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Gorakhpur Zoo: तालाब में करेगा मड बाथ, छतरी के नीचे आराम फरमाएगा गैंडा

चिडिय़ाघर में गैंडे के बाड़े को दुरुस्त किया जा रहा है। बाडे में स्थित तालाब की बाउंड्रीवाल एक साइड से तोड़ी गई है। ताकि गैंडा आसानी से तालाब में मड बाथ के लिए जा सके। छांव के लिए बनाई गई छतरी के नीचे से झाडिय़ों को हटाया जा रहा है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 03:30 PM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 06:02 PM (IST)
Gorakhpur Zoo: तालाब में करेगा मड बाथ, छतरी के नीचे आराम फरमाएगा गैंडा
गोरखपुर चिडियाघर में तालाब में करेगा मड बाथ, छतरी के नीचे आराम फरमाएगा गैंडा। फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। चिडिय़ाघर में गैंडे बाड़े को दुरुस्त किया जा रहा है। बाड़ा बाडे में स्थित तालाब की बाउंड्रीवाल एक साइड से तोड़ी गई है। ताकि गैंडा आसानी से तालाब में मड बाथ के लिए जा सके। इसके अलावा छांव के लिए बनाई गई छतरी के नीचे से झाडिय़ों को हटाया जा रहा है। ताकि गैंडा छतरी के नीचे आराम फरमा सके। बाड़ा दुरुस्त होने के बाद चिडिय़ाघर से टीम असम के गुवाहाटी से गैंडे को लाने के लिए जाएगी। चिडिय़ाघर प्रशासन का मानना है दिसंबर प्रथम सप्ताह तक गैंडा चिडिय़ाघर में आ जाएगा।

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त्‍वचा की नमी को बनाए रखने के लिए मिट्टी में नहाते हैं गैंडा

गैंडा अपनी त्वचा को धूप की कालिमा, कीड़े के काटने और अन्य परजीवियों से बचाने के साथ-साथ अपनी त्वचा की नमी को बनाए रखने के लिए मिट्टी से नहाते(मड बाथ) हैं। मिट्टी के स्नान से गैंडे को ठंडक मिलती है। जानकारों का मानना है कि गैंडा दिन में दो बार मिट्टी से स्नान कर सकता है। एक बार के स्नान में कम से कम तीन घंटे का समय लगता है। गैंडे के मिट्टी स्नान के लिए चिडिय़ाघर स्थित उसके बाड़े में एक साइड की बाउंड्रीवाल तोड़ी गई है और उस पर ढलान बनाया जा रहा है। ताकि गैंडा आसानी से तालाब में जाकर मिट्टी स्नान कर सके।

छावं के लिए बाडे के अंदर बनाई गई है छतरी

इसके अलावा गैंडे को छांव देने के लिए बाड़े में छतरी बनाई गई है। उसके नीचे से छाडिय़ों को साफ किया जा रहा है। ताकि गैंडा बाड़े में आराम से रह सके। बाड़ा दुरुस्त होने के बाद टीम चिडिय़ाघर से गुवाहाटी के लिए जाएगी और दिसंबर प्रथम सप्ताह तक वहां से दो गैंडा(एक नर व एक मादा) लाया जाएगा। बता दें दोनों गैंडों में से एक की आयु 15 वर्ष की है और दूसरे की 17 वर्ष है। आमतौर पर गैंडे 30 से 35 वर्ष तक जीते हैं।

बाडे को कराया जा रहा है दुरुस्‍त

चिडियाघर के निदेशक डा. एच राजामोहन ने बताया कि गैंडा लाने के लिए बाड़े को दुरुस्त कराया जा रहा था। थोड़ी बहुत कमियां हैं, उसे शीघ्र पूरा कर लिए जाएगा। उसके बाद चिडिय़ाघर से टीम गैंडा लाने के लिए गुवाहाटी रवाना हो जाएगी। उम्मीद है कि दिसंबर प्रथम सप्ताह तक यहां गैंडे का जोड़ा आ जाएगा।


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