एचयूआरएल में इस बार बोरे की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे स्थानीय उद्यमी, पहले से जारी ग्लोबल टेंडर नहीं होगा निरस्त
एचयूआरएल द्वारा निकाले गए ग्लोबल टेंडर को निरस्त नहीं किया जाएगा। अगले टेंडर में स्थानीय उद्यमियों के लिए प्रावधान रहेगा। कुछ दिन पूर्व उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश में बोरा एवं अन्य वस्तुओं की आपूर्ति में स्थानीय उद्यमियों को प्राथमिकता देने का उल्लेख किया गया था।
गोरखपुर, जाागरण संवाददाता। हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) द्वारा संचालित गोरखपुर खाद कारखाना में इस बार स्थानीय उद्यमी बोरों की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे। एचयूआरएल द्वारा निकाले गए ग्लोबल टेंडर को निरस्त नहीं किया जाएगा। अब अगला टेंडर आने पर ही स्थानीय उद्यमियों से बोरा खरीदने का प्रावधान शामिल किया जाएगा।
बोरे की आपूर्ति के लिए जल्द ही जारी किया जाएगा दूसरा टेंडर: कुछ दिन पूर्व उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश में इस बात का उल्लेख किया गया था कि बोरा एवं अन्य वस्तुओं की आपूर्ति में स्थानीय उद्यमियों को प्राथमिकता दी जाएगी। खाद कारखाना में निकलने वाली रिक्तियों में 50 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को मौका दिया जाएगा। 21 जुलाई तक गोरखपुर खाद कारखाना अपनी पूरी क्षमता के साथ संचालित होने लगेगा। पूरी क्षमता पर प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन खाद का उत्पादन होगा।
पूरी क्षमता के साथ उत्पादन होने से कारखाने में मशीन लगाने वाली जापानी कंपनी टोयो, एचयूआरएल को मशीनें हस्तांतरित कर देगी। इसके साथ ही खाद कारखाने का संचालन पूरी तरह से एचयूआरएल द्वारा किया जाने लगेगा। आपूर्ति बढ़ने के बाद बोरे की मांग भी बढ़ेगी। इस स्थिति में माना जा रहा है कि बोरे की आपूर्ति के लिए जल्द ही दूसरा टेंडर भी जारी किया जाएगा, जिसमें स्थानीय उद्यमियों को फायदा होगा।
गोरखपुर में बोरा बनाने वाली हैं चार फैक्ट्रियां: खाद कारखाना में हर महीने करीब 30 लाख हाई डेंसिटी पालिथीन (एचडीपी) बैग की जरूरत होगी। यह उत्कृष्ट श्रेणी की प्लास्टिक की बोरियां होती हैं। वर्तमान में गोरखपुर में चार फैक्ट्रियों में इस तरह की बोरी बनाई जाती है। माडर्न लेमिटेनर्स, एवीआर पेट्रो, प्रियंवदा इंडस्ट्री और श्रीकृष्णा पालीफैब फैक्ट्री में पर्याप्त मात्रा में बोरी का उत्पादन होता है। जल्द ही एक और इकाई लगने वाली है। इसके साथ ही मशीन में प्रयोग होने वाले नट, बोल्ट, वाशर जैसे छाेटे-छोटे उपकरण भी स्थानीय उद्यमियों से ही खरीदे जाएंगे।