डिलीवरी के नाम पर उपभोक्ताओं से करोड़ो रुपये वसूल रहीं गैंस एजेंसियां, यह है चौंकाने वाला तथ्य Gorakhpur News
जिले के 44 गैस एजेंसियों से संबद्ध करीब तीन लाख उपभोक्ताओं दो बार लोडिंग चार्ज दे रहे हैं। इस अव्यवस्था पर जिम्मेदारों की नजर नहीं है।
गोरखपुर, जेएनएन। जिले के 44 गैस एजेंसियों से संबद्ध करीब तीन लाख उपभोक्ताओं को गैस एजेंसियों के जिम्मेदारों द्वारा प्रति महीने गैस डिलीवरी चार्ज के नाम पर जमकर लूटा जा रहा है। बुकिंग के समय ही डिलीवरी चार्ज लेने के बावजूद घर पहुंचाने के लिए ग्राहकों को अलग से चार्ज किया जा रहा है। करीब तीन लाख उपभोक्ताओं से अवैध तरीके से वसूलकर बचाया जाने वाले इस धन का आंकड़ा करोड़ों रुपये के गोलमाल की कहानी को बयां कर रहा है। यह तो सिर्फ महराजगंज का मामला है। बाकी जगहों पर भी यही स्थिति रहेगी।
गैस उपभोक्ताओं के लिए यह है नियम
गैस उपभोक्ता के गैस बु¨कग करते समय उपभोक्ता से जमा कराए गए पूरे रुपये में ही गैस के डिलीवरी का चार्ज भी जोड़ा गया होता है। नियम है कि अगर उपभोक्ता सिलेंडर एजेंसी से लेने जाता है तो उसे डिलीवरी चार्ज 27 रुपये लिया जाता है, वापस किया जाना चाहिए। गैस सिलेंडर उपभोक्ता को होम डिलीवरी देने का प्रावधान है। घर पहुंचाने पर गैस हाकरों द्वारा प्रत्येक सिलेंडर पर दूरी के हिसाब से मनमाना चार्ज किया जाता है।
क्या कहते हैं गैस उपभोक्ता
पतरेंगवा निवासी जर्नादन गुप्ता का कहना है कि हर बार मैं एजेंसी द्वारा चलने वाले वाहन से ही सिलेंडर लेता हूं और गैस के दाम के अलावा 30 रुपये ढुलाई का चार्ज देना पड़ता है। धेनवा-धनेई निवासी विनय त्रिपाठी का कहना है कि गैस एजेंसियों के हाकरों द्वारा मनमाने ढंग से मालिकों के इशारे पर अधिक चार्ज लिया जाता है। यह बंद होना चाहिए। लेकिन इसके प्रति जिम्मेदार अधिकारी भी उदासीन बने हुए हैं। भुटेली तिवारी का कहना है कि गैस एजेंसियों द्वारा दोहरे रूप से वसूली की जा रही है। एक तो गैस के दाम में पहले ही डिलीवरी चार्ज को लेना फिर ग्राहकों के दरवाजे पर पहुंचकर पुन: उसका ढुलाई चार्ज का लेना है।
क्या कहते हैं एजेंसी मालिक
गैस एजेंसी मालिक सच्चिदानंद पांडेय का कहना है कि विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को इस बारे में कभी भी जागरूक नहीं किया गया। जिसके कारण प्रति महीने उपभोक्ताओं की कमी करोड़ों के घपले का कारण बन रही है।
जांचकर की जाएगी कार्रवाई
इस संबंध में जिलापूर्ति अधिकारी गौरीशंकर शुक्ल का कहना है कि एजेंसी मालिकों को नियमानुसार शुल्क लेना चाहिए। यदि अनियमितता की शिकायत मिली तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।