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बटन दबाकर कूड़ा निस्तारण, बेसहारा पशु नहीं खा पाएंगे पालीथिन Gorakhpur News

गांव की आबोहवा में पले-बढ़े देवरिया जिले के दो बाल विज्ञानियों ने कम खर्च में अत्याधुनिक हाइड्रोलिक कूड़ा निस्तारण स्टैंड बनाया है जिससे शहर में जहां गंदगी से निजात मिलेगी वहीं बेसहारा पशु पालीथिन नहीं खा सकेंगे। हानिकारक तत्वों से संक्रमण का खतरा कम होगा।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 11:30 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 11:30 AM (IST)
बटन दबाकर कूड़ा निस्तारण, बेसहारा पशु नहीं खा पाएंगे पालीथिन  Gorakhpur News
राजकीय इंटर कालेज में माडल बनाते बाल विज्ञानी शुभम पांडेय व सत्यानंद गौड़। जागरण

महेंद्र कुमार त्रिपाठी, गोरखपुर : गांव की आबोहवा में पले-बढ़े देवरिया जिले के दो बाल विज्ञानियों ने कम खर्च में अत्याधुनिक हाइड्रोलिक कूड़ा निस्तारण स्टैंड बनाया है, जिससे शहर में जहां गंदगी से निजात मिलेगी, वहीं बेसहारा पशु पालीथिन नहीं खा सकेंगे। हानिकारक तत्वों से संक्रमण का खतरा कम होगा। इससे कूड़ा न तो सड़क पर फैलेगा, न बदबू आएगी। कूड़ा उठाते समय जाम भी नहीं लगेगा। इस नवाचार की हर जगह तारीफ हो रही है।

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दोनों छात्रों ने मिलकर किया प्रयोग

राजकीय इंटर कालेज देवरिया में 12वीं में पढ़ने वाले सत्यानंद गौड़ व शुभम पांडेय निवासी बतरौली के मन में सड़क पर फैली गंदगी से उठ रही दुर्गंध से छुटकारा दिलाने की जिज्ञासा हुई। इसके बाद दोनों ने मिलकर पहले सामान्य प्रयोग किया, फिर अपने कालेज के भौतिक विज्ञान के शिक्षक गोविंद सिंह से साझा किया। उसके बाद दोनों बाल विज्ञानियों ने अपने गाइड टीचर की मदद से कूड़ा निस्तारण प्रणाली बनाने में सफलता हासिल कर ली। इस नवाचार को मूर्तरूप देने में करीब दस माह का समय लगा। इसमें कालेज प्रशासन ने सामग्री आदि भी मदद किया।

ये है मैकेनिज्म

कूड़ा पड़ाव स्थल पर जमीन से छह से आठ फीट नीचे स्टील का मैकेनिकल चैंबर का माडल बनाया है। छोटी गाड़ी आकर कूड़ा डालेगी, बटन दबाएगी, शटर खुलेगा और कूड़ा उसमें गिर जाएगा। बड़ी गाड़ी आएगी। हाइड्रोलिक सिस्टम से चैंबर बाहर आएगा और ट्रक में कूड़ा डालकर फिर अंदर चला जाएगा। चैंबर का ढक्कन आवश्यकता अनुसार ही खुलेगा और बंद होगा। प्रोटो की साइज ढाई फीट लंबाई व चौड़ाई है, जिसमें विद्युत मोटर, स्विच लगााया गया है। इस पर प्रतिदिन बिजली लगभग एक यूनिट खर्च होगी।

आगे की सोच

शहर के सभी कूड़ा स्पाट केंद्रों को एक नियंत्रण कक्ष से जोड़कर एक साथ नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें सीसी कैमरे लगाकर हर जगह की स्थिति‍ पर नजर रखकर कूड़ा निस्तारण किया जा सकता है।

शासन को भेजा गया पत्र

राजकीय पालिटेक्निक के प्राचार्य व जिला विज्ञान क्लब के समन्वयक जीबी सिंह ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद उप्र सरकार को पत्र भेजकर बाल विज्ञानियों को संसाधन मुहैया कराने का अनुरोध किया गया है। उधर राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य पीके शर्मा ने भी विज्ञान क्लब के समन्वयक को पत्र भेजकर दोनों बाल विज्ञानियों के माडल को मूर्त रूप देने के लिए सहयोग की बात कही है।

राज्यपाल ने की तारीफ

बीते 10 फरवरी को देवरिया में उप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पुलिस लाइन परिसर में आयोजित प्रर्दशनी में आधुनिक कूड़ा निरस्तारण माडल का अवलोकन किया। इसमें दोनों बाल विज्ञानियों के माडल की तारीफ भी की थीं।


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