Move to Jagran APP

फर्जी RTPCR रिपोर्ट का गढ़ बन रहा गोरखपुर, ऐसे जानें- रिपोर्ट फर्जी है या सही

गोरखपुर के कई लैब के संचालकों के पास उनके सेंटर से जारी रिपोर्ट के बारे में पूछताछ हो चुकी है लेकिन किसी ने फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ एफआइआर नहीं दर्ज कराई। हाल के द‍िनों में आरटीपीसीआर की फर्जी र‍िपोर्ट बनाने की कई श‍िकायतें सामने आ रही हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 11:10 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 09:56 PM (IST)
फर्जी RTPCR रिपोर्ट का गढ़ बन रहा गोरखपुर, ऐसे जानें- रिपोर्ट फर्जी है या सही
गोरखपुर में फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट बनाने की कई श‍िकायतें सामने आ चुकी हैं। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। लखनऊ एयरपोर्ट पर गोरखपुर के लैब की फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट मिलने का मामला पहला नहीं है। गोरखपुर के कई लैब के संचालकों के पास उनके सेंटर से जारी रिपोर्ट के बारे में पूछताछ हो चुकी है लेकिन किसी ने फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ एफआइआर नहीं दर्ज कराई।

prime article banner

फर्जी रिपोर्ट की आ चुकी हैं कई श‍िकायतें

कैंट थाना क्षेत्र के बेतियाहाता स्थित रविश पैथोलाजी से जिस चंदन राजभर नाम के युवक की रिपोर्ट जारी हुई थी उसे विदेश यात्रा के लिए जाना था। युवक ने लखनऊ में एयरपोर्ट के सुरक्षाकर्मियों को बताया कि 76 हजार रुपये में उसने विदेश यात्रा का टिकट कराया था। कुशीनगर के कसया स्थित एक केंद्र के संचालक ने चंदन को आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट उपलब्ध कराई थी। रविश पैथोलाजी के संचालक डा. अभिषेक मालवीय बताते हैं कि इस फर्जीवाड़े में लैब के कर्मचारियों के संलिप्तता पता चली है। फिलहाल कर्मचारी को सेंटर से निकालकर पुलिस को इसकी सूचना दे दी गई है।

यहां है आरटीपीसीआर जांच की सुविधा

संतोष पैथ लैब, लाइफकेयर पैथोलाजी, सावित्री हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, लाइफ डायग्नोस्टिक सेंटर, ममता पैथोलाजी, तिलक पैथोलाजी, जिला अस्पताल, रविश पैथोलाजी, गुरु श्री गोरखनाथ चिकित्सालय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एयरफोर्स हास्पिटल, बाबा राघवदास मेडिकल कालेज, रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर।

ऐसे कर रहे खेल

लैब के कर्मचारी आसानी से किसी भी जांच कराने वाले व्यक्ति की रिपोर्ट पा जाते हैं। इस रिपोर्ट में नाम, उम्र, आधार कार्ड नंबर, तिथि आदि बदल देते हैं। लेकिन वह क्यूआर कोड नहीं बदल पाते हैं। वजह यह है कि हर रिपोर्ट की क्यूआर कोड अलग-अलग होती है। यह आनलाइन जेनरेट होती है। यानी क्यूआर कोड को कोई बदल नहीं सकता है।

यह है पूरी प्रक्रिया

आरटीपीसीआर जांच के लिए सबसे पहले नाक और गले से स्वाब इकट्ठा किया जाता है। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद पाजिटिव या निगेटिव रिपोर्ट आने पर प्रदेश सरकार के पोर्टल पर पूरी जानकारी फीड की जाती है। लैब संचालक को प्रदेश सरकार और आइसीएमआर में पहले ही पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके आधार पर उन्हें जांच की अनुमति दी जाती है और पंजीकरण संख्या दी जाती है। पोर्टल पर मरीज का नाम, उम्र, पता, मोबाइल नंबर, आधारकार्ड नंबर, जांच कराने की वजह की जानकारी फीड की जाती है। पोर्टल पर पूरी जानकारी फीड होने के बाद यह डाटा आइसीएमआर के पोर्टल पर चला जाता है। वहां से एक घंटे के अंदर लैब की रिपोर्ट पर क्यूआर कोड जेनरेट हो जाता है। इसके बाद पूरी रिपोर्ट पैथोलाजी की मेल पर आ जाती है। पैथोलाजी संचालक मेल पर आयी इस रिपोर्ट का प्रिंट निकालकर जारी करते हैं। संचालक संबंधित व्यक्ति के मोबाइल नंबर और ईमेल आइडी पर भी रिपोर्ट भेज देते हैं। प्रदेश सरकार की वेबसाइट पर भी रिपोर्ट मिल जाती है।

फैक्ट फाइल

लैब में आरटीपीसीआर जांच की फीस - 900

घर से सैंपल लेने के साथ जांच की फीस - 1000

कितने देर में आ जाती है रिपोर्ट - चार घंटे

विदेश यात्रा तो पासपोर्ट नंबर भी होता है फीड

यदि जांच कराने वाला कारण में विदेश यात्रा लिखता है तो उसे अपना पासपोर्ट नंबर भी पोर्टल पर फीड कराना होता है।

ऐसे पकड़ में आता है मामला

आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट के साथ जारी क्यूआर कोड को कोई भी स्कैन कर पूरी जानकारी ले सकता है। क्यूआर कोड स्कैन करते ही जांच कराने वाले की पूरी सूचना सामने आ जाती है।

यहां जानें रिपोर्ट फर्जी है या सही

रिपोर्ट पर छपे क्यूआर कोड को एंड्रायड मोबाइल फोन से स्कैन करने में दिक्कत हो रही हो तो वेबसाइट पर जाकर जांच के समय दिए गए मोबाइल नंबर से भी जानकारी की जा सकती है। पंजीकृत मोबाइल नंबर पर चार अंकों की ओटीपी आएगी। इस ओटीपी को फीड करते ही रिपोर्ट सामने होती है।

चंद रुपये बचाने के लिए हजारों का नुकसान

आरटीपीसीआर जांच के एक हजार रुपये बचाने के चक्कर में कुछ लोग फर्जीवाड़ा करने वालों के चंगुल में फंस रहे हैं। फर्जीवाड़ा करने वाले तीन से चार सौ में बिना नमूना लिए जांच रिपोर्ट देने का झांसा देते हैं। कई लोग हजारों रुपये खर्च कर विदेश यात्रा का टिकट करा चुके होते हैं। एयरपोर्ट पर रिपोर्ट फर्जी मिलने पर उन्हें वापस कर दिया जाता है। ऐसे में उनके हजारों रुपये डूब जाते हैं, तय समय पर निर्धारित जगह पर पहुंच भी नहीं पाते हैं।

दर्ज हुई है एफआइआर

लखनऊ एयरपोर्ट पर रविश पैथोलाजी के पैड पर आरटीपीसीआर की फर्जी रिपोर्ट जारी होने का मामला सामने आने पर संचालक डा. अभिषेक मालवीय ने कैंट थाने में एफआइआर दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

क्यूआर कोड को स्कैन कर कोई भी अपनी जांच रिपोर्ट के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। कुछ लोग नासमझी के कारण फर्जीवाड़ा करने वालों के चंगुल में फंस रहे हैं। कोई भी पैथोलाजी फर्जी रिपोर्ट नहीं जारी करती है। गोरखपुर के लैब के पैड पर फर्जी रिपोर्ट जारी करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। - डा. अमित गोयल, गोरखपुर पैथोलाजी एसोसिएशन।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.