Gorakhpur: एक ही परिवार के चार लोगों की मौत का मंजर देख दहल उठा पूरा इलाका, मासूमों का शव देख बिलख पड़े लोग
जिले के देवकली गांव में एक परिवार के चार लोगों की मौत ने सभी को हिला कर रख दिया। जिसने भी घटना के बारे में जाना हर कोई हैरान रह गया। शख्स ने पत्नी और दो मासूमों की जान लेने के बाद खुद को भी मौत के हवाले कर दिया।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर जिले में एक परिवार के चार लोगों की मौत के बाद देवकली गांव में मातम छा गया। हृदय विदारक घटना से हर कोई हतप्रभ था। लोग सब्जी विक्रेता को इस बात के लिए कोस रहे थे कि अगर जिंदगी से तंग था तो खुद ही मर जाता। मासूम बच्चों व पत्नी की जान क्यों ली। घटना की चर्चा पूरे जिले में हो रही है।
जुए की लत ने उजाड़ दिया परिवार
गोला के गोपालपुर और देवकली गांव आसपास हैं। कस्बे में दोनों गांवों के लोगों की दुकानें हैं। चौराहे पर सूदखोरी का धंधा व जुआ खुलेआम होता है। दोनों गांवों के बहुत से लोग इसमें फंसकर बर्बाद हो चुके हैं। घटना की जानकारी होने पर पहुंचे कस्बे के लोगों ने डीएम व एसएसपी को बताया कि इंद्रबहादुर पहले सुबह पांच बजे दुकान पहुंच जाता। गोला कस्बा से सब्जी लाकर दोपहर में दुकान लगाता था। शुरू में दुकान अच्छी चलती थी, लेकिन बाद में उसे जुआ खेलने की लत इस कदर लगी कि दुकानदारी खराब कर ली। दुकान छोड़कर वह अक्सर जुए के अड्डे पर रहता था। रात में पोस्टमार्टम के बाद इद्रबहादुर, पत्नी व दोनों बच्चों के शव घर पहुंचे तो कोहराम मच गया। सदमे से स्वजन व रिश्तेदार बेहोश हो गए।
कर्ज में डूबे बड़े भाई को बेचनी पड़ी थी संपत्ति
तीन भाई-बहनों में इंद्रबहादुर छोटा था। जुआ खेलने की लत से उसका बड़ा भाई जयबहादुर भी कर्ज में डूब गया था। रुपये न लौटा पाने पर उसे अपने हिस्से की 20 डिसमिल जमीन बेचनी पड़ी। बाद में अपनी पूरी संपत्ति बेचकर जयबहादुर लखनऊ चला गया। इंद्रबहादुर को भी जुए की लत लगने से सुशीला परेशान थी कि कहीं वह भी संपत्ति न बेच दे।
गांव के निजी स्कूल में बढ़ते थे बच्चे
सब्जी विक्रेता के दोनों बच्चे गांव के निजी स्कूल में पढ़ते थे। रिश्तेदारों ने बताया कि बेटी चांनी कक्षा चार और बेटा आर्यन कक्षा एक में पढ़ते थे।पुलिस को कमरे में एक मोबाइल फोन मिला है। जिसे कब्जे में लेकर थानेदार जांच कर रहे हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
गोवि के समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मनीष पांडेय ने बताया कि सामाजिक बदलाव के संक्रमण काल और आर्थिक अनिश्चितता भरे माहौल के बीच आत्महत्याओं की दर बढ़ जाती है। उचित समाजीकरण का अभाव होने के कारण पारिवारिक संबंधों में टूटन, नशाखोरी, सापेक्षिक अभावबोधता की मनःस्थिति और बढ़ता एकाकीपन लोगों को आत्महत्या की ओर उन्मुख कर रहा है। तेजी से बदलती जीवनशैली, भौतिक वस्तुओं के प्रति अत्यधिक आकर्षण, आय एवं व्यय में असंतुलन, पारिवारिक एवं नातेदारी संबंधों में विघटन आदि के कारण लोग अवसाद में घिरकर लोग न सिर्फ आत्महत्या कर रहे हैं, बल्कि परिवार के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं।
गोवि के मनोविज्ञान विभाग के प्रो. धनंजय कुमार ने कहा कि पूरे भारत में पारिवारिक कलह आत्मदाह के लिए बड़े कारकों में से एक है। हालांकि, यह मेट्रो शहरों, छोटे शहरों या गांवों से अधिक है। 2016 से 2021 के बीच इस प्रवृत्ति में बढ़ोतरी हुई है। पारिवारिक मामलों में एक ऐसा बिंदु आता है जहां आशा खत्म हो जाती है और निराशा अत्यधिक हो जाती है। निस्सहायता चरम पर होती है। इसमें अवसाद व चिंता तथा रोज का कलह बड़े कारक होते हैं। कभी-कभी मुखिया को लगता है कि उसके बाद पत्नी और बच्चों का क्या होगा। ऐसी मन:स्थिति इस तरह की घटनाओं का कारक बनती है।