ग्राहकों के 68 साल के विश्वास को गूगल ने दी मजबूती
1952 में गोलघर में संगम साड़ी सेंटर के नाम से एक दुकान खोली। कम वक्त में ही दुकान गोरखपुर के अलावा आसपास के जिलों में भी मशहूर हो गई। ग्राहकों को वाजिब कीमत पर कपड़ा सुलभ होने से उनका प्रेम व स्नेह बढ़ता गया।
गोरखपुर, जेएनएन। परिश्रम, सकारात्मक सोच, वाजिब दाम और ग्राहकों का भरोसा हो तो कोई भी कारोबार तरक्की की उचाइयों पर पहुंच सकता है। संगम साड़ी सेंटर शहर की उन चुङ्क्षनदा कपड़ों की दुकानों में से एक है जिस पर ग्राहक आंख बंद कर भरोसा करते हैं। यही वजह है कि साल दर साल ग्राहकों से दुकान का रिश्ता मजबूत होता जा रहा है। कोरोना काल में कपड़े के कारोबार को नुकसान पहुंचा तो दुकान मालिक ने ग्राहकों के हित को देखते हुए खरीद-फरोख्त में बदलाव करते हुए उसे डिजिटल मोड में तब्दील कर दिया। ग्राहक घर बैठे वाट्सएप पर वीडियो काल के माध्यम से कपड़े पसंद करने के बाद गूगल पे या आनलाइन ट्रांसफर करते। भुगतान के चार घंटे के भीतर कपड़ा ग्राहक के घर पहुंच जाता है। इस पहल से न सिर्फ चुनौतियों का सामाना करने में आसानी हुई, बल्कि कारोबार को आगे बढ़ाने में भी काफी मदद मिली।
रामकृष्ण टेकरीवाल ने 1952 में गोलघर में संगम साड़ी सेंटर के नाम से एक दुकान खोली। कम वक्त में ही दुकान गोरखपुर के अलावा आसपास के जिलों में भी मशहूर हो गई। ग्राहकों को वाजिब कीमत पर कपड़ा सुलभ होने से उनका प्रेम व स्नेह बढ़ता गया। अब दुकान तीसरी पीढ़ी के प्रदीप टेकरीवाल उर्फ विष्णु संभाल रहे हैं। बकौल विष्णु, कई ऐसे ग्राहक हैं जो 50 वर्षों से लगातार आ रहे हैं। साड़ी, लंहगा, शूटिंग-शर्टिंग, सूट, कुर्ती या कपड़े से जुड़ा कुछ भी खरीदना हो वे सीधे दुकान पर आते हैं। ग्राहकों के अनुरोध पर ही गोरखनाथ और सहजनवां में दुकान की ब्रांच खोलनी पड़ी। इसका लाभ यह हुआ कि ग्राहकों का संख्या दोगुनी हो गई। जो विश्चास दादा जी ने कायम किया तो उसे बनाए रखना हमलोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि दादा जी हमेशा कहा करते थे कि एक ग्राहक और दुकानदार के बीच रिश्ते की बुनियाद भरोसे पर टिकी होती है। उसे कभी हिलने मत देना। इसलिए ग्राहकों की संतुष्टि को हमारी पहली प्राथमिकता है।
वीडियो काल के जरिए ग्राहकों को किया संतुष्ट
लाकडाउन के शुरुआती चार माह में कारोबार प्रभावित रहा। दुकान पूरी तरह बंद थी, लेकिन खर्च में कमी नहीं आ रही थी। कर्मचारियों के वेतन के अलावा बिजली बिल और मेनटेनेंस में काफी पैसे खर्च हो रहे थे। इसके बावजूद हिम्मत बनाए रखा। लाकडाउन के बाद भी ग्राहकों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ तो डिजिटल की ओर ध्यान गया। गूगल पर जाकर साड़ी की दुकान सर्च करने पर सबसे पहला नाम संगम साड़ी सेंटर का आता है। दुकान को लेकर ग्राहकों का बहुत पाजिटिव रिव्यू है। इसका फायदा भी मिला। गूगल पर मौजूद दुकान के नंबर पर लोगों ने काल कर कपड़े से संबंधित जानकारी हासिल की। इसके बाद वाट्सएप पर विडियो काल कर कपड़ा देख पसंद किया। भुगतान भी आनलाइन किया। ऐसा करने वालों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। लाकडाउन के बाद से ऐसे काल की संख्या पांच गुनी बढ़ गई है। इस तरह गूगल, वाट््सएप और गूगल पे की मदद से कारोबार को रफ्तार देने में आसानी हुई।
कोरोना से बचाव के लिए किया इंतजाम
कोरोना काल में ग्राहक घर से बाहर निकलने में डर रहे थे और उन्हें संक्रमण का भय सता रहा था। इसको देखते हुए बचाव के सभी इंतजाम किए गए। सैनिटाइजर के साथ-साथ शरीर का तापमान जांचने के लिए थर्मल स्क्रीनिंग मशीन का प्रयोग शुरू किया गया। जो ग्राहक बिना मास्क के दुकान पहुंचते उन्हें निशुल्क मास्क उपलब्ध कराया गया। कर्मचारियों को मास्क पहनना अनिवार्य किया। ग्राहकों को दूर से कपड़ा दिखाया जाता। इसका नतीजा भी काफी सकारात्मक रहा। एक भी कर्मचारी कोरोना के चपेट में नहीं आया।
सामाजिक दायित्वों का करते हैं निर्वहन
प्रदीप टेकरीवाल मुनाफे का एक हिस्सा सामाजिक कार्यों पर खर्च करते हैं। साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ गऊ सेवा में उनकी बहुत रुचि है। कोरोना काल में उन्होंने जरूरतमंदों तक खाने-पीने का सामान पहुंचाया।