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परिसर से- गुरुजी गंगा नहाने चले गए Gorakhpur News

पढ़ें- गोरखपुर से प्रभात पाठक का साप्‍ताहिक कॉलम- परिसर से..

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 10:30 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 11:35 AM (IST)
परिसर से- गुरुजी गंगा नहाने चले गए Gorakhpur News
परिसर से- गुरुजी गंगा नहाने चले गए Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। विश्वविद्यालय में आयोजित इस बार का गणतंत्र दिवस समारोह सुर्खियों में है। समारोह के संचालन की कमान एक गुरुजी के जिम्मे थी। इस अवसर का लाभ लेते हुए गुरुजी ने पहले से एक संगठन के पदाधिकारियों को मंच से भाषण दिलवाने की जिम्मेदारी ले रखी थी। बड़े साहब के उद्बोधन के बाद उन्होंने माइक से संगठन के पदाधिकारियों को मंच पर आमंत्रित कर डाला। पदाधिकारी अपनी मंशा में सफल हुए, लेकिन गुरुजी का यह कृत्य उनके गले की फांस बन गया। शिक्षक-कर्मचारी अंदर ही अंदर विरोध में आ गए। अगले दिन तो छात्रों ने भी गेट पर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसे 'प्रोटोकालÓ का उल्लंघन बताते हुए छात्र बड़े साहब के कार्यालय तक पहुंच गए। गुरुजी पर कार्रवाई की मांग करने लगे, जो नहीं कहना चाहिए था वह भी कहा। साहब ने जांच का आश्वासन दिया, तब मामला 'रफा-दफाÓ हुआ। उधर मामले की गंभीरता देख गुरुजी गंगा नहाने चले गए।

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रैन बसेरा में रह लेते

विश्वविद्यालय के शिक्षक आवासों में पानी के लिए हाय तौबा मची हुई है। कभी मोटर जलने से आपूर्ति बाधित हो जा रही है, तो कभी प्रेशर कम होने से मारामारी मच रही है। आवासों में रहने वाले शिक्षक किसी तरह से काम चला ले रहे हैं, लेकिन अब पानी उनके सिर से उपर उठ चुका है। पीने के लिए तो वे 'मिनरल वाटरÓ मंगा ले रहे हैं, लेकिन नहाने के लिए पानी कहां से लाएं? इस समस्या का निदान उन्हें नहीं सूझ रहा। कई शिक्षक सुबह विवि प्रशासन को कोसते हुए हाथ में बाल्टी लेकर पानी की तलाश में निकल पड़ते हैं। एक दिन एक गुरुजी बाल्टी लेकर छात्रावास पहुंचे, वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। अंत में वह गेट से बाहर पानी लेने आए। परेशान गुरुजी ने पूछने पर अपनी व्यथा सुनाई। कहने लगे कहां आकर फंस गए हैं। इससे तो बेहतर होता कि 'रैन बसेरा में रह लेते।

कर्नल साहब से भिड़े गुरुजी

शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर में एक गुरुजी इन दिनों अपने कारनामों को लेकर चर्चा में हैं। विभाग से लेकर प्रशासनिक भवन तक चर्चा में रहने वाले गुरुजी एक दिन किसी काम से अपना चार पहिया वाहन लेकर शहर में जा रहे थे। तभी गुरुजी की गाड़ी अचानक सामने से आ रहे 'कर्नल साहबÓ के वाहन से भिड़ गई। फिर क्या था, उन्होंने तत्काल कर्नल साहब को थाने ले जाने की धमकी दे डाली। 'कर्नल साहबÓ भी कहां पीछे हटने वाले थे, उन्होंने भी गुरुजी को भी इसके गलती के लिए सबक सिखाने की ठान ली। उधर से गुजर रहे कुछ छात्र, गुरुजी को पहचानते थे। मौके की नजाकत भांप छात्र तत्काल किसी तरह दोनों को समझाते हुए मामले को निपटाने में जुट गए। आखिरकार दोनों लोग थाने पहुंच ही गए। अंत में वहीं जाकर मामले का निपटारा हुआ। यह पूरा वाकया परिसर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

सेमिनार में जाएंगे तो 'पढ़ाएंगे कब?

आजकल शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर के कई गुरुजन सेमिनार और अन्य कार्यों से बाहर रहने लगे हैं। छात्र पढऩे के लिए आते हैं, तो पता चलता है कि गुरुजी नहीं हैं। रोज-रोज के इस चक्कर से छात्रों को अपना भविष्य संकट में नजर आ रहा है। विवि प्रशासन को कोसते हैं और फिर घर लौट जाते हैं। अब तो वे आपस में कानाफूसी भी करने लगे हैं। छात्रों के बीच चर्चा का विषय रहने वाले ये गुरुजन माह में चार-पांच दिन नहीं बल्कि पंद्रह से बीस दिन तक शहर से बाहर रहते हैं। छात्रों की परेशानी यह है कि उनकी पढ़ाई समय से पूरी नहीं हो रही। उनकी इस पीड़ा से गुरुजी भी वाकिफ हैं, लेकिन उन्हें इसकी परवाह नहीं। उन्हें छात्रों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है। विवि प्रशासन को ही इसके लिए कोई ठोस हल निकालना चाहिए, जिससे छात्रों का कोर्स समय से पूरा हो सके।


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