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देश की प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हुआ गोरखपुर, शहर को प्रदूषण मुक्‍त करने के ल‍िए बना मास्‍टरप्‍लान

गोरखपुर देश की सबसे प्रदूष‍ित शहरों की सूची में शाम‍िल हो गया है। प्रदूष‍ित शहरों की सूची में शाम‍िल होने के बाद गोरखपुर के स्‍थानीय अध‍िकार‍ियों ने शहर को पदूषण से बचाने के ल‍िए मास्‍टर प्‍लान तैयार क‍िया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 09:40 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:40 AM (IST)
देश की प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हुआ गोरखपुर, शहर को प्रदूषण मुक्‍त करने के ल‍िए बना मास्‍टरप्‍लान
गोरखपुर देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शाम‍िल हो गया है। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। देश के 94 प्रदूषित शहरों की सूची में गोरखपुर भी शामिल है। इसे लेकर एक वर्ष पहले ही 19 विभागों को मिलाकर जिला पर्यावरण समिति का गठन किया जा चुका है। समिति ने प्रथम चरण में जिले में 18 ऐसे प्रतिष्ठानों को चिन्हित किया है, जहां मियावाकी पद्धति से पौधारोपण करके वायु प्रदूषण के खतरे को कम किया जाएगा।

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ज‍िला पर्यावरण सम‍ित‍ि का हुआ गठन

लगातार पांच वर्षों तक शहर की वायु में पीएम 10 (धूल के कण) की मात्रा राष्ट्रीय परिवेशीय गुणवत्ता के मानक से अधिक मिलने के कारण गोरखपुर देश के प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल है। जिला पर्यावरण समिति ने जिले में 18 प्रतिष्ठानों को चिन्हित किया है, जहां मियावाकी पद्धति से पौधारोपण करके पर्यावरण को संरक्षित किया जाए। माह भर पूर्व इन प्रतिष्ठानों में पौधारोपण के लिए वहां पत्र भी भेजा जा चुका है।

यह है मियावाकी पद्धति

मियावाकी पद्धति एक जापानी वनीकरण विधि है। इसमें पौधों को कम दूरी पर रोपा जाता है। इस पद्धति में तीन प्रजातियों के पौधे रोपे जाते हैं। इनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग होती है। प्रमाण के तौर पर एक पेड़ खजूर का लगाया जाएगा, तो दूसरा पेड़ नीम, शीशम आदि का होगा। वहीं तीसरा पौधा किसी भी तरह की फुलवारी का हो सकता है। इसमें खास बात यह रहती है कि एक पेड़ ऊंचाई वाला तथा दूसरा कम ऊंचाई वाला तथा तीसरा घनी छायादार पौधा चुना जाता है। इन तीनों पौधों को थोड़े-थोड़े दिन के अंतराल पर लगाया जाता है। इस पद्धति से पौधों का तेजी से विकास होता है। आक्सीजन का उत्सर्जन अधिक होता है।

इसलिए हुआ चयन

जिन प्रतिष्ठानों का चयन किया गया है, उनके परिसर में आधा हेक्टेयर से अधिक जगह है। मियावाकी पद्धति द्वारा एक हेक्टेयर में कम से कम 30 हजार पौधे रोपे जाते हैं। ऐसे में यदि इन प्रतिष्ठानों द्वारा पौधारोपण कराने पर 1.8 लाख पौधे रोपित होंगे।

इन प्रतिष्ठानों का हुआ है चयन

इंडिया ग्लाईकाल्स लिमिटेड गीडा, अम्बे प्रोसेसर्स प्राइवेट लिमिटेड यूनिट-1, यूनिट-2 गीडा, फेथफुल कामर्शियल प्राइवेट लिमिटेड गीडा, रूंगटा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड गीडा, गैलेंट स्पात लिमिटेड गीडा, नाईन प्राइवेट लिमिटेड गीडा, दी महाबीर जूट मिल्स लिमिटेड सहजनवां, गोरखपुर रिसोर्सेज लिमिटेड सहजनवां, हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड, एशियन फर्टिलाइजर्स लिमिटेड सरदारनगर, वीएन डयर्स एंड प्रासेसर्स प्राइवेट लिमिटेड बरगदवा, जय लक्ष्मी साल्वेंट्स प्राइवेट लिमिटेड औद्योगिक क्षेत्र, यूपी स्टेट शुगर कार्पोरेशन लिमिटेड पिपराइच, आशुतोष शिक्षा एवं सेवा संस्थान गीडा, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

जिले के 18 प्रतिष्ठानों में मियावाकी पद्धति से पौधे लगाने के लिए नोटिस भेजी जा चुकी है। जल्द ही उसका अनुस्मारक भेजा जाएगा। ताकि संस्थान अपने प्रतिष्ठानों में सघन पौधारोपण कराएं। इन पौधों का तेजी से विकास होगा। इससे वायु शुद्ध होगी और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। - विकास यादव, डीएफओ।


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