शिक्षकों नेताओं का सरकार पर हमला, कहा-शिक्षा को निजी हाथों में देना देश के लिए घातक Gorakhpur News
उप्र अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में विवि के दीक्षा भवन में सातवें वार्षिक अधिवेशन व शैक्षिक विचार गोष्ठी का आयोजन
गोरखपुर, जेएनएन। आज सरकार नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा को निजी हाथों में देने जा रही है। यह देश के लिए घातक है। सरकार को अपने निर्णय पर एक बार पुन: विचार करना चाहिए। यह बातें गोरखपुर विश्वविद्यालय के डा.अनिल यादव ने कही। वह उप्र अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में विवि के दीक्षा भवन में सातवें वार्षिक अधिवेशन व शैक्षिक विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
असुरक्षा का माहौल तैयार कर रही सरकार
विश्वविद्यालय के प्रो. चंद्रभूषण अंकुर ने कहा कि पूर्व में बने सार्वजनिक क्षेत्र के विद्यालयों, विश्वविद्यालयों एवं अन्य संस्थाओं को एक-एक कर समाप्त कर सरकार देश में शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए असुरक्षा का माहौल बना रही है।
शिक्षा धन कुूबेरों के हवाले
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा.असीम सत्यदेव ने कहा कि सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा को धनकुबेरों के हवाले किया जा रहा है। राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने सरकार की नई पेंशन योजना को शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए अंधकारमय बताया।
संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम प्रताप राम ने स्वागत करते हुए संघ के उद्देश्यों एवं संघर्षों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार, शिक्षकों एवं कर्मचारियों को पूर्व में मिले अधिकारों पेंशन, चिकित्सा सुविधा सहित अन्य वेतन भत्तों से वंचित कर रही है। इस दौरान डा.हरेंद्र मौर्य, अशोक कुमार, पुरुषोत्तम गौतम, प्यारेलाल विद्यापति, डा.संजय कुमार, अभय कुमार, सुरेंद्र मौर्य, राजेंद्र प्रसाद तथा राजबहादुर आदि मौजूद रहे।
अधिवेशन में चौदह सूत्रीय प्रस्ताव
सातवें वार्षिक अधिवेशन में चौदह सूत्रीय प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। इनमें पुरानी पेंशन योजन बहाल करना, शिक्षा का राष्ट्रीयकरण किया जाना, प्रधानाचार्यों की भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर करन तथा तदर्थ प्रधानाचार्यों का विनियमितीकरण आदि शामिल हैं।