जेल से रिहा हुई देवरिया कांड की मुख्य आरोपित गिरिजा त्रिपाठी Gorakhpur News
देवरिया बाल गृह बालिका कांड की मुख्य आरोपित गिरिजा त्रिपाठी जिला कारागार से रिहा हो गई।
देवरिया, जेएनएन। देवरिया के चर्चित मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह बालिका कांड की मुख्य आरोपित गिरिजा त्रिपाठी जिला कारागार से रिहा हो गई। छह अगस्त 2018 से ही जिला कारागार में बंद चल रही थी। हालांकि इस कांड में गिरफ्तार गिरिजा के पति मोहन तिवारी की जमानत अर्जी अभी तक मंजूर नहीं हो सकी है।
28 नवंबर को उच्च न्यायालय ने गिरिजा त्रिपाठी को तीन मुकदमों में जमानत अर्जी मंजूर की थी। उ'च न्यायालय के निर्देश पर प्रभारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नाशेहा वसीम व अपर जिला जज रजनीश कुमार ने चार मुकदमों में जमानतनामा स्वीकार करते हुए रिहाई आदेश सोमवार को जेल भेज दिया। लेकिन कागजात में एक त्रुटि के चलते सोमवार को रिहाई नहीं हो पाई। मंगलवार को कागज की त्रुटि को न्यायालय से ठीक होने के बाद रिहाई हो गई। जेल अधीक्षक केपी त्रिपाठी ने कहा कि गिरिजा की रिहाई हो गई है।
दो वर्ष की मासूम से दुष्कर्म करने वाले चाचा को दस वर्ष की सजा
उधर, बस्ती में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) मनमीत सिंह सूरी ने दो वर्ष की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपित को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अभियुक्त रिश्ते में बच्ची का चाचा है। अदालत ने आरोपित को बीस हजार रुपये का अर्थ दंड भी लगाया है। अर्थदंड की भरपाई न करने पर एक वर्ष की उसे अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। अदालत में बयान बदलने वाली पीडि़ता की मां के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।
मां ने बदल दिया था बयान
विशेष लोक अभियोजक कमलेश कुमार चौधरी ने अदालत में कहा कि मुंडेरवा थाना क्षेत्र के एक गांव की बच्ची 22 नवंबर 2017 को दिन में तीन बजे घर के पास खेल रही थी। इसी दौरान 34 वर्षीय शक्ति उर्फ कक्कड़ उसे बहला-फुसलाकर ऑटो रिक्शा में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पीडि़ता की मां ने मुकदमा दर्ज कराया। विवेचना के बाद अदालत में आरोप पत्र दाखिल हुआ। अदालत में पीडि़ता की मां और बाप तथा अन्य गवाह पुलिस को दिए गए अपने बयान से मुकर गए जबकि पीडि़ता के शरीर पर पर चोट के निशान पाए गए थे। डाक्टरी रिपोर्ट में दुष्कर्म साबित हुआ था। लेकिन किसी प्रभाव में आकर मां ने अदालत में बयान बदल दिया। अदालत ने कहा कि मां-बाप किसी प्रलोभन में आकर बयान से मुकर गए परंतु यह एक सामाजिक अपराध है। चिकित्सकीय साक्ष्य से अपराध साबित हो रहा है।