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सरकारी स्कूलों में किताबों के बिना चौपट हुई पढ़ाई, अब परीक्षा की घड़ी आई...

गोरखपुर जिले में परिषदीय स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई किताबों के बिना अधूरी रह गई। बच्चों को अभी भी किताबों का इंतजार है। जिले के साढ़े तीन लाख बच्चों को 25 लाख किताबें वितरित की जानी हैं। उधर बिना किताब के पढ़ाना शिक्षकों के लिए भी चुनौती बनी है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Tue, 29 Nov 2022 03:27 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 03:27 PM (IST)
सरकारी स्कूलों में किताबों के बिना चौपट हुई पढ़ाई, अब परीक्षा की घड़ी आई...
किताबों के अभाव में चौपट हुई सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, प्रभात कुमार पाठक। पढ़ाई की रफ्तार पकड़ने के लिए परिषदीय स्कूलों के बच्चे अभी भी नई किताबों का इंतजार कर रहे हैं। नया सत्र शुरू होने पर कहने के लिए विभाग ने पुरानी किताबों से पढ़ाई तो शुरू करा दी लेकिन वह भी खानापूरी साबित हुई। आठ माह तक शिक्षकों ने जैसे-तैसे बच्चों को पढ़ाया। वार्षिक परीक्षा है सिर पर है। ऐसे में अब अभिभावक से लेकर शिक्षक यही कह रहे हैं कि इस बार बिना किताब मिले ही बच्चे परीक्षा देंगे।

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साढ़े तीन लाख बच्चों को उपलब्ध कराई जाती है निश्शुल्क किताबें

जिले के सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत साढ़े तीन लाख बच्चों को प्रति वर्ष लगभग 25 लाख निश्शुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती है। इस बार भी टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने के बाद विभाग ने दावा किया था कि समय से बच्चों को नई किताबें उपलब्ध करा दी जाएगी। शासन ने स्कूलों तक किताबों को पहुंचाने के लिए बाकायदा ढुलाई के लिए बजट भी दिया। अब जबकि साल बीतने में एक माह शेष है और 50 प्रतिशत भी किताबें नहीं आइ है।

बिना किताब पढ़ते मिले बच्चे

दैनिक जागरण ने जब जिले के परिषदीय स्कूलों की पड़ताल की तो अधिकांश में बिना किताब के बच्चे पढ़ते मिले। शिक्षकों ने भी मुखर होकर कहा कि इस बार तो हद हो गई है बिना किताब के बच्चों को पढ़ाना हमारे लिए चुनौती बन गई है। सरदारनगर विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय तिलौली की प्रधानाध्यापक अल्पा निगम ने बताया कि अभी तक एक भी किताबें बच्चों को नहीं मिली है। थोड़ी बहुत जो पुरानी किताबें उपलब्ध है उनसे किसी तरह काम चलाया जा रहा है। हिंदी व अंग्रेजी की किताबें न होने से पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। अब तो अभिभावक भी स्कूल आकर शिकायत दर्ज कराने लगे हैं, क्योंकि घर पर पढ़ने के लिए किताबें जरूरी हैं।

क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक 

  • पिपरौली ब्लाक के कंपोजिट विद्यालय बरहुआ की प्रधानाध्यापक मंजूषा सिंह ने बताया कि सिर्फ हिंदी व संस्कृत कुछ किताबें मिलीं हैं। बिना किताबों को बच्चों को पढ़ाना हमारे लिए चुनौती बन गई है। जैसे-तैसे हम पढ़ा जा रहे हैं। लग रहा इस बार बिना किताबों के ही बच्चे परीक्षा देंगे।
  • पिपराइच विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय आराजी बसडीला के प्रधानाध्यापक आशुतोष कुमार सिंह के मुताबिक विकास खंड के प्राथमिक स्कूलों में अभी तक कक्षा एक, दो व तीन के बच्चों को सिर्फ हिंदी की किताबें ही उपलब्ध कराई गईं हैं। कक्षा चार व पांच के लिए कोई किताबें नहीं मिली हैं। पिछले नौ माह से बच्चे बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे हैं। अभिभावक हर दिन स्कूलों में आकर किताबों के बारे में जानकारी लेते हैं। जब हमें ही नहीं पता है तो हम उन्हें क्या जवाब दें। वार्षिक परीक्षा सिर पर है। इस बार बच्चे बिना किताब के ही परीक्षा देंगे।

20 प्रतिशत बच्चों को ही मिली हैं पुरानी किताबें

शैक्षिक सत्र 2022-23 शुरू होने से पहले निदेशक बेसिक शिक्षा ने नई किताबें छपकर आने तक बच्चों को पुरानी किताबें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। जिसके बाद बीएसए ने प्रधानाध्यापकों को उत्तीर्ण होकर अगली कक्षाओं में जाने वाले बच्चों से पुरानी किताबें लेकर नए बच्चों को देने को कहा था। इसको लेकर प्रधानाध्यापकों ने मेहनत भी किया। बावजूद इसके लिए सिर्फ 20 प्रतिशत बच्चों को ही पुरानी किताबें उपलब्ध कराई जा सकी।

क्या कहते हैं अधिकारी

बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अधिकांश किताबें छपकर आ चुकी हैं। जिनका स्कूलवार वितरण कराया जा रहा है। खंड शिक्षाधिकारियों को जल्द से जल्द वितरण की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।


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