Move to Jagran APP

गोरखपुर को मिलेगी देश की पहली मोबाइल बीएसएल-थ्री लैब

भारत सरकार ने पूरे देश में दो मोबाइल बायोसेफ्टी लेवल- थ्री (बीएसएल-थ्री) लैब देने का फैसला किया है। यह देश की अपनी तरह की पहली लैब होगी। एक दक्षिण भारत भेजी जाएगी दूसरी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर जिले को मिलेगी।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 08:14 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 06:50 AM (IST)
गोरखपुर को मिलेगी देश की पहली मोबाइल बीएसएल-थ्री लैब
गोरखपुर को मिलेगी देश की पहली मोबाइल बीएसएल-थ्री लैब। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। भारत सरकार ने पूरे देश में दो मोबाइल बायोसेफ्टी लेवल- थ्री (बीएसएल-थ्री) लैब देने का फैसला किया है। यह देश की अपनी तरह की पहली लैब होगी। एक दक्षिण भारत भेजी जाएगी, दूसरी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर जिले को मिलेगी। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की शाखा क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) को सात दिसंबर के पहले यह लैब मिलने की संभावना है। आरएमआरसी के नव निर्मित भवन व नौ लैब का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात दिसंबर को करेंगे। माना जा रहा है कि उससे पहले मोबाइल बीएसएल थ्री लैब मिल सकती है।

loksabha election banner

जैविक आपदा के समय मौके पर जाकर हो सकेगी वायरस की जांच

इस लैब के मिल जाने से अब आरएमआरसी जैविक आपदा के समय संक्रमित क्षेत्रों में जाकर मौके पर ही बीमारी फैलाने वाले वायरस का पता लगा सकेगा। वहीं जांच हो सकेगी। अभी तक जांच के लिए नमूने आरएमआरसी में भेजे जाते हैं। इस लैब के मिल जाने के बाद अब जिस भी क्षेत्र में यदि कोई बीमारी फैली तो उस क्षेत्र में जाकर वहीं पर लोगों में संक्रमण की जांच की जाएगी। साथ ही उस वायरस का भी पता लगाया जा सकेगा। इससे तत्काल उसकी रोकथाम के प्रयास शुरू किए जा सकेंगे।

बस में होगी लैब

यह लैब एक बस में होगी, जो सामान्य बस से लगभग डेढ़ गुना लंबी होगी। इसे इस ढंग से बनाया गया है कि कितनी भी खराब सड़क हो, बस में झटके नहीं लगेंगे। उसमे रखा केमिकल, पानी व मशीनें जरा भी हिलेंगी नहीं। जांच कर रहे वायरोलाजिस्टों व कर्मचारियों को पता भी नहीं चलेगा कि लैब गड्ढों वाली सड़क पर चल रही है।

बेहद कम होगा संक्रमित होने का खतरा

इस लैब में कर्मचारियों के संक्रमित होने का खतरा बेहद कम होता है। इसमें कर्मचारी विशेष पीपीई किट, ग्लब्स व फेस मास्क पहनकर काम करेंगे। इसमें हर जांच के लिए पूरी तरह से एयर प्रूफ अलग-अलग क्यूब बने होते हैं। लैब में बाहर से हवा भी अंदर नहीं आ सकती। लैब के अंदर मौजूद संक्रमित हवा को फिल्टर करके ही बाहर निकाला जाता है। लैब के अंदर प्रयोग होने वाला पानी भी विसंक्रमित कर दिया जाएगा।

आधुनिक मशीनों से सुसज्जित होगी लैब

लैब में आरटी-पीसीआर व एलाइजा मशीन भी होगी। टीबी एवं अन्य बैक्टीरिया की जांच के लिए सीबीनेट मशीन भी रहेगी। इसमें आरएनए एक्सट्रेक्टर व एडवांस जांच की मशीनें भी रहेंगी। वायरोलाजिस्ट डा. अशोक पांडेय ने बताया कि लैब कई मायनों में खास है। इस लैब में येलो फीवर वायरस, वेस्ट नाइल वायरस, कोरोना वायरस, स्वाइन फ्लू आदि के वायरस पर शोध हो सकेगा है। उनकी जांच व पहचान भी होगी। इसके अलावा ड्रग रेजिस्टेंट टीबी बैक्टीरिया पर भी इसमें शोध किया जा सकेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.