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सूर्य के लिए राहू-केतु बना प्रदूषण, रात के औसत तापमान ने तोड़ा दो दशक का रिकार्ड

गोरखपुर में प्रदूषण स्तर इतना बढ़ गया है कि इसके चलते सूर्य के किरणों की पर्याप्त मात्रा में अंतरिक्ष में वापसी नहीं हो पा रही है। इसके चलते रात की गर्मी ने अपने दो दशकों का रिकार्ड तोड़ दिया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 09:50 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 09:50 AM (IST)
सूर्य के लिए राहू-केतु बना प्रदूषण, रात के औसत तापमान ने तोड़ा दो दशक का रिकार्ड
प्रदूषण के कारण रात में पड़ रही है अधिक गर्मी। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। राहू-केतू सूर्य किरणों की राह में बाधक बनते हैं तो ग्रहण की स्थिति बनती है। कुछ ऐसी ही स्थिति प्रदूषण के चलते बन रही है। शहर का प्रदूषण स्तर इतना बढ़ गया है कि इसके चलते सूर्य के किरणों की पर्याप्त मात्रा में अंतरिक्ष में वापसी नहीं हो पा रही है। इसके चलते सिर्फ दिन ही नहीं रात भी गर्म हो रही है। बल्कि सितंबर माह रात की गर्मी ने अपने दो दशकों का रिकार्ड तोड़ दिया है। अक्टूबर माह में रात का औसत तापमान 20.9 डिग्री सेल्सियस के करीब होता है, लेकिन पिछले 12 दिनों का औसत 25.4 डिग्री है। इसके चलते लोग दिन के साथ-साथ रात में भी गर्मी महसूस कर रहे हैं।

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रात में पड़ रही अधिक गर्मी

मौसम विशेषज्ञ व पर्यावरण के जानकार कैलाश पाण्डेय का कहना है कि सूर्य से रोजाना 342 वाट प्रति वर्ग मीटर किरणें धरती पर आती हैं। इसमें से 195 वाट प्रति वर्ग मीटर किरणों की वापसी होनी चाहिए। तभी वायु मंडल बेहतर तरीके से कार्य करता है। लेकिन वाहनों व उद्योगों के अधिकाधिक प्रयोग की देन है कि वायु में धुएं का स्तर इतना बढ़ गया है कि 195 वाट प्रति वर्ग मीटर सूर्य किरणों की वापसी नहीं हो पा रही है। इसके चलते रात में भी लोग गर्मी महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ अक्टूबर ही नहीं, बल्कि सितंबर माह में रात के तापमान का औसत 24.9 डिग्री सेल्सियस है। लेकिन बीते सितंबर माह में रात का औसत तापमान 25.5 डिग्री सेल्सियस रहा।

अक्टूबर माह में 12 दिनों तक रात का तापमान डिग्री सेल्सियस में

1- 24.7

2- 25.2

3- 26.6

4- 26.2

5- 26.3

6- 27.0

7- 26.2

8- 26.0

9- 25.8

10- 26.0

11- 22.8

12- 22.4

इसका भी रहा प्रभाव

इस बार कम बादल होने के कारण ज्यादा सौर ऊर्जा का प्रवेश हुआ है। बादल होने पर रात के घंटों का तापमान नियंत्रित रहता है। साफ स्थान पर नमी के कारण उच्च दबाव की स्थिति बन जाती है। इससे गर्म आर्द्र वातावरण बन जाता है। इससे शरीर के वाष्पीकरण का दर कम होता है। इसके चलते लोग गर्मी महसूस करते हैं।


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