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Guru Purnima: गुरु की भूमिका में नजर आए गोरक्षपीठाधीश्‍वर योगी आदित्‍यनाथ, त्‍यौहार का बताया महत्‍व

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरु पूर्णिमा पर गुरु की भूमिका में नजर आए। उन्‍होंने एक गुरु की भांति उपस्थित लोगों को देश और दुनिया के बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि भारतीय संस्कृति गुरु-शिष्य की परंपरा पांच हजार साल पुरानी है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 04:10 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 04:10 PM (IST)
Guru Purnima:  गुरु की भूमिका में नजर आए गोरक्षपीठाधीश्‍वर योगी आदित्‍यनाथ, त्‍यौहार का बताया महत्‍व
गुरु पूर्णिमा पर संबोधित करते सीएम योगी आदित्‍यनाथ, सौ. मंदिर।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरु पूर्णिमा पर गुरु की भूमिका में नजर आए। उन्‍होंने एक गुरु की भांति उपस्थित लोगों को देश और दुनिया के बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि भारतीय संस्कृति गुरु-शिष्य की परंपरा पांच हजार साल पुरानी है। हम इतने वर्षों से गुरु पूर्णिमा के रूप में इसे मनाते आ रहे हैं। दुनियां के किसी भी सभ्यता और संस्कृति का इतना पुराना लिखित इतिहास ही नहीं है। सिर्फ पांच हजार वर्षों का इतिहास ही नहीं बल्कि उससे भी प्राचीन, भगवान वेदव्यास ने भारत की परंपरा को जो एक नई दिशा दी, उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का यह पर्व है। व्यास पूर्णिमा की तिथि गुरु पूर्णिमा के रूप में। हम सब बड़े ही हर्षोल्लासऔर विश्वास के साथ मनाते आए हैं।

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हम पर्व और त्योहार सामूहिक रूप से नहीं मना पा रहें

मुख्यमंत्री गुरु गोरक्षनाथ मंदिर परिसर स्थित स्मृति भवन सभागार में में शनिवार को गुरु पूर्णिमा उत्सव पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने गुरु परंपरा के प्रति, अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक अवसर हम सबके सामने आता है। हम सब जानते हैं कि पिछले डेढ़ साल से पूरा देश और ​दुनियां त्रासदी का सामना कर रही है। कोरोना की इस महामारी ने इस व्यवस्था को किस तरह प्रभावित किया है, यह किसी से छिपा नहीं है। इस महामारी ने हमारे जीवन के साथ ही हमारी आस्था को भी प्रभावित किया है। हम पर्व और त्योहार सामूहिक रुप से नहीं मना पा रहे हैं। इस दुनियां के अंदर लाखों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी है।

अमेरिका और यूरोप जैसे देश धराशाई हो गए

जिन लोगों को इस बात पर अहंकार था कि उनका इंफ्रास्टक्चर, उनका सवास्थ्य का ढांचा दुनियां में सर्वश्रेष्ठ है। वे सबसे ज्‍यादा नुकसान में रहे। अमेरिका और यूरोप के देश इस महामारी के सामने धराशाई हो गए। लेकिन अगर मनुष्य है और जीवन है तो उसमें जीवंतता होनी ही चाहिए। उस जीवन को आगे बढ़ाने के लिए जो प्रयास डेढ़ वर्षों से दुनियां में चल रहे हैं, उसमें ​सीमित लोगों के साथ ही हम पर्व और त्योहार मना पा रहे हैं। कोरोना की निर्धारित गाइडलाइन का पालन करते हुए अगर हम इसे आगे बढ़ाते हैं तो उसके बेहतर परिणाम भी होंगे।

सुबह 5 से ही शुरू हो गया आयोजन

इससे पूर्व नाथ संप्रदाय की गोरक्षपीठ गुरु गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित स्मृति भवन सभागार में गुरु पूर्णिमा उत्सव श्रद्धा एवं उल्लास के साथ शनिवार को मनाया गया। दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों से गोरक्षपीठाधीश्वर से जुड़े शिष्यों एवं साधु संतों का आगमन गोरखनाथ मंदिर परिसर में शुक्रवार की सुबह से ही जारी था। गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा का उत्सव सुबह 5 से ही शुरू हो गया। शिवावतारी गुरु गोरखनाथ (श्रीनाथ पूजन) का पूजन करने के बाद उन्हें नाथ संप्रदाय के महाप्रसाद रोट का भोग लगाया गया। इसके बाद सभी देवविग्रह एवं समाधि पर पूजन किया गया।

इस बार नहीं हुआ तिलकोत्सव

सभी साधु संतों ने मिल कर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के साथ सुबह 6.30 बजे से 7 बजे तक सामूहिक आरती किया। इसके बाद सुबह 10 बजे से 12 बजे तक स्मृति भवन सभागार में भजन कीर्तन के साथ गुरु पूर्णिमा उत्सव शुरू हुआ। दोपहर 1 बजे मंदिर में गुरु पूर्णिमा के प्रसाद के रूप में सहभोज का आयोजन हुआ। इस उत्सव में साधु, संत, पुजारी, गृहस्थ शिष्य, जन प्रतिनिधियों के साथ शहर के प्रबुद्ध नागरिक शामिल रहें। मंदिर के व्यवस्थापक द्वारिका तिवारी ने बताया कि इस बार गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में तिलकोत्सव नहीं हुआ।


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