देवरिया कांड : एसआइटी ने जेल में गिरिजा से दो घंटे तक किए सवाल-जवाब
एसआइटी टीम के सवालों से पसीना-पसीना हुई गिरिजा त्रिपाठी, नहीं सूझ रहे थे जवाब।
गोरखपुर : देवरिया बालगृह बालिका कांड में कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद एसआइटी ने शनिवार को जेल पहुंचकर संस्था संचालक गिरिजा त्रिपाठी का बयान दर्ज किया। करीब दो घंटे तक उनसे कई ¨बदुओं पर पूछताछ की। इस दौरान जेल परिसर की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। सीओ सिटी दयाराम ¨सह फोर्स के साथ मौजूद थे।
एसआइटी ने दीवानी न्यायालय के कोर्ट नंबर आठ में गिरिजा त्रिपाठी के 161 के बयान के लिए आवेदन दिया था। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद दोपहर को एसआइटी में शामिल इंस्पेक्टर बृजेश यादव, उप निरीक्षक सुनीता नागवंशी व एक अन्य महिला के साथ जेल पहुंचे। थोड़ी देर बाद लखनऊ से आए एएसपी भी पहुंच गए। मामले की विवेचना कर रही टीम अंदर पहुंची और गिरिजा त्रिपाठी का बयान दर्ज किया। बंद लिफाफा में बयान लेकर टीम जेल से सीधे पुलिस लाइन पहुंची। करीब दो घंटे तक उनसे पूछताछ की गई। जांच के दौरान अनसुलझे पहलुओं को एसआइटी ने जोड़ने की कोशिश की। साक्ष्य के साथ गिरिजा के बयान को एसआइटी कोर्ट में पेश करेगी। सूत्रों का कहना है कि बालगृह बालिका कांड में लिए गए लड़कियों के बयान, लग्जरी गाड़ी और काल डिटेल के आधार पर संदेह के घेरे में आए लोगों के बयान की तस्दीक गिरिजा त्रिपाठी से कराई जाएगी। एसआइटी गिरिजा त्रिपाठी, मोहन त्रिपाठी और कंचनलता को रिमांड पर लेने की तैयारी में हैं। सीओ सिटी दयाराम ¨सह ने बताया कि रिमांड लिए जाने की सूचना पर फोर्स जेल गई थी। इसी वजह से सुरक्षा बढ़ाई गई है। जांच टीम जिस तरह का सहयोग चाहती है उसे उपलब्ध कराया जाएगा। पूछताछ में बेहोश हुई रसोइया
एसआइटी के तीखे सवालों से संस्था की रसोइया बेहोश हो गई। महिला ने सीने में दर्द, घबराहट की शिकायत की, जिसके बाद टीम के हाथ-पांव फूल गए। उन्होंने तत्काल फोन कर महिला थाना के एसओ को जानकारी दी। पुलिस लाइन पहुंचकर थानेदार ने रसोइया को उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे घर भेज दिया गया। वहीं रसोइया के अलावा संस्था में काम करने वाले करीब छह लोगों से एसआइटी ने पूछताछ कर उनका भी बयान दर्ज किया।
विवेचना में साक्ष्य जुटा रही एसआइटी ने शनिवार की दोपहर जांच के सिलसिले में बालगृह बालिका में काम करने वाली महिला रसोइया को पुलिस लाइंस बुलाया था। करीब आधे घंटे की पूछताछ में एसआइटी की ओर से कई सवाल किए गए। एसआइटी ने पूछा कि संस्था में कब से काम कर रही हो? कौन यहां पर आता-जाता था? लड़कियों को किसके पास भेजा जाता था, किसकी लग्जरी गाड़ी है, बालगृह बालिका में वे कौन लोग थे, जिन्होंने अपना जन्मदिन मनाया था। इसके अलावा गिरिजा त्रिपाठी से जुड़े कई अन्य सवाल भी पूछे गए। सूत्रों का कहना है कि इन सवालों को सुनकर महिला घबरा गई। उसने कई गिलास पानी भी पीया, लेकिन एसआइटी की ओर से सवालों को सिलसिला नहीं रुका। पूछताछ के दौरान महिला अचानक बेहोश हो गई। उसने सीने में दर्द की शिकायत की। महिला की हालत खराब होते ही टीम के सदस्य घबरा गए। उन्होंने इसकी सूचना तत्काल महिला थाने के एसओ जितेंद्र तिवारी को दी। महिला को कमरे के बाहर पुलिस लाइन के बरामदे में लाया गया। थोड़ी देर बाद मौके पर महिला थाने के एसओ जितेंद्र तिवारी पहुंचे। उन्होंने तत्काल रसोइया को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। करीब एक घंटे तक वह जिला अस्पताल में भर्ती रही। श्री तिवारी ने बताया कि महिला बुजुर्ग हैं, वह पहले से बीमार थीं। पूछताछ के दौरान घबराहट महसूस हुई। जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्राथमिक उपचार के बाद डाक्टर ने उन्हें छोड़ दिया। पुलिस ने महिला को घर पहुंचा दिया है। इसके अलावा संस्था में काम करने वाले करीब छह लोगों से एसआइटी ने पूछताछ की। उनका भी बयान दर्ज किया गया। एसआइटी को निर्देशित कर एडीजी क्राइम लखनऊ रवाना
एसआइटी के मुखिया एडीजी क्राइम संजय ¨सघल टीम को निर्देशित कर लखनऊ रवाना हो गए। दस दिनों की पड़ताल रिपोर्ट लेकर उन्हें 20 अगस्त को हाईकोर्ट में पेश होना है। विवेचना की प्रगति, आरोपित पुलिसवालों पर कार्रवाई और अन्य साक्ष्य की फाइल एडीजी क्राइम अपने साथ ले गए। जांच की निगरानी महिला आइपीएस कर रही हैं। संदेह के आधार पर एसआइटी ने एक दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ की। पुलिस लाइन में सभी से सवाल-जवाब हुआ। दो दिन पहले पूछताछ के लिए पुलिस लाइन बुलाए गए गिरिजा त्रिपाठी के बहू व बेटे भी जांच की जद में आ गए हैं। सूत्रों का कहना है कि विवेचक नाबालिग लड़की की ओर से लगाए गए आरोप की कड़ियों को जोड़ने में जुटे हैं। संस्था चालक की लाल रंगवाली कार भी विवेचना में शामिल हो गई है, जिसका जिक्र नाबालिग लड़कियां कर रही थीं। हालांकि कार बहू के नाम पर है। संस्था में काम करने वाले कर्मचारियों, ट्रेवेल्स एजेंसी मालिक, चालक व गिरिजा के करीबियों से चली पूछताछ के बाद जांच लगभग पूरी होती नजर आ रही है। अब तक कोई पीड़ित लड़की एसआइटी के सामने नहीं आई हैं जिसने कहा हो कि शोषण उसके साथ हुआ था। यही नहीं अभी तक वीआइपी की भी पहचान नहीं हो पाई है, जिनके पास लड़कियों को भेजा जा रहा था। दस दिनों की पड़ताल में एसटीएफ ने कुछ सबूत जुटाए हैं। छापेमारी के दौरान गिरिजा त्रिपाठी के पास मिले एलबम की पड़ताल भी जांच टीम ने की है। फोटोग्राफ व काल डिटेल के आधार पर संदेह के घेरे में आए लोगों को एसआइटी जल्द ही पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकती है। संस्था से जुड़ी पत्रावली, जिला प्रोबेशन अधिकारी की ओर से उपलब्ध कराए गए रिकार्ड, सीडब्ल्यूसी की ओर से दर्ज कराए गए बयान, 181 की महिला कर्मचारियों से पूछताछ का ब्योरा एसआइटी ने अपने कब्जे में लिया है।