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मुंबई में खसरा की चपेट में बच्चों के आने के बाद अलर्ट है गोरखपुर स्वास्थ्य विभाग, टीका लगाने के लिए बनेगी सूची

मुंबई में खसरा की चपेट में बच्चों के आने के स्वास्थ्य विभाग बाद अलर्ट है। ऐसे में गोरखपुर जिले में जिन बच्चों को खसरा का टीका नहीं लगा है उनकी सूची बनाई जाएगी। इसके बाद नौ जनवरी से 24 मार्च तक विशेष टीकाकरण पखवाड़ा का आयोजन होगा।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Sun, 27 Nov 2022 03:57 PM (IST)Updated: Sun, 27 Nov 2022 03:57 PM (IST)
मुंबई में खसरा की चपेट में बच्चों के आने के बाद अलर्ट है गोरखपुर स्वास्थ्य विभाग, टीका लगाने के लिए बनेगी सूची
खसरा रोग को लेकर अलर्ट है गोरखपुर स्वास्थ्य विभाग। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मुंबई में कई बच्चों के खसरा (मीजल्स) की चपेट में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। पांच वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को खसरा रूबेला (एमआर) संक्रमण से बचाने के लिए अभियान शुरू होने जा रहा है। आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से एक-एक बच्चे की सूची बनेगी। अगले साल नौ जनवरी से 24 मार्च तक विशेष टीकाकरण पखवाड़ा में बच्चों को एमआर का टीका लगाया जाएगा।

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सांस के माध्यम से फैलता है ये संक्रमण

बच्चों में बुखार, खांसी, बहती नाक, लाल आंखें, शरीर पर चकत्ते जैसे लक्षण दिखें तो इसे खसरा का संकेत माना जाता है। यह सांस के माध्यम से एक से दूसरे में फैलता है। मुंबई में कई बच्चे वर्तमान में इसकी चपेट में हैं। वर्ष 2023 में देश से खसरा उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है।

दो बार लगता है टीका

बच्चों के जन्म के नौ महीने से 12 महीने के बीच एमआर की पहली डोज और 16 महीने 24 महीने के बीच दूसरी डोज लगायी जाती है। यह इंजेक्शन बच्चे को खसरा से बचाने के लिए शरीर में एंटीबाडी बनाता है। यदि बच्चे को डोज नहीं लगी तो उसे खसरा होने का खतरा बना रहता है।

एक लाख से ज्यादा बच्चे

जिले में खसरा से बचाव का पहला डोज एक लाख 23 हजार 112 और दूसरा डोज एक लाख 15 हजार 980 बच्चों को लगाने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि 95 प्रतिशत से ज्यादा टीका लगाने का लक्ष्य पूरा किया जा चुका है।

घर-घर जाएंगी आशा कार्यकर्ता

खसरा का टीका लगवाने से वंचित बच्चों की जानकारी के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर पहुंचेंगी। सभी को एक फार्मेट पर परिवार के मुखिया का नाम, मोबाइल नंबर, बच्चों की संख्या, घरों की संख्या आदि की जानकारी दर्ज करनी होगी। एक दिसंबर से पांच दिसंबर तक सर्वेक्षण चलेगा। 17 दिसंबर तक पूरी सूचना स्वास्थ्य विभाग के कवच एप पर दर्ज करनी होगी। इसके बाद पता चलेगा कि कितने बच्चे छूटे हैं।

मां का दूध न पीने वाले बच्चों को भी खतरा

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. नंदलाल कुशवाहा का कहना है कि खसरा का पहला टीका नौ महीने से 12 महीने के बीच लगाया जाता है। मां का दूध पीने वाले बच्चों को नौ महीने खसरा होने की आशंका नहीं होती है। जो बच्चे मां का दूध नहीं पीते उन्हें खसरा होने की आशंका रहती है। शासन की ओर से खसरा टीकाकरण को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। सर्वेक्षण से लगायत प्रशिक्षण का पूरा कार्यक्रम तय कर लिया गया है। अगले साल नौ जनवरी से टीके लगाने की शुरुआत होगी। सामान्य टीकाकरण में खसरा से बचाव के टीके लगाए जा रहे हैं।


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