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गीताप्रेस लागत मूल्य से 60 फीसद कम दाम पर उपलब्‍ध करा रहा धार्मिक ग्रंथ Gorakhpur News

गीताप्रेस आज भी अधिकतर पुस्तकें 30 से लेकर 60 फीसद तक लागत मूल्य से कम में आम जनमानस को उपलब्ध करा रहा है ताकि जन-जन तक धर्म का प्रचार हो सके।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 08:00 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 08:00 PM (IST)
गीताप्रेस लागत मूल्य से 60 फीसद कम दाम पर उपलब्‍ध करा रहा धार्मिक ग्रंथ Gorakhpur News
गीताप्रेस लागत मूल्य से 60 फीसद कम दाम पर उपलब्‍ध करा रहा धार्मिक ग्रंथ Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कागज के दाम बढ़े, ट्रांसपोर्टेशन खर्च बढ़े। रॉ मैटेरियल के दाम बढ़े,  इससे गीताप्रेस पर महंगाई का भार बढ़ा लेकिन उसने इसका बोझ पाठकों पर नहीं पडऩे दिया। गीताप्रेस ज्यादातर पुस्तकें आज भी पूर्व की ही कीमत पर उपलब्ध करा रहा है।

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कागज के दाम बढ़े और जीएसटी भी बढ़ी

अक्टूबर 2016 और अक्टूबर 2019 के बीच कागज के दाम में लगभग 25 फीसद की वृद्धि हुई। जीएसटी लगने के पूर्व गीताप्रेस को कागज पर मात्र आठ फीसद टैक्स देना पड़ता था, जीएसटी लागू होने के बाद 12 फीसद हो चुका है। दो वर्षों में ट्रांसपोर्टेशन में 20 फीसद की वृद्धि हुई है। बावजूद इसके गीताप्रेस ने मात्र कुछ पुस्तकों की कीमत में मामूली वृद्धि की है। गीताप्रेस आज भी  अधिकतर पुस्तकें 30 से लेकर 60 फीसद तक लागत मूल्य से कम में आम जनमानस को उपलब्ध करा रहा है, ताकि जन-जन तक धर्म का प्रचार हो सके। सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकें सुंदरकांड पांच, 10 व 15 रुपये, गीता 10 रुपये, हनुमान चालीसा दो रुपये में आज भी बिक रही हैं। यही दाम वर्षों से है।

लगातार बढ़ रहे पाठक 

गीताप्रेस के पाठक लगातार बढ़ रहे हैं। तीन वर्ष पूर्व प्रतिवर्ष लगभग दो करोड़ पुस्तकें बिकती थीं, आज उनकी संख्या दो करोड़ 20 लाख से अधिक है। श्रीमद् भगवद्गीता की प्रति 2017-18 में कुल 47 लाख बिकी थी। 2018-19 में 48 लाख पुस्तकों की बिक्री हुई। 2016-17 में श्रीरामचरितमानस की कुल बिक्री 35 लाख थी, जो 2017-18 में बढ़कर 38 लाख हो गई। स्थापना वर्ष 1923 से 2016 तक गीताप्रेस से कुल 62 करोड़ पुस्तकों की बिक्री हुई। नवंबर 2019 तक बिकी हुई पुस्तकों की कुल संख्या 70 करोड़ से ज्यादा है।

गीताप्रेस अपने उद्देश्‍य में सफल

गीता प्रेस के ट्रस्‍टी देवीदयाल अग्रवाल का कहना है कि गीताप्रेस की स्थापना ही इसी उद्देश्य से हुई थी कि पाठकों तक धार्मिक पुस्तकें सस्ते दाम पर पहुंच सकें। गीताप्रेस आज भी अपने स्थापना उद्देश्यों पर कायम है और पाठकों तक सस्ती पुस्तकें पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। 


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