बा की बेटियां अब गांव के परिषदीय स्कूलों में पढ़ेंगी Gorakhpur News
कोरोना में कई माह से कस्तूरबा विद्यालयों के बंद होने का हवाला देकर यहां अध्यनरत बालिकाओं को उनके नजदीकी परिषदीय स्कूल में नामांकित कराने को कहा गया है।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण काल में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों का अस्तित्व संकट में आ गया है। यहां पढऩे वाली बेटियां अब गांव के नजदीकी स्कूलों में पढ़ेंगी। राज्य परियोजना निदेशक की इस आशय से आई चिट्ठी ने कस्तूरबा की शिक्षिकाओं के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। बालिकाओं का दाखिला अभी शुरू नहीं हुआ है लेकिन यदि ऐसा हुआ तो इन विद्यालयों की उपयोगिता पर प्रश्न चिह्न लग जाएगा।
20 अगस्त को जारी इस चिट्टी का असर अब कस्तूरबा विद्यालयों में दिखने लगा है। निदेशक की चिट्ठी में कोरोना में कई माह से कस्तूरबा विद्यालयों के बंद होने का हवाला देकर यहां अध्यनरत बालिकाओं को उनके नजदीकी परिषदीय स्कूल में नामांकित कराने को कहा गया है। लेकिन भविष्य के लिए इसे शुभ नहीं माना जा रहा है। स्टाफ का तर्क भी वाजिब है। वह यह कि जब कस्तूरबा समेत सभी विद्यालय बंद है तो फिर यहां की बेटियों को अन्य स्कूलों में नामांकित कराने के पीछे आखिर मंशा क्या है। इधर पदस्थापन की नई व्यवस्था में तमाम कस्तूरबा शिक्षकों की नौकरी भी हाशिए पर आ गई है। कुल मिलाकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
जुलाई में नामांकन कराने का था निर्देश
कस्तूूरबा वार्डेन को जुलाई माह में 100 बालिकाओं के नामांकन प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया गया था। अधिकांश विद्यालयों में यह प्रक्रिया पूरी भी हो चुकी है। आनलाइन पढ़ाई भी कराई जा रही है। बस्ती में कस्तूरबा की वार्डन रंजना सिंह का कहना है कि कस्तूरबा बालिकाओं का नामांकन परिषदीय विद्यालयों में कराने का आदेश आया है। लेकिन इसका कोई औचित्य नहीं है। हम शिक्षकों के साथ नियमित आनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं। जब हमारे यहां के बच्चे दूसरे जगह नामांकित होंगे तो हम लोग आखिर कौन सा कार्य करेंगे।
सिर्फ अस्थाई नामांकन होगा
बस्ती के जिला समन्वयक रामचंद्र यादव का कहना है कि राज्य परियोजना निदेशक के आदेश में अस्थाई नामांकन कराने को कहा गया है। विभाग की मंशा स्कूल बंद होने के दौरान बच्चों को ई-पाठशाला से जोडऩे का है। वहीं बीएसए अरुण कुमार का कहना है कि शासन के आदेश का पालन हर हाल में कराया जाएगा। वैसे कस्तूरबा की बालिकाओं का परिषदीय विद्यालयों में स्थाई तौर से नामांकन नहीं कराया जा रहा है। कोरोना काल के लिए यह अस्थाई व्यवस्था है।