पहाड़ों पर बर्फबारी ने गिराया तापमान, अभी बरकरार रहेगी गलन- बारिश के भी बन रहे आसार
Today Gorakhpur Weather News Update पहाड़ों पर बर्फबारी के चलते गोरखपुर सहित मैदानी क्षेत्रों में ठंड बढ़ गई है। इसके साथ पछुआ हवाएं 15 किलोमीटर से अधिक रफ्तार से चल रही हैं। इसके चलते तापमान में तेजी से गिरावट आ रही है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मौसम में गलन अभी कई दिनों तक बरकरार रहेगी। मौसम विशेषज्ञ ने पूर्वानुमान जताया है कि आगामी 22 व 23 जनवरी को बारिश के आसार हैं। उसके बाद तापमान में और गिरावट आ सकती है। बुधवार को जिले में मध्यम से घना कोहरा छाया रह सकता है। कोल्ड डे जैसी स्थिति रह सकती है। दिन का अधिकतम तापमान 16 से 17 डिग्री सेल्सियस के करीब रह सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान 6 से 6.5 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है।
16 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से चलीं बर्फीली हवाएं
मौसम विशेषज्ञ कैलाश पाण्डेय ने बताया कि पहाड़ों पर बर्फबारी के चलते गोरखपुर सहित मैदानी क्षेत्रों में ठंड बढ़ गई है। इसके साथ पछुआ हवाएं 15 किलोमीटर से अधिक रफ्तार से चल रही हैं। इसके चलते तापमान में तेजी से गिरावट आ रही है। ऊपरी वायुमंडल में भी पछुआ हवाएं चलने से गलन बढ़ी है। बता दें मंगलवार को दिन का अधिकतम तापमान 12.5 डिग्री सेल्सियस रहा। यह जनवरी में औसत अधिकतम तापमान से 9.5 डिग्री सेल्सियस कम है। ठंड के दिनों में तापमान औसत से 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक कम होने पर उसे सीवियर कोल्ड डे कहा जाता है। बर्फीली हवाएं 16 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से चलीं। इसके चलते लोग दिन भर ठंड से कांपते नजर आए। न्यूनतम तापमान 6.7 डिग्री सेल्सियस रहा।
गेहूं को मिलेगा मौसम का लाभ
उप कृषि निदेशक संजय सिंह ने कहा कि जिले के 90 प्रतिशत कृषि क्षेत्रफल में गेहूं की फसल बोई जाती है। ठंड से फसल का तेजी से विकास होगा। आगे बारिश की संभावना है, इससे भी गेहूं की फसल को लाभ हो सकता है। सब्जियों को थोड़ा नुकसान हो सकता है। जिले में करीब तीन प्रतिशत कृषि क्षेत्रफल में आलू की खेती होती है। इसमें भी अधिकांश अगली प्रजाति का आलू लगाते हैं। वह आलू बाजार में आना भी शुरू हो गया है। मध्यम व पिछली प्रजाति के आलू को नुकसान हो सकता है। आलू में झुलसा रोग लगता है। ऐसे में किसान मौसम को देखते हुए मैंगो जेब व कार्बेंडा जिम का छिड़काव कर सकते हैं। करीब 11 हजार एकड़ में सरसों की फसल बोई गई है। सरसों में माओं का रोग लग सकता है, लेकिन किसानों को चाहिए कि वह पहले फसल की स्थिति का आंकलन कर लें। उसके बाद उसमें रासायन का छिड़काव करें।