गोरखपुर के मानबेला के किसान प्रमुख सचिव से मिले, अपनी भूमि वापस मांगी
मुआवजे की मांग को लेकर मानबेला के 29 किसान प्रमुख सचिव आवास से मिलने लखनऊ पहुंचे। किसान रामवृक्ष ने बताया कि जीडीए ने वर्ष 2003 में मानबेला सहित आसपास के गांवों में जमीन अधिग्रहण किया था। तबसे पूरा मुआवजा तक नहीं दिया।
गोरखपुर, जेएनएन। मानबेला के किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर लखनऊ में प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार से मुलाकात की। उन्होंने मुआवजा न मिलने का हवाला देते हुए अपनी जमीन वापस मांगी। किसानों का कहना था कि जीडीए की ओर से वहां विकास कार्य भी नहीं कराए गए हैं। प्रमुख सचिव ने जीडीए उपाध्यक्ष से फोन पर बात की और पिछले डेढ़ दशक में अधिग्रहीत जमीन को लेकर हुई कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की।
वर्ष 2003 में जमीन हुई थी अधिग्रहीत
मुआवजे की मांग को लेकर मानबेला के 29 किसान प्रमुख सचिव आवास से मिलने लखनऊ पहुंचे। किसान रामवृक्ष ने प्रमुख सचिव को बताया कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने वर्ष 2003 में मानबेला सहित आसपास के गांवों में जमीन अधिग्रहण किया था। एक साल बाद किसानों को जमीन से बेदखल भी कर दिया गया। किसानों को बताया गया था कि पांच साल में विकास योजना लांच कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति एकदम उलट है। अभी तक अधिग्रहण की प्रक्रिया अधूरी है। वहां पर किसी तरह का विकास नहीं हो रहा है। उन्होंने जमीन वापस करने की मांग की। किसानों का कहना है कि जीडीए से मिली रकम भी ब्याज सहित लौटाने को तैयार हैं। वह जमीन हमें मिलनी चाहिए।
हर बार बहाना बनाता है जीडीए
किसानों का कहना है कि डेढ़ दशक का समय बीत गया। जीडीए आफिस जाने पर कोई न कोई बहाना कर दिया जाता है। हर बार सिर्फ विकास करने की बात कही जाती है। हमें न तो पूरा मुआवजा मिल रहा है और वहां पर न तो किसी तरह का विकास ही किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में हमें अपनी भूमि चाहिए। जीडीए की बहानेबाजी से किसान ऊब गए हैं। यही कारण है कि वह गोरखपुर से चलकर लखनऊ आएं हैं ताकि किसान अपना दर्द बयान कर सकें। साथ ही उचित कार्यवाही हो सके। प्रतिनिधि मंडल में शामिल किसान जवाहिर व साबिर ने बताया कि प्रमुख सचिव ने जीडीए से रिपोर्ट तलब की है।