसी चमक Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। हथकरघा (हैंडलूम) से बनी चादर, तौलिया और अन्य कपड़े अब न केवल ब्रांडेड जैसे चमकेंगे बल्कि उसकी क्वालिटी भी शानदार होगी। तैयार माल को बेचने के लिए भी बुनकरों को भटकना नहीं पड़ेगा।

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प्रशिक्षण के लिए महाराष्ट्र और चेन्नई भेजे जाएंगे बुनकर

यह संभव होगा हथकरघा वस्त्र मंत्रालय की उस पहल से जिसमें बुनकरों को प्रशिक्षित करने के बाद उनके लिए बाजार भी तैयार किया जाएगा। गोरखपुर और संतकबीर नगर के कारीगरों को प्रशिक्षण के लिए महाराष्ट्र के भिवंडी और चेन्नई भेजा जाएगा।

50 हजार लोग जुड़े हैं बुनकरी पेशे से

इन दोनों जिलों में तकरीबन 50 हजार लोग बुनकरी के पेशे से जुड़े हैं। हालांकि यह संख्या कभी 1.5 लाख के आसपास थी। शहर के रसूलपुर, गोरखनाथ, पुराना गोरखपुर, अजय नगर, हुमायूंपुर उत्तरी, पिपरापुर, इलाहीबाग, दशहरीबाग, नौरंगाबाद, जाहिदाबाद बुनकरी के लिए मशहूर थे। समय के साथ कच्चा माल महंगा होने और बाजार न मिलने के कारण यह उद्योग दम तोडऩे लगा।

ब्रांडेड कंपनियों के कारण हैंडलूम पर बुरा असर

ब्रांडेड कंपनियों के चमकते उत्पादों की ओर लोगों के बढ़ते आकर्षण ने पूर्वांचल के इस उद्योग की कमर ही तोड़ दी। वर्तमान में हथकरघा पर तैयार होने वाले चादर, गमछा, पैंट का कपड़ा, स्कूल ड्रेस एवं तौलिया के लिए बाजार न मिल पाने के कारण उत्पादकों को अपना माल कम दाम पर बेचना पड़ता है।

सरकारी ने शुरू की योजनाएं 

बुनकरों की समस्या को समझते हुए प्रदेश सरकार ने उनके लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिसका लाभ उन्हें मिल भी रहा है। इसी बीच केंद्र सरकार भी बुनकरों पर मेहरबान हो गई और उनके उत्पाद को बेहतर बनाने का प्रयास शुरू कर दिया। इसके तहत दस दिन पहले दिल्ली से आई हथकरघा विशेषज्ञों की टीम ने बुनकरों से मुलाकात की। बुनकरों को बताया गया कि वह अपने उत्पाद को कैसे और बेहतर बना सकते हैं। बाजार के बारे में भी उन्हें कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईं। पुराना गोरखपुर निवासी इरफान अंसारी और जावेद ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद माल को बेचने के लिए बाजार मिल जाए तो हमारी जिंदगी संवर जाएगी। जो लोग इस पेशे को छोड़कर जा चुके हैं, वह लोग दोबारा इसे अपना लेंगे।

वस्‍त्र मंत्रालय ने दिया है सुझाव

इस संबंध में हथकरघा व वस्त्रोद्योग विभाग के सहायक आयुक्त रामबड़ाई का कहना है कि हथकरघा वस्त्र मंत्रालय की टीम ने हथकरघा बुनकरों से मिलकर उनकी समस्याएं पूछी हैं। साथ ही बेहतर उत्पाद तैयार करने के सुझाव भी दिए हैं, इससे निश्चित तौर पर बुनकरों की स्थिति में सुधार होगा।


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