दागी कॉलेजों में परीक्षा से परहेज रखेगा गोरखपुर विश्वविद्यालय
पिछली वार्षिक परीक्षा में पर्चा आउट और सुनियोजित नकल जैसे मामलों में लिप्त कालेजों को सेंटर बनाने से रोकने का काम करेगी
By Edited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 10:46 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। पिछली वार्षिक परीक्षा में पर्चा आउट और सुनियोजित नकल जैसे मामलों में लिप्त रहे कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाने से गोरखपुर विश्वविद्यालय परहेज करेगा। कुलपति ने साफ कहा है कि ऐसे कॉलेज जिनका अतीत दागदार रहा हो, उन्हें परीक्षा केंद्र न बनाया जाए। वार्षिक परीक्षाओं के लिए विश्वविद्यालय में इन दिनों तैयारी चल रही है।
परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए कुलपति ने एक कमेटी का भी गठन किया है। पिछले वर्ष के बहुचर्चित पर्चा आउट मामले को लेकर प्रदेश स्तर पर विश्वविद्यालय की खूब किरकिरी हुई थी। कई परीक्षाएं रद करनी पड़ीं। मामले में विश्वविद्यालय ने अपने स्तर पर जांच पूरी भी कर ली है, लेकिन आपराधिक मामला होने के चलते पुलिस द्वारा भी जांच की जा रही है। हालांकि विश्वविद्यालय की योजना है कि विवि स्तर की जांच में पर्चा आउट के लिए जिम्मेदार पाए गए कॉलेज को इस बार परीक्षा केंद्र न बनाया जाए। इसके अलावा नकल के लिए रुपये मांगने, बोलकर नकल कराने जैसे चर्चित मामलों में लिप्त रहे कॉलेज भी परीक्षा केंद्रों की सूची से बाहर हो सकते हैं। इसी के साथ पिछले साल की परीक्षा में जिन केंद्राध्यक्ष के बारे में गंभीर लापरवाही के मामले उजागर हुए हैं, उन्हें भी परीक्षा से दूर रखने का निर्देश दिया है।
19 फरवरी से संभावित हैं परीक्षाएं
विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाएं इस बार फरवरी में ही शुरू हो जाएंगी। अगले वर्ष प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विश्वविद्यालय प्रशासन इस वर्ष परीक्षा दो चरणों में कराने की योजना पर विचार कर रहा है। योजना है कि अंतिम वर्ष की कुछ परीक्षाएं 20 फरवरी से 15 मार्च तक करा ली जाएं, जबकि शेष लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद मई में हों। पिछले दिनों विश्वविद्यालय ने परिसर सहित सभी कॉलेजों को हर हाल में 15 फरवरी तक कोर्स खत्म कर लेने को कहा है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह ने कहा कि हम नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले वर्षों में परीक्षा की शुचिता भंग करने वाले कॉलेज परीक्षा केंद्र न बनाए जाएं, इस बाबत निर्देश दिया गया है। यही नहीं जो लोग इसमें लिप्त रहे हैं, उन्हें भी परीक्षाओं से दूर रखा जाएगा।
परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए कुलपति ने एक कमेटी का भी गठन किया है। पिछले वर्ष के बहुचर्चित पर्चा आउट मामले को लेकर प्रदेश स्तर पर विश्वविद्यालय की खूब किरकिरी हुई थी। कई परीक्षाएं रद करनी पड़ीं। मामले में विश्वविद्यालय ने अपने स्तर पर जांच पूरी भी कर ली है, लेकिन आपराधिक मामला होने के चलते पुलिस द्वारा भी जांच की जा रही है। हालांकि विश्वविद्यालय की योजना है कि विवि स्तर की जांच में पर्चा आउट के लिए जिम्मेदार पाए गए कॉलेज को इस बार परीक्षा केंद्र न बनाया जाए। इसके अलावा नकल के लिए रुपये मांगने, बोलकर नकल कराने जैसे चर्चित मामलों में लिप्त रहे कॉलेज भी परीक्षा केंद्रों की सूची से बाहर हो सकते हैं। इसी के साथ पिछले साल की परीक्षा में जिन केंद्राध्यक्ष के बारे में गंभीर लापरवाही के मामले उजागर हुए हैं, उन्हें भी परीक्षा से दूर रखने का निर्देश दिया है।
19 फरवरी से संभावित हैं परीक्षाएं
विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाएं इस बार फरवरी में ही शुरू हो जाएंगी। अगले वर्ष प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विश्वविद्यालय प्रशासन इस वर्ष परीक्षा दो चरणों में कराने की योजना पर विचार कर रहा है। योजना है कि अंतिम वर्ष की कुछ परीक्षाएं 20 फरवरी से 15 मार्च तक करा ली जाएं, जबकि शेष लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद मई में हों। पिछले दिनों विश्वविद्यालय ने परिसर सहित सभी कॉलेजों को हर हाल में 15 फरवरी तक कोर्स खत्म कर लेने को कहा है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह ने कहा कि हम नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले वर्षों में परीक्षा की शुचिता भंग करने वाले कॉलेज परीक्षा केंद्र न बनाए जाएं, इस बाबत निर्देश दिया गया है। यही नहीं जो लोग इसमें लिप्त रहे हैं, उन्हें भी परीक्षाओं से दूर रखा जाएगा।
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