करते रहें काम, भजते रहें हरे कृष्णा हरे राम- गोरखपुर के गीताप्रेस में नजर आएंगे ऐसे संस्कार
धार्मिक साहित्य के जरिये सनातन धर्म के वैश्विक प्रचार में जुटे गीताप्रेस का पूरा माहौल धार्मिक है। ऐसे में भगवान का स्मरण बनाए रखने के लिए कर्मचारी नियुक्त किया जाएगा। इनके हाथ में प्रार्थना लिखी तख्ती होगी उसे देखकर अधिकारी-कर्मी दोहराएंगे।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। चैंबरनुमा बड़े-बड़े कमरों में ऊंची कुर्सियों पर बैठे अधिकारी, ओहदे में अपने से बहुत छोटे कर्मचारी के आते ही हाथ जोड़कर कुर्सी से उठ जाएं तो ऐसे संस्कार आपको गीताप्रेस में ही नजर आएंगे। इसकी वजह कर्मचारी के हाथ में वह तख्ती होगी, जिस पर परमात्मा की प्रार्थना लिखी होगी। काम के दौरान प्रभु के नाम का भी सुमिरन होता रहे, इसलिए हर किसी को कम से कम चार बार यह प्रार्थना दोहरानी होगी। कोरोना काल में बंद हुई यह व्यवस्था गीताप्रेस में पुन: शुरू होने जा रही है।
सनातन धर्म के वैश्विक प्रचार में जुटा है गीताप्रेस
पूरी पवित्रता और आस्था के साथ धार्मिक साहित्य के जरिये सनातन धर्म के वैश्विक प्रचार में जुटे गीताप्रेस का पूरा वातावरण धार्मिक है। दीवारों पर संपूर्ण गीता व संतों के 700 दोहे उकेरे गए हैं। अधिकारी-कर्मचारी मिलने पर प्रणाम या नमस्ते की बजाय राम-राम से अभिभावदन करते हैं। माहौल और धार्मिक हो सके, इसके लिए स्थगित चल रही कर्मयोगियों को परमपिता का स्मरण दिलाने वाली व्यवस्था पुन: शुरू होने जा रही है। इसके लिए एक कर्मचारी की नियुक्ति की जाएगी। भारतीय परिधान धोती-कुर्ता व तिलक लगाए कर्मचारी हाथ में भगवान की प्रार्थना लिखी तख्ती लिए हर अधिकारी, ट्रस्टी व कर्मचारी के पास जाएगा। उसे देखते ही संस्था का सर्वोच्च पदाधिकारी भी अपनी कुर्सी छोड़कर खड़ा हो जाएगा और तख्ती पर लिखी प्रार्थना दोहराएगा। कर्मचारी को किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के कक्ष में जाने के लिए अनुमति लेने जरूरत नहीं होगी। वह कभी भी किसी भी कक्ष में जा सकेगा। कर्मचारी को एक कक्ष में दिन में चार बार जाने की व्यवस्था की जाएगी।
यह है प्रार्थना
- हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
- थोड़ी-थोड़ी देर में कहते रहो-
- हे नाथ!
- हे मेरे नाथ!
- मैं आपको भूलूं नहीं!
- हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
क्या कहते हैं अधिकारी
गीताप्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने बताया कि गीताप्रेस में न कोई नौकर है और न मालिक। सभी भगवान का कार्य कर रहे हैं। कर्मचारियों को समय-समय पर परमात्मा का स्मरण कराने के लिए व्यवस्था की गई थी लेकिन संबंधित कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने और कोरोना संक्रमण के कारण उसे स्थगित कर दिया गया था। अब पुन: शुरू करने की तैयारी चल रही है।