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गोरखपुर की वैज्ञानिक की नई खोज, 10 वॉट के एलईडी में 100 वॉट जैसी रोशनी Gorakhpur News

गोरखपुर की युवा वैज्ञानिक इफ्फत अमीन ने एक ऐसे पदार्थ की खोज की है जो बेहद चमकीला है। एलईडी वल्ब में दस गुना रोशनी मिलेगी।

By Edited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 07:31 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 03:20 PM (IST)
गोरखपुर की वैज्ञानिक की नई खोज, 10 वॉट के एलईडी में 100 वॉट जैसी रोशनी Gorakhpur News
गोरखपुर की वैज्ञानिक की नई खोज, 10 वॉट के एलईडी में 100 वॉट जैसी रोशनी Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। दस वॉट के एलईडी में 100 वॉट जैसी रोशनी। कम ऊर्जा में रडार से शानदार परिणाम। एमआरआई के और बेहतर नतीजे। गोरखपुर की एक वैज्ञानिक की रिसर्च इन संभावनाओं के द्वार खोल रही है। गोरखपुर के दीनदयाल उपाध्याय विवि में केमिस्ट्री की शोधार्थी इफ्फत अमीन ने दुनिया के सबसे चमकीले काप्लेक्स (कई तत्वों के मिश्रण) के निर्माण में सफलता पाई है। इस काप्लेक्स की चमक क्षमता 91.9 प्रतिशत है।
अब तक सबसे चमकीले काप्लेक्सों की क्षमता अधिकतम 80 प्रतिशत तक है। आईआईटी मद्रास, चेन्नई व जापान में हुआ परीक्षण इफ्फत ने बताया कि संश्लेषित काप्लेक्स के सटीक परीक्षण की सुविधा यहा नहीं थी। इन्हें परीक्षण के लिए आईआईटी मद्रास, चेन्नई, सीडीआरआई लखनऊ व जापान के क्यूशू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की लैब भेजना प?ा। इन ब?ी प्रयोगशालाओं ने इन काप्लेक्स की चमक 91.9 प्रतिशत तक पाई। ऐसे की रिसर्च इफ्फत अमीन ने दुर्लभ तत्व लैंथेनाइड, सीरियम, प्रोकोडोमियम और नियोडायनिम में पाइराजुलीन, डाई थायो कार्बामेट व जेंथेट को संश्लेषित किया। कुल 48 काप्लेक्स बने, उनकी अलग-अलग ल्युमिनिसेंस (चकम की क्षमता) चेक की गई।
शुरुआत के दो साल केवल दुर्लभ तत्व जुटाने व संश्लेषण के बाद उनका अनुप्रयोग समझने में ही लग गए। इसके बाद तत्वों को संश्लेषित कर उनका अलग-अलग परीक्षण किया गया। नतीजे शानदार रहे। कुल 48 काप्लेक्सों में चमक क्षमता 91.9 फीसदी से तक पाई गई। यह अब तक दुनिया में मौजूद चमकीले मिश्रणों की अपेक्षा कहीं ज्यादा क्षमतावान है। कई दिक्कतें भी आईं, हार नहीं मानी इफ्फत के मुताबिक भारत में अब भी कई तरह जाच संबंधी केमिकल नहीं मिलते। इन्हें विदेशों से मंगाना न केवल खर्चीला है बल्कि समय भी बहुत लगता है। दो साल तक लगातार असफलता मिली। सौ से ज्यादा गलतिया हुईं। लगातार प्रयासों से उन्हें दुरुस्त किया।
अंतत: एक संश्लेषण का उपयुक्त मार्ग मिला तो हौसला ब?ा और नतीजे मिलने लगे। पूरी दुनिया में चल रही रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर रिसर्च रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर पूरी दुनिया में शोध हो रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक, ऑयल रिफाइनरी, ग्लास व मेडिकल इंडस्ट्री में इनके प्रयोगों ने चमत्कारिक परिणाम दिए हैं। इन एलिमेंट्स का 70 फीसदी अकेला चीन उत्पादन करता है। शेष तीस फीसदी इस तरह के मिनरल्स का खनन म्यामार, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, अमेरिका जैसे देशों में किया जाता है। इसी महीने चीन के एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उन्होंने शत प्रतिशत ल्युमिनिसेंस प्रॉपर्टी वाला काप्लेक्स तैयार किया है।
उनके दावे पर परीक्षण चल रहा है। ऐसे प्रकाशित होता है रिसर्च पेपर आईआईटी मद्रास व जापान के क्यूशू इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्क्नॉलॉजी मे टेस्टिंग के बाद पदार्थो की एफिशिएंसी का दावा किया गया है। उनकी रिपोर्ट हम जर्नल को भेजते है, तभी रिसर्च पेपर छपता है। जर्नल के अलावा हम यह रिपोर्ट किसी अन्य से शेयर नही कर सकते। हमे इन शतरें का अनिवार्य रूप से पालन करना होता है। इस रिसर्च से यह फायदे होंगे भविष्य में इन काप्लेक्स के इस्तेमाल से एलईडी का एडवास वर्जन (ऑर्गेनिक एलईडी) बनाए जा सकेंगे, जो महज एक-दो वोल्ट के करंट में तेज रोशनी देंगे।
इनके इस्तेमाल से रडार में ऊर्जा की खपत कम और इमेजिंग तकनीकी उत्कृष्ट होगी। यह दवाओं व बॉयोलाजिकल सिस्टम की जाच तथा लेवलिंग में भी बेहद कारगर होंगे। पाच साल में पूरी की रिसर्च गोरखपुर के घासीकटरा मोहल्ले की इफ्फत ने रिसर्च प्रो. अफशा सिद्दीकी के निर्देशन में पूरी की। इसमें पाच साल लग गए। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छपे रिसर्च पेपर इफ्फत की रिसर्च से संबंधित चार पेपर अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं। यह हैं रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (यूके), इंग्लैंड समेत कई देशों से प्रकाशित होने वाला एल्वाइजर व प्रतिष्ठित जर्नल टेलर एंड फ्रांसिस। इफ्फत की रिसर्च को विवि की सर्वोत्कृष्ट रिसर्च माना गया। इसके लिए उन्हें गुरु गोरक्षनाथ शोध मेडल मिला है।

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