गोरखपुर में दो डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालकों पर दर्ज कराया जाएगा मुकदमा, ये है पूरा मामला
Gorakhpur Hindi News गोरखपुर के श्रीराम एमआरआइ व गोमती डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालकों पर मुकदमा दर्ज होगा। दोनों केंद्रों पर पीसीपीएनडीडीटी एक्ट का उल्लंघन मिला है। मामले में एक सप्ताह के अंदर मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर शहर के बेतियाहाता में कसया रोड के श्रीराम एमआरआइ स्कैन सेंटर व पाथर कोठी के गोमती मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीडीटी) अधिनियम की सलाहकार समिति ने उप मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अनिल सिंह को दोनों केंद्रों के संचालकों के खिलाफ सक्षम न्यायालय में एक सप्ताह के अंदर मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
डा. अनिल सिंह ने बताया कि 12 मई को नेशनल इंस्पेक्शन मानीटरिंग टीम, परिवार कल्याण महानिदेशालय व सीएमओ कार्यालय की टीम ने दोनों केंद्रों की जांच की थी। वहां पीसीपीएनडीडीटी एक्ट का उल्लंघन होता पाया गया था। श्रीराम एमआरआइ का पंजीकरण नहीं था और गोमती मेडिकल पर पंजीकृत डाक्टर नहीं थे। दोनों केंद्रों की अल्ट्रासाउंड मशीनें सील कर दी गई थीं। टीम में अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय राजेश कुमार वर्मा भी शामिल थे। प्रकरण को सलाहकार समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया तो समिति ने मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
पांच साल में लिंग परीक्षण करते पकड़ा गया मात्र एक डायग्नोस्टिक सेंटर: मुखबिर योजना के अंतर्गत पांच साल में गर्भस्थ शिशु का लिंग परीक्षण करते मात्र एक डायग्नोस्टिक सेंटर पकड़ा गया है। जबकि लिंग परीक्षण शहर व ग्रामीण क्षेत्र के डायग्नोस्टिक सेंटरों पर हो रहा है। सबसे ज्यादा शिकायतें बांसगांव, चौरीचौरा सहित शहर के बेतियाहाता, राप्तीनगर फेज-चार और रुस्तमपुर से आ रही हैं। इन केंद्रों पर लिंग परीक्षण के लिए सांकेतिक शब्दों का उपयोग किया जाता है।
चौरीचौरा के भोपा बाजार में यश पाली क्लीनिक पर आठ अप्रैल 2021 को मुखबिर की सूचना पर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापा मारा था। छह हजार रुपये लिंग परीक्षण करते हुए डाक्टर को पकड़ा था। इसी क्लीनिक पर इस साल 22 अप्रैल को भी कार्रवाई गई। अल्ट्रासाउंड जांच की अनुमति न होने के बाद भी वहां जांच होती पाई गई। हालांकि इस बार लिंग परीक्षण का मामला सामने नहीं आया था। इस योजना की शुरुआत 2017 में हुई थी।
सीएमओ डा. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत कोई भी मुखबिर हो सकता है। सही सूचना देने वाले को 60 हजार रुपये, टीम में शामिल होने वाली गर्भवती को एक लाख और उसके सहायक को 40 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का नियम है। यह राशि तीन किस्तों में दी जाती है। इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए स्वयंसेवी संस्थआों के साथ बैठक की जाती है और उनसे अनुरोध किया जाता है कि वे गांवों में जाकर लोगों को इस योजना के बारे में बताएं। कुछ अन्य डायग्नोस्टिक सेंटरों की भी शिकायतें आई थीं, उनकी जांच कराई गई तो कमियां मिलीं लेकिन लिंग परीक्षण होते नहीं पाया गया।