खुल गए गोरखनाथ मंदिर के कपाट, सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया रुद्राभिषेक Gorakhpur News
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को गोरखनाथ मंदिर में लोक कल्याण के लिए रुद्राभिषेक किया।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण से निजात और लोक कल्याण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार की सुबह गोरखनाथ मन्दिर में रुद्राभिषेक किया। मन्दिर के शक्तिपीठ में आयोजित इस आनुष्ठानिक पूजन को प्रधान पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी वैदिक ने वेदपाठी ब्राह्मणों के साथ सम्पन्न कराया।
सीएम ने मंदिर परिसर का लिया जायजा
इससे पहले मुख्यमंत्री ने गुरु गोरखनाथ की वैदिक मंत्रोच्चार के पूजा-अर्चना की और अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के समाधि स्थल पर जाकर उनका आशीर्वाद लिया। इसी क्रम में उन्होंने मन्दिर परिसर का भ्रमण कर उस इंतजाम को देखा, जिसके लिए उन्होंने रविवार की देर रात निर्देशित किया था।
80 दिन बाद खुले गोरखनाथ मन्दिर के कपाट
80 दिन बाद सोमवार से मन्दिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये गए हैं। अभी तक मन्दिर में इक्का-दुक्का श्रद्धालु ही आये है। मुख्यमंत्री का निर्देश दर्शन-पूजन के दौरान हर हाल में फिजिकल डिस्टेंसिंग के पालन को लेकर है। मुख्यमंत्री आइएमए और व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। 12:30 बजे दोपहर तक उन्हें लखनऊ के लिए रवाना होना है।
कपाट खोलने की तैयारी में दो दिन से लगा रहा मंदिर प्रबंधन
ढाई महीने से अधिक समय से बंद पड़े गोरखनाथ मंदिर की रौनक रविवार को लौटती दिखी। मुख्य द्वार से लेकर मंदिर के गर्भगृह तक बढ़ी सक्रियता बदलाव की तस्वीर बयां कर रही थी। गेट पर पुलिसकर्मी स्कैनर मशीन की झाड़पोछ में जुटे दिख रहे थे तो साफ-सफाई को लेकर सफाईकर्मी सतर्क। मंदिर कार्यालय वैसे तो नियमित खुलता है लेकिन रविवार को सन्नाटे की जगह सरगर्मी ने ले ली थी। यह सारी कवायद सोमवार से मंदिर का कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोलने को लेकर थी। कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ दर्शन-पूजन की प्रक्रिया को शुरू करने की चुनौती हर किसी ने जैसे खुद ही स्वीकार कर ली हो।
मुख्य द्वार पर स्कैनर दुरुस्त कराते एक पुलिसकर्मी बात-बात में बोले कि इस बार हमें मंदिर में जाने से अवांछित लोगों को ही नहीं बल्कि कोरोना वायरस को भी रोकना है। ऐसे में जिम्मेदारी दोहरी है। वहां तैनात महिला पुलिसकर्मियो ने भी इसे लेकर हामी भरी। गर्भगृह की रौनक बढ़ी हुई थी। श्रीनाथजी के श्रृंगार के लिए माला गूंथने का काम जोरशोर से चल रहा था तो वहां के पुजारी साफ-सफाई को लेकर मुस्तैद थे। मास्क लगे होने के बावजूद श्रद्धालुओं की आवक एक बार फिर शुरू होने को लेकर उनकी खुशी साफ नजर आ रही थी। उधर संक्रमण से सुरक्षा को लेकर नगर निगम के कर्मचारियों की सतर्कता सबका ध्यान आकर्षित कर रही थी। कोई परिसर को सैनिटाइज करने में जुटा था तो कोई फॉगिंग में। मंदिर सचिव द्वारिका तिवारी के निर्देशन में परिसर के कोने-कोने को सैनिटाइज करने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा।
कैंप कार्यालय में झाड़ी गई फाइलों की धूल
गोरखनाथ मंदिर कार्यालय में एक तरफ मंदिर सचिव द्वारिका तिवारी अपनी टीम के साथ परिसर में चल रहे कार्यों की समीक्षा में जुटे थे तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय के प्रभारी मोतीलाल सिंह मंदिर के मीडिया प्रभारी विनय कुमार गौतम के साथ फरियादियों से जुड़ी फाइलों की धूल झाडऩे में। पूछने पर प्रभारी ने बताया कि सोमवार से पूरी सतर्कता के साथ फरियादियों की समस्याओं को निपटाने का सिलसिला भी शुरू किया जाना है, उसी की तैयारी चल रही है।
गीताप्रेस भी खुला
लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही बंद चल रहा गीताप्रेस भी सोमवार को खोल दिया गया। प्रेस खुलने के बाद सर्वप्रथम कल्याण पत्रिका के बचे हुए अंक प्रकाशित किए जाएंगे। इसके बाद अधूरी पड़ी 84 पुस्तकों का प्रकाशन किया जाएगा। साथ ही बिक्री केंद्र भी खोल दिया जाएगा। ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल ने बताया कि गीताप्रेस सोमवार से शनिवार तक पूर्व की भांति सुबह नौ से सायं पांच बजे तक खुलेगा। लॉकडाउन के चलते कल्याण पत्रिका के अप्रैल, मई व जून के अंक प्रकाशित नहीं हो पाए थे। इन्हें ऑनलाइन पाठकों को पढऩे के लिए उपलब्ध करा दिया गया था। प्रेस खुलने के बाद सबसे पहले इन्हीं का प्रकाशन किया जाएगा। इसके बाद श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता सहित कुल 84 पुस्तकों का प्रकाशन होगा। इनमें कुछ पुस्तकों के कुछ भाग प्रकाशित हो चुके हैं। इसके साथ ही लॉकडाउन के पूर्व प्रकाशित हो चुकी पुस्तकों की बाइंडिंग सहित सभी कार्य सुचारु रूप से शुरू हो जाएंगे।
पहली बार नहीं छपा कल्याण का अंक
गीताप्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी। यहां से निकलने वाली धार्मिक पत्रिका कल्याण का प्रकाशन 1926 से शुरू हुआ। तबसे 94 विशेषांक व 1120 साधारण अंकों का प्रकाशन हो चुका है। स्थापना के बाद से ही कल्याण के किसी अंक का प्रकाशन बाधित नहीं हुआ था। पहली बार लॉकडाउन के कारण इस पत्रिका के तीन अंक समय से प्रकाशित नहीं हो पाए।