उदासीनता की भेंट चढ़ा गोरखपुर दूरदर्शन का दस करोड़ का अर्थ स्टेशन, चालू होने पर यह होता फायदा
गोरखपुर के महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार की 11वीं पंचवर्षीय योजना में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गोरखपुर दूरदर्शन केंद्र में अर्थ स्टेशन लगाने की स्वीकृति दी थी। विभाग की अनदेखी के कारण आज तक इसे न तो फ्रिक्वेंसी और न ही समय आवंटित किया गया।
गोरखपुर, प्रभात कुमार पाठक। दूरदर्शन केंद्र गोरखपुर में लगभग दस करोड़ की लागत से स्थापित प्रदेश का दूसरा अर्थ स्टेशन उदासीनता की भेंट चढ़ गया है। विभाग की अनदेखी के कारण आज तक इसे न तो फ्रिक्वेंसी और न ही समय आवंटित किया गया। जिससे केंद्र से तैयार कार्यक्रम दर्शकों की सीधे पहुंच से दूर हैं। जबकि नेपाल सीमा से सटे होने के कारण यह केंद्र अत्यंत ही महत्वपूर्ण है।
2013 में पूरा हुआ निर्माण, 2019 में लगे तकनीकी उपकरण
गोरखपुर के महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार की 11वीं पंचवर्षीय योजना में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गोरखपुर दूरदर्शन केंद्र में अर्थ स्टेशन लगाने की स्वीकृति दी थी। अर्थ स्टेशन के भवन का निर्माण 2013 में पूरा हुआ और 2019 में यहां तकनीकी उपकरण लगाए गए। यह केंद्र सैटेलाइट के माध्यम से पूरे देश से जुड़ चुका है और यहां से सजीव कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा सकता है। जरूरत है तो बस इस केंद्र को एक चैनल के रूप में सैटेलाइट पर फ्रिक्वेंसी की। यदि ऐसा हो जाता है तो इसका सीधा फायदा यहां के कलाकारों, साहित्यकारों व विशेषज्ञों को मिलेगा।
अर्थ स्टेशन के फायदे
अर्थ स्टेशन से स्थानीय स्तर पर होने वाले प्रसारण सीधे डीटीएच (डायरेक्ट टू होम) के जरिए देश-दुनिया में देखे जा सकेंगे। केंद्र को इसके लिए केंद्रीय कार्यालय से प्रसारण के समय का आवंटन करना होगा। सीधे प्रसारण की क्षमता हो जाने से डीडी भोजपुरी, भोजपुरी व क्षेत्रीय समाचारों के प्रसारण की जमीन भी तैयार हो जाएगी।
फिलहाल हफ्ते में डेढ़ घंटे हो रहा प्रसारण
गोरखपुर दूरदर्शन केंद्र द्वारा तैयार कार्यक्रमों का प्रसारण फिलहाल हफ्ते में तीन दिन हो रहा है। गोरखपुर दूरदर्शन को डीडी यूपी पर हफ्ते में डेढ़ घंटे का समय मिला है। इसके तहत सोमवार को रात्रि 10.30 से 11 बजे, बुधवार को 10 सेे 10.30 बजे तथा शुक्रवार को 10.30 से 11 बजे तक यहां के कार्यक्रमों का प्रसारण हो रहा है। इसके पहले 14 जुलाई 2020 तक प्रतिदिन स्थानीय स्तर पर डेढ़ घंटे का नियमित प्रसारण होता था। बाद में निदेशालय के निर्देश पर स्थानीय स्तर पर सीधा प्रसारण बंद कर दिया गया।
दूरदर्शन केंद्र गोरखपुर को यदि चैनल के रूप में फ्रिक्वेंसी और समय आवंटित होता जाता है तो सीधे प्रसारण की क्षमता यहां उपलब्ध है। यह सांस्कृतिक व साहित्यिक रूप से समृद्ध इस क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। - शैलेश शरण शुक्ल, सहायक निदेशक अभियांत्रिकी, दूरदर्शन केंद्र, गोरखपुर।