गोरखपुर में दंडाधिकारी बन गोरक्षपीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ ने निपटाया संतों का विवाद
गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दंडाधिकारी की भूमिका भी निभाई। पात्र-पूजन के अनुष्ठान के क्रम में उन्होंने संतों के विवाद को निपटाने की परंपरा पूरी की। इस पूजा के तहत सबसे पहले संतों ने पात्र देवता के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर की पूजा की।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Yogi Adityanath became the magistrate: विजयादशमी अनुष्ठान के क्रम में गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दंडाधिकारी की भूमिका भी निभाई। पात्र-पूजन के अनुष्ठान के क्रम में उन्होंने संतों के विवाद को निपटाने की परंपरा पूरी की। इस पूजा के तहत सबसे पहले संतों ने पात्र देवता के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर की पूजा की।
हर साल होता है यह कार्यक्रम
उसके बाद संतों की अदालत लगी, जिसमें गोरक्षपीठाधीश्वर योगी नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष होने के नाते दंडाधिकारी बने। यह अदालत करीब एक घंटे चली। यह कार्यक्रम हर साल दशहरा के बाद होता है। समरसता के लिए आयोजित हुआ सहभोज विजय शोभायात्रा से लौटने के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर की ओर से गोरखनाथ मंदिर में सामाजिक समरसता कायम रखने के लिए सहभोज का आयोजन किया गया। इस भोज में गण्यमान्य लोगों के अलावा आमजन ने भी प्रसाद ग्रहण किया।
संघ के स्वयंसेवकों ने शस्त्र-पूजन कर मनाई विजयादशमी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से विजयादशमी के अवसर पर शस्त्र पूजन और उत्सव का आयोजन किया गया। इसे लेकर महानगर के उत्तरी और दक्षिणी भाग के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें स्वयंसेवकोें ने पूरी आस्था के साथ गणवेश में भागीदारी की। उत्तरी भाग के गोरक्षनगर में प्रांत प्रचारक सुभाष के नेतृत्व में शस्त्र पूजन किया गया। इस अवसर पर उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे जीवन में अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय महत्व के प्रसंग हैं और प्रत्येक प्रसंग के साथ कोई न कोई उत्सव जुड़ा हुआ है।
संघ वर्ष भर में कुल छह उत्सव मनाता है, विजयादशमी उनमें से एक है। यह पर्व असत्य पर सत्य और अंधकार पर प्रकाश की विजय का द्योतक है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय जनमानस की आत्मा हैं क्योंकि वह अपने सामर्थ्य और सामाजिक संरचना के बल पर मर्यादा पुरुषोत्तम बने और सारी आसुरी शक्तियां उनके सामने शरणागत हो गईं। विजयादशमी पर्व उनकी इसी विजय का प्रतीक है और इस पर्व से हमें यही प्रेरणा भी मिलती है। इन्हीं वजहों से विजयादशमी के दिन ही संघ की स्थापना हुई। संघ 96 वर्ष से बुराई पर अच्छाई को प्रतिस्थापित करने के अभियान में निरंतर लगा हुआ है।
मनुष्यत्व ही हिंदुत्व है
प्रांत प्रचारक ने कहा कि मनुष्यत्व ही हिंदुत्व है और हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है। स्वदेशी और देशभक्ति के माध्यम से बड़ी से बड़ी शक्तियों को हम परास्त कर सकते हैं। इसके लिए हमें ईमानदारी और निष्ठा के साथ लगे रहना होगा। विकास नगर में विद्या भारती के रामय, सूर्यनगर में भारतीय इतिहास संकलन समिति के संगठन मंत्री बालमुकुंद, हनुमान नगर में विभाग कार्यवाह आत्मा सिंह, विष्णु नगर में प्रांत गो-सेवा प्रमुख अखिलेश, आर्यनगर में सेवा भारती के सह प्रांत सेवा प्रमुख राजेश, आजाद नगर में रवि प्रकाश मणि, गीतानगर में प्रणाचार्य आदि ने शस्त्र पूजा की और स्वयंसेवकों को असत्य पर सत्य की विजय के लिए संकल्पित किया।